'जो राम को नहीं भजता, वह...', रामभद्राचार्य का VIDEO वायरल, गिरफ्तारी की मांग उठा लोग उठाने लगे सवाल- क्या यह संत की वाणी है?
Rambhadracharya Video: संत रामभद्राचार्य सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं. इसको लेकर विवाद गरमा गया है.
Rambhadracharya Viral Video: जगद्गुरु रामभद्राचार्य का एक वीडियो सोशल मीडया पर इन दिनों जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वो भगवान राम की उपासना करने की बात करते हुए जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करते सुनाई पड़ते हैं. इसको लेकर सोशल मीडिया पर उनको गिरफ्तार करने की मांग भी हो रही है. साथ ही लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या ये किसी संत की वाणी है?
जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वो संस्कार टीवी पर प्रसारित श्रीराम कथा के दौरान प्रसारित हुआ. जिसमें वो कह रहे हैं, “गोस्वामी जी कहते हैं कि जो रामजी को नहीं भजता वो चमार है.” एबीपी न्यूज इस वीडियो में कही गई बात की पुष्टि नहीं करता है. हालांकि वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और रामभद्राचार्य की गिरफ्तारी की मांग होने लगी है.
क्या कह रहे यूजर्स?
मामले पर एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए कहा, “दलितों के प्रति जातिसूचक शब्द, छुआछूत, घृणा और नफरत रखने वाले ऐसे जातिवादी व्यक्ति पर कठोर कार्रवाई की जाए.” एक अन्य यूजर ने कहा, “रामभद्राचार्य को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए.” इसके अलावा एक यूजर ने लिखा, “महाराज आप बुजुर्ग हो और सम्माननीय भी. समाज को जोड़ने का काम कीजिए, तोड़ने का नहीं.”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “सच में देश बदल गया है. धर्मगुरु राजनीति कर रहे हैं और राजनेता धर्म गुरु बन गए हैं. मंच पर बैठ कर जाति विशेष को अपमानित कर रहे इस व्यक्ति पर संविधान लागू नहीं होता क्या? और अगर ऐसा है तो गिरफ्तार करो. ये किसी संत की वाणी नहीं है. कार्रवाई होनी चाहिए.”
एक यूजर ने कहा, “ये किसी संत की वाणी है? हिंदू समाज पहले से ही खंड-खंड है. रही सही कसर ये पूरी कर रहे हैं. 800 साल की गुलामी ऐसे ही नहीं आई, क्योंकि एकता कभी बन ही नहीं पाई. लोकतंत्र के बाद सब ठीक हो रह है तो इनको हजम नहीं हो रहा है.”
एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए कहा, “भगवान का संदेश और ऊंच-नीच को बढ़ावा. अमर्यादित शब्द का भंडार लिए यह मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की कथा सुना रहे हैं, रूढ़िवादी मानसिकता को बढ़ावा क्यों? अध्यात्म के नाम पर जातिसूचक शब्दों का प्रचार करना कितना सही है? जिम्मेदार कौन? यह आचरण निंदनीय हैं.”
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