क्यों भड़के रमेश बिधूड़ी? निशिकांत दुबे ने BSP सांसद पर लगाए गंभीर आरोप, दानिश अली ने आरोपों से किया इनकार
Nishikant Dubey On Ramesh Bidhuri: रमेश बिधूड़ी के दानिश अली पर आपत्तिजनक बयान मामले में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर एक जांच कमेटी गठित करने की मांग की है.
Nishikant Dubey Letter To LS Speaker: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर रमेश बिधूड़ी वाले मामले में एक जांच कमेटी बनाकर दानिश अली की तरफ से की गई टिप्पणियों पर भी करवाई करने की मांग की है. उन्होंने कहा, ''लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिख एकतरफा कार्रवाई न करने की मांग की है और पत्र में लिखा है कि रमेश बिधूड़ी ने जो कहा वो ठीक नही था, उसकी निंदा करता हूं और इसके लिए सदन के उपनेता राजनाथ सिंह ने माफी भी मांगी, लेकिन ये भी समझना होगा कि रमेश बिधूड़ी ने किन परिस्थितियों में इस भाषा का उपयोग किया.''
बीजेपी नेता ने कहा, ''दानिश अली ने लगातार उनके (रमेश बिधूड़ी) भाषण के दौरान अवरोध उत्पन्न किया और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ गलत बयानी की, सौगत रॉय और डीएमके ने भी सदन में चर्चा के दौरान आहत करने वाली बातें कहीं, इसलिए जांच कमेटी गठित कर इसकी जांच कराई जानी चाहिए.''
निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को भेजे पत्र में क्या कुछ लिखा?
निशिकांत दुबे ने पत्र में लिखा, ''21 सितंबर 2023 को लोकसभा में 'भारत के चंद्रयान मिशन' की अभूतपूर्व सफलता पर चर्चा के दौरान सांसद रमेश बिधूड़ी ने भी हिस्सा लिया और भाषण दिया. अपने लंबे भाषण के दौरान, अन्य सदस्यों द्वारा लगातार धक्का-मुक्की के बीच, जो तीखी बहस में बदल गई, रमेश बिधूड़ी ने संसद सदस्य दानिश अली के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक शब्द कहे, जिसकी मैं एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के रूप में निंदा करना चाहता हूं.''
उन्होंने लिखा, ''हालांकि, इसके तुरंत बाद, राजनाथ सिंह, जो उस समय मौजूद ट्रेजरी बेंच के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक थे, ने अत्यंत ईमानदारी का प्रदर्शन किया और हर कीमत पर संसद की गरिमा और इसकी स्वस्थ परंपराओं/सम्मेलनों को संरक्षित करने के अग्रदूत के रूप में काम किया. उन्होंने बिधूड़ी द्वारा दिए गए बयानों की कड़ी और स्पष्ट रूप से निंदा की.''
बीजेपी सांसद ने पत्र में लिखा, ''यह हमारे 'लोकतंत्र के मंदिर' के प्रति गहरा सम्मान और आपके द्वारा संसद की गरिमा बनाए रखने का एक सराहनीय प्रदर्शन है कि बिधूड़ी द्वारा कहे गए अशोभनीय शब्दों को तुरंत सदन की कार्यवाही से बाहर कर दिया गया. मैं और अन्य समान विचारधारा वाले संसद सदस्य आपकी त्वरित कार्रवाई के लिए आपको बधाई देते हैं.''
रमेश बिधूड़ी के बयान से पहले क्या हुआ था?
निशिकांत दुबे ने लिखा, ''महोदय, यह एक निर्विवाद तथ्य है कि रमेश बिधूड़ी ने उस दिन सदन में किसी अन्य संसद सदस्य के खिलाफ जो कुछ भी कहा वह अनुचित था और मैं किसी भी संसद सदस्य द्वारा किसी अन्य सदस्य या उनके धार्मिक सांस्कृतिक मान्यताओं के खिलाफ ऐसे किसी भी शब्द के उपयोग का भी विरोध करता हूं. हालांकि, इस अभूतपूर्व शोर-शराबे में, जिसने दुर्भाग्य से मीडिया का ध्यान खींचा और फिर अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी राजनीति को बनाए रखने के लिए एक छिपे हुए एजेंडे के साथ इसे उठाया, मैं आपका ध्यान उन सत्यापन योग्य तथ्यों की ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि बिधूड़ी के अप्रिय बयान से पहले क्या हुआ था.''
