मुसलमानों के पवित्र महीने रमजान की मंगलवार (12 मार्च) से पूरे देश में शुरुआत हो गई. रमजान कब से शुरू होंगे, यह चांद दिखने पर निर्भर करता है. चांद दिखने के अगले दिन से रमजान शुरू हो जाते हैं. सबसे पहले सऊदी अरब में चांद दिखाई देता है और फिर दूसरे देशों में. 10 मार्च को सऊदी अरब में चांद दिखाई दिया और 11 मार्च को भारत में. इशके बाद मंगलवार को देशभर के मुसलमानों ने पहला रोजा रखा. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में रमजान की घोषणा को लेकर एक नई कमेटी बनाई गई है.
पिछले साल तक पाकिस्तान में चांद दिखने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोग रोजा रखते थे. पिछले साल भी यही हुआ. हालांकि, मुफ्ती नासिर उल-इस्लाम ने 23 मार्च, 2023 को घोषणा की थी कि चांद दिखाई नहीं दिया है इसलिए एक दिन बाद रमजान शुरू होंगे. इसी दिन पाकिस्तान रेडियो ने ऐलान किया कि चांद दिख गया है. जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तान रेडियो की बात मानी और अगले दिन पहला रोजा रखा. इसके बाद चर्चा हुई कि कमेटी बनाई जाए और उसकी घोषणा पर ही दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में रमजान की शुरुआत होगी.
क्यों बनाई गई रमजान के लिए कमेटी?
जम्मू-कश्मीर में दशकों से पाकिस्तानी कमेटी रुअत-ए-हिलाल के ऐलान के आधार पर ही रोजों की शुरूआत होती थी. यहां के मुफ्ती पाकिस्तानी कमेटी को फॉलो करते थे. इनमें नासिर के पिता मुफ्ती बशीर-उद-बिन फारूकी भी शामिल हैं. खराब मौसम, तकनीकी उपकरणों की कमी, कोई स्वतंत्र निकाय न होना और पाकिस्तान के करीब मौजूद होने की वजह से कश्मीरी पाकिस्तानी कमेटी पर निर्भर रहते थे.
पिछले साल मुफ्ती नासिर की घोषणा के बावजूद पाकिस्तानी कमेटी के हिसाब से रोजे शुरू होने को मुफ्ती की अनदेखी के तौर पर देखा गया. इसके बाद लद्दाख और कश्मीर के लिए भी कमेटी बनाए जाने की चर्चा हुई. पिछले महीने यह कमेटी बनाई गई. मुफ्ती नासिर ने बताया कि कमेटी में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 151 लोग हैं. इनमें अलगाववादी नेता और हुर्रियत के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारुक का भी नाम है. टेक्नीकल तौर पर कमेटी अभी मजबूत नहीं है इसलिए फैसला किया गया कि मून साइटिंग के लिए लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों से जानकारी इकट्ठा की जाएगी.
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