नई दिल्ली: देश में रमज़ान का मुकद्दस महीना शुरू हो गया है. दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में शुक्रवार शाम रमज़ान का चांद नजर आ गया. उलेमा ने कोरोना वायरस को देखते हुए मुस्लिम समुदाय से घरों में ही इबादत करने की अपील की है.


रमजान में मस्जिदों में तरावही नहीं होगी


जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने आज पहला रोजा होने का एलान किया और मुस्लिम समुदाय को रमजान की मुबारकबाद दी. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन इसलिए लागू है ताकि लोग घरों में रहें और जितनी हो सके उतनी एहतियात बरतें. साथ में मस्जिदों से यह भी ऐलान किया कि इस बार रमजान में मस्जिदों में तरावही नहीं होगी और लोग अपने घरों में इबादत करें.


ज्यादा लोग रोज़ा रखें और इबादत करें- दुआ मांगें- मुस्लिम धर्मगुरु


मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के सदस्य कोरोना वायरस को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन का पालन करें और नमाज़ और तरावीह (रमज़ान में रात में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज़) घरों में ही पढ़ें. उन्होंने कहा कि रोज़ा रखना सबपर फर्ज है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोग रोज़ा रखें और इबादत करें और दुआ मांगें.


गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस महामारी की वजह से लॉकडाउन लागू है. इस वजह से लोगों के जमा होने पर पाबंदी है और मस्जिदें बंद हैं. लॉकडाउन की वजह से रमज़ान के महीने की वैसी रौनक नहीं हैं, जैसी हर साल देखने को मिलती हैं. यमुनापार के मुस्लिम बहुल इलाके जाफराबाद में शाम के वक्त लोग जरूरी समान की खरीदारी करने घरों से निकले.


मुसलमानों के लिए सबसे पाक महीना होता है रमज़ान


रमज़ान मुसलमानों के लिए सबसे पाक महीना होता है. समुदाय के सदस्य पूरे महीने रोज़ा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं. साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं.