लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान का सरकारी बंगला एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. इसकी वजह है बंगले में लगाई गई रामविलास पासवान की प्रतिमा. सूत्रों के मुताबिक़ बंगले के मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक सामने लगी प्रतिमा क़रीब महीने भर पहले लगाई गई है.


प्रतिमा के साथ साथ बंगले के एक कोने पर एक बोर्ड भी लगाया गया है जिस पर 'रामविलास पासवान स्मृति' लिखा हुआ है.  लुटियंस दिल्ली के जनपथ पर स्थित 12 नम्बर के इस बंगले में जिसमें स्वर्गीय रामविलास पासवान ने अपने जीवन के तीन दशक से भी ज़्यादा समय ग़ुज़ारे थे.


बंगले को नए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित किया गया


ये पता नहीं चल पाया है कि आख़िर मूर्ति और बोर्ड लगाने की वजह क्या है? इस बारे में चिराग पासवान या उनके किसी सहयोगी की ओर से कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है. मूर्ति की तस्वीर ऐसे समय में सामने आई है जब इस बंगले को नए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के नाम पर आवंटित कर दिया गया है. वैसे तो एक सांसद होने के नाते चिराग पासवान ख़ुद एक सरकारी घर के अधिकारी हैं लेकिन महज दूसरी बार सांसद होने के चलते रामविलास पासवान के इस बंगले के योग्य नहीं हैं. रामविलास पासवान का ये सरकारी बंगला टाइप 8 की श्रेणी में आता है.  


स्मृति स्थल या मेमोरियल तो नहीं बनवाना चाह रहे चिराग?


पिछले साल 8 अक्टूबर को पासवान की मृत्यु के बाद इस बंगले में अभी तक उनके सुपुत्र और लोकसभा सांसद चिराग पासवान अपनी मां और कुछ अन्य रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं. बीच में ऐसे कयास लग रहे थे कि अपने पिता रामविलास पासवान की पहली पुण्यतिथि तक चिराग पासवान इसी बंगले में रहना चाहते हैं. हालांकि रामविलास पासवान की मूर्ति और बोर्ड लगाने से ऐसे कयास लगने लगे हैं कि कहीं अपने पिता की स्मृति में चिराग पासवान बंगले को एक स्मृति स्थल या मेमोरियल तो नहीं बनवाना चाहते हैं.


लुटियंस दिल्ली में कुछ ऐसे बंगले हैं जिन्हें जगजीवन राम और कांशीराम जैसे दलित नेताओं की स्मृति स्थल के रूप में घोषित कर दिया गया है. हालांकि मोदी सरकार ने अब ऐसे किसी भी बंगले को स्मृति स्थल नहीं बनाने का फ़ैसला किया था जिस पर कैबिनेट की ओर से भी मुहर लगाई गई थी.


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