अयोध्या में आज रामार्चा पूजा और हनुमान ध्वजा पूजन होगा, शुभ कार्य से पहले दोनों का है बेहद खास महत्व
अयोध्या में आज रामार्चा पूजा और हनुमान ध्वजा के साथ-साथ हनुमान के निशानो की पूजा की जाएगी. ये पूजा सुबह नौ बजे शुरू होगी.
लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास और भूमि पूजन की प्रक्रिया सोमवार से गणेश पूजन के साथ आरंभ हो गई. पूजापाठ के इस क्रम में मंगलवार सुबह रामार्चा पूजा और हनुमान ध्वजा के साथ-साथ हनुमान के निशानो की पूजा की जाएगी. सोमवार को राम मंदिर शिलान्यास से पहले गणेश पूजन की गई. भूमि पूजन से 3 दिन पहले राम जन्मभूमि परिसर में पूजा के कई दौरों का भी श्रीगणेश हो गया है. अब मंगलवार को रामार्चा पूजन की जाएगी. ये पूजा सुबह नौ बजे शुरू होगी और पाँच घंटे चलेगी. इसमें 6 पुजारी पूजा कराएंगे. वैदिक मान्यता है कि इस महायज्ञ को करने से मनुष्य मोक्ष को प्राप्त कर जन्म मृत्यु के के फेर से मुक्त हो जाता है और सबकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं. रामार्चा पूजा में भगवान श्री राम की चार अवतारों में पूजा होती है. पौराणिक मान्यता है कि सभी धार्मिक अनुष्ठानो में श्री रामार्चा पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है.
श्री राम जन्म भूमि ट्रस्ट चंपत राय के मुताबिक, "रामार्चा पूजा श्रेष्ठ फलदायक होती है और 18 अप्रैल के बाद दो बार रामर्चा आहुतियां भी हो चुकी है. 1,000 रामार्चा आहुतियां पहले ही की जा चुकी हैं."
ऐसे की जाती है पूजा
रामार्चा पूजन में चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रूई, धूपबत्ती, फूल, अष्टगंध वेदी पर रखे जाते हैं. इसके बाद देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे के पात्र, कलश, दूध, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र और आभूषण चढ़ाए जाते हैं. साथ ही वो सभी सामग्रियां जो विग्रह मूर्ति पूजा के लिए ज़रूरी हों वो शामिल की जाती हैं. अवध और मिथिला क्षेत्र में ये सोलह संस्कार में भी होता है और जनकपुर में ये विवाह से पहले जनेऊ संस्कार के पहले भी कराया जाता है. अगर इसमें विग्रह पूजा की अन्य विधाए भी शामिल होगी तो इसकी समयावधि बढ़ भी जाती है.
रामार्चा पूजा के बाद होगी हनुमान के निशानों की पूजा
बता दें कि रामार्चा पूजा के बाद हनुमानगढ़ी में हनुमान के निशानों का भी पूजन होगा. इसमें हनुमान ध्वजा का पूजन भी शामिल है. ऐसी मान्यता है कि अयोध्या के रक्षक और कलयुग के देवता हनुमान की पूजा अयोध्या में सबसे पहले की जाती है और उसके बाद भगवान राम की पूजा की जाती है. हनुमानगढ़ी में जो कि हनुमान जी का प्रथम निवास माना जाता है, वहां पर राम दरबार के आगे स्वयं कलयुग के देवता हनुमान विराजमान हैं. इस बात का द्योतक है कि राम से पहले हनुमान जी की पूजा आवश्यक है. असली मंगलवार को हनुमान के निशान और हनुमान ध्वजा की पूजा होगी और उसके बाद बुधवार को राम मंदिर के भूमि पूजन का कार्यक्रम होगा.
यह भी पढ़ें-
महाराष्ट्र के नेता की मांग- 'भगवान राम की मूर्ति की मूछें होनी चाहिये'