नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर विवादास्पद बयान दिया है. आरपीआई चीफ रामदास आठवले ने कहा है कि रोहिंग्या भारत के मेहमान हैं. जैसे मेहमान हमारे पास आते हैं और उनकी मदद की जाती है तो रोहिंग्या भी भारत में आए हैं, उनकी मदद की जा रही है. रामदास आठवले का ये बयान ऐसे समय आय़ा है जब देश में असम के एनआरसी विवाद पर हंगामा हो रहा है.


मेहमान पर थोड़ा पैसा खर्च किया जा रहा है- आठवले


रामदास आठवले ने कहा है, ‘’भारत मानवाधिकार धर्म निभा रहा है. इसलिए भारत के लोगों को तकलीफ होने का कोई विषय नहीं है. मानवता के आधार पर रोहिंग्या मुस्लिमों की मदद की जा रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘’देश के नागरिकों का विषय नहीं है. देश के नागरिकों का पैसा सरकार के पास होता है. दूसरे लोगों को ज्यादा तकलीफ न देते हुए अगर कोई मेहमान आ रहा है तो उस पर थोड़ा पैसा खर्च किया जा रहा है.’’


NRC विवाद के बीच मोदी के मंत्री रामदास आठवले का बड़ा बयान, कहा- ‘रोहिंग्या हमारे मेहमान’


रोहिंग्या भारत सरकार की जिम्मेदारी नहीं- आठवले


हालांकि रामदास आठवले ने यह भी कहा है, ‘’रोहिंग्या भारत सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. परमानेंट रोहिंग्या को भारत में रखने का विषय नहीं है. अभी टेंप्रेरी उनकी मदद की जा रही है. रोहिंग्या म्यांमार से आए हैं. अगर वह मूल तौर पर बांग्लादेशी हैं तो बांग्लादेश को उनको अपनाना चाहिए.’’


एनआरसी विवाद के बीच संसद में उठा रोहिंग्या का मुद्दा


एनआरसी पर विवाद के बीच संसद में रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा भी उठा था.  गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को बताया, ''केंद्र सरकार रोहिंग्याओं के मुद्दे पर अडवाइजरी जारी कर चुकी है. राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राज्य में रोहिंग्याओं की संख्या आदि के बारे में गृह मंत्रालय को सूचना दें. इसी के आधार पर जानकारी विदेश मंत्रालय को दी जाएगी और विदेश मंत्रालय म्यांमार के साथ इनको डिपोर्ट करने पर बातचीत करेगा.'' वही, गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने कहा था कि रोहिंग्या भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती हैं.


क्या है एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट?


असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन की दूसरी ड्राफ्ट लिस्ट का प्रकाशन कर दिया गया. जिसके मुताबिक कुल तीन करोड़ 29 लाख आवेदन में से दो करोड़ नवासी लाख लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है, वहीं करीब चालीस लाख लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं. एनआरसी का पहला मसौदा 1 जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे. दूसरे ड्राफ्ट में पहली लिस्ट से भी काफी नाम हटाए गए हैं.

नए ड्राफ्ट में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं. इस ड्राफ्ट से असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बारे में जानकारी मिल सकेगी. असम के असली नागरिकों की पहचान के लिए 24 मार्च 1971 की समय सीमा मानी गई है यानी इससे पहले से रहने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.


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