नई दिल्ली: गुरमीत राम रहीम की परोल की अर्जी पर हरियाणा पर पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के परिवार ने हरियाणा सरकार के खिलाफ बयान दिया है. रामचंद्र छत्रपति के परिवार का कहना है कि हरियाणा सरकार राम रहीम की परोल पर नरमी बरत रही है. छत्रपति की बेटी श्रेशि ने कहा कि जो सरकार गुरमीत राम रहीम की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए करवा रही है वो आखिरकार परोल कैसे नरम हो सकती है?
श्रेशि ने कहा कि अगर सरकार परोल पर नरमी बरतेगी तो छत्रपति परिवार हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटकाएगा. श्रेशि ने कहा कि 17 साल की लड़ाई के बाद गुरमीत राम रहीम को सलाखों के पीछे भेजा गया और सरकार दो साल बाद ही राम रहीम को पैरोल देने की सोच रही है। न तो तो गुरमीत राम रहीम के पास कोई ज़मीन है और न ही वो किसान है. श्रेशि ने दावा किया कि परोल पर बाहर आने के लिए खेती का एक सिर्फ़ बहाना बनाया जा रहा है. वहीं छत्रपति के बेटे अंशुल ने भी कहा है कि अगर रामरहीम को परोल मिली तो वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट का रुख करेंगे.
राम रहीम की परोल पर नरम नजर आ रही है खट्टर सरकार
बता दें कि हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि कि परोल मांगने के अधिकार से किसी को रोक नहीं सकते. राम रहीम ने खेती के काम के लिए 42 दिन की परोल मांगी है. खट्टर ने कहा है कि परोल लेने की कुछ तय प्रक्रिया होती है और अगर किसी व्यक्ति को परोल लेने का अधिकार है तो वो मांग सकता है, हम किसी को रोक नहीं सकते. अभी राम रहीम की परोल पर कोई फैसला नहीं हुआ है. मामला अभी डीसी लेवल पर है जब हमारे पास आएगा तब देखेंगे. बता दें कि राम रहीम ने खेती के लिए एक दो दिन या एक हफ्ते के लिए नहीं बल्कि 42 दिनों के लिए परोल की अर्जी लगाई है. जिस पर जेल प्रशासन अपनी सहमति दे चुका है.
जिस जमीन पर खेती के लिए मांगी परोल वो किसी और की- सूत्र
इस बीच खबर है कि जिस सिरसा की जमीन पर खेती करने के लिए राम रहीम ने परोल मांगी है वह जमीन राम रहीम की नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, राजस्व विभाग की तरफ से की गई जांच में सामने आया है कि वह जमीन राम रहीम के नाम पर नहीं है. बल्कि वह एक ट्रस्ट की जमीन है. इतना ही नहीं राम रहीम के खिलाफ बलात्कार और हत्या से अलग दो और मामले अभी विचाराधीन हैं.
राम रहीम की अर्जी पर नरम दिख रही है हरियाणा सरकार
राम रहीम की परोल की अर्जी पर जेल प्रशासन पहले ही अपनी सहमति दे चुका है. वहीं इस मामले पर हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री भी राम रहीम के परोल की तरफदारी में जुटे हुए हैं. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा है कि हर कैदी को परोल का अधिकार है. यह परोल कानून के अनुसार दी जाती है. यदि गुरमीत राम रहीम को परोल मिलती है तो इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए. वहीं, जेल मंत्री कृष्ण पंवार का कहना है कि एसपी जेल ने बाबा के अच्छे आचरण की रिपोर्ट दी है. जेल मंत्री का दावा है कि कमिश्नर ही आखिरी फैसला लेंगे. कुल मिलाकर हरियाणा सरकार राम रहीम को परोल दिए जाने के हक में दिख रही है.
कांग्रेस भी नहीं कर रही परोल का विरोध
दरअसल हरियाणा में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और डेरा सच्चा सौदा एक बड़ा वोट बैंक है. ये बात सिर्फ बीजेपी ही नहीं कांग्रेस भी समझती है, क्योंकि कांग्रेस के नेता भी राम रहीम को छोड़ने का विरोध नहीं कर रहे हैं. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी राम रहीम को परोल देने का विरोध नहीं कर रहे हैं. राम रहीम की पेरोल को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि किसी भी कैदी को पेरोल का अधिकार है. फैंसला अदालत और प्रशासन को करना होता है.
राम रहीम का चुनाव कनेक्शन भी समझिए
बता दें कि हरियाणा में चुनावों के वक्त राम रहीम को सजा से पहले नेता वोट के लिए उससे मदद मांगते रहे हैं. साल 2009 के चुनावों में राम रहीम ने राज्य में कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया था. जिसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. सिर्फ हरियाणा में राम रहीम के 25 लाख से ज्यादा भक्त हैं. राम रहीम को मिली सजा के बाद सिरसा और पंचकुला में उसके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था. आज भी राम रहीम के भक्त उसको दोषी मानने से इनकार करते हैं.
कौन थे रामचंद्र छत्रपति?
रामचंद्र छत्रपति ने ही दो साध्वियों के साथ हुए रेप की खबर को पत्र के आधार पर अपने अखबार 'पूरा सच' में सबसे पहले छापा था. खबर छपने के बाद गुरमीत राम रहीम सिंह के लोग पत्रकार को आए दिन धमकियां देते थे. धमकियों से बिना डरे रामचंद्र गुरमीत सिंह के खिलाफ खबरें लिखते रहे. धमकियों के बीच 24 अक्टूबर, 2002 को दो अज्ञात लोगों ने छत्रपति के ऊपर हमला कर दिया था. पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में रामरहीम को दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई थी.