बीजेपी सांसद ने पत्र में कहा, ''तथ्य यह है कि बिधूड़ी के पूरे भाषण के दौरान, संसद सदस्य दानिश अली ने 'रनिंग कमेंट्री' की और बिधूड़ी को बाधित करने और उन्हें उकसाने के उद्देश्य से सभी के प्रति अभद्र टिप्पणियां भी कीं. अब, मैं आपके सामने बिधूड़ी द्वारा की गई टिप्पणियों के बाद घटी हर घटना को प्रस्तुत करता हूं. जब दानिश अली अपनी असंयमित टिप्पणियों से बिधूड़ी को उकसाने में व्यस्त थे, तब उन्होंने हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी की.
निशिकांत दुबे का दानिश अली पर आरोप
उन्होंने पत्र में लिखा, ''सत्तारूढ़ सरकार और चंद्रमा पर चंद्रयान 3 को उतारने की प्रधानमंत्री की उपलब्धि को बदनाम करने की अपनी हताशा में, वह बिना माइक्रोफोन के चिल्लाते रहे, लेकिन उन्हें यह कहते हुए स्पष्ट रूप से सुना जा सकता था कि 'नीच को नीच नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे'. मुझे लगता है कि दानिश अली द्वारा दिया गया यह बयान किसी भी देशभक्त जन प्रतिनिधि के लिए 'अपना धैर्य खोने' के लिए पर्याप्त था और इसके कारण बिधूड़ी ने उन्हें उसी तरह जवाब दिया जैसा उन्होंने दिया था. यह भी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूरे मीडिया का ध्यान उन विवरणों पर नहीं गया, जिनमें श्री दानिश अली ने हमारे माननीय प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी अपमानजनक टिप्पणी की थी.''
निशिकांत ने पत्र में लिखा, ''महोदय, 'विशेषाधिकार हनन' का पहलू, जिसे दानिश अली और कुछ अन्य संसद सदस्य जोर-शोर से उद्धृत कर रहे हैं, एकतरफा नहीं हो सकता है और यदि अलग से लागू किया गया तो यह एक गंभीर और अपरिवर्तनीय 'न्याय का गर्भपात' होगा. इसलिए, मैं आपके साथ 'अपशब्दों' का विवरण साझा कर रहा हूं, जो चर्चा के दौरान अन्य संसद सदस्यों ने भी किया था. वे इस प्रकार हैं-
सौगात रॉय, संसद सदस्य- "राम और पुष्पक विमान का कोई अस्तित्व नहीं है, झूठी कहानी है".
डीएमके पार्टी- “हम द्रविड़ हैं और आप आर्य हैं. आप 'सेतु समुद्रम परियोजना' को रोककर अंधविश्वास फैला रहे हैं. कोई भगवान नहीं है, हिंदू कोई धर्म नहीं है''.
'न केवल रमेश बिधूड़ी ने अनुचित व्यवहार किया, बल्कि दानिश अली भी...'
बीजेपी सांसद ने पत्र में लिखा, ''सर, मेरे उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि 21 सितंबर 2023 को लोकसभा में चर्चा के दौरान न केवल रमेश बिधूड़ी ने 'अनुचित' व्यवहार किया, बल्कि दानिश अली भी बेहद निंदनीय और अक्षम्य बयान देने के लिए समान रूप से दोषी हैं. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र यानी भारत गणराज्य के माननीय प्रधानमंत्री के खिलाफ शब्द, इसके अलावा, अन्य सदस्यों और पार्टियों ने भी बहुसंख्यक समुदाय की 'पोषित आस्था' के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणियां कीं. यदि बिधूड़ी ने अनुचित कार्य किया है तो मेरे विचार से दानिश अली सहित अन्य माननीय सदस्यों ने भी समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने में योगदान दिया है.''
उन्होंने कहा, ''इसलिए आपसे अनुरोध है कि उक्त चर्चा के दौरान विभिन्न सदस्यों द्वारा दिए गए बयानों की जांच करने के लिए एक 'जांच समिति' का गठन किया जाए और यह भी जांच की जाए कि हमारे नागरिकों को उनकी टिप्पणियों के माध्यम से भड़काने में विभिन्न अन्य संसद सदस्य किस हद तक दोषी हैं.''
क्या कहा दानिश अली ने?