लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद रमेश बिधूड़ी के बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है. 21 सितंबर को विशेष सत्र के दौरान सदन में रमेश बिधूड़ी ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के सांसद दानिश अली के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर दिया, जिस पर विवाद शुरू हो गया है. अब बिधूड़ी के निलंबन की मांग की जा रही है. विपक्ष इस बात से भी नाराज है कि अब तक बिधूड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि मानसून सत्र के दौरान तुरंत एक्शन लेते हुए पांच सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. हालांकि, इन सभी को सस्पेंड किए जाने की वजह अलग-अलग थीं.


अगर कोई सांसद सदन की कार्यवाही को लगातार रोकने की कोशिश करता है, नियमों का उल्लंघन करता है या फिर असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करता है तो उनके खिलाफ स्पीकर एक्शन लेते हैं. लोकसभा और राज्यसभा के लिए अलग-अलग रूल बुक हैं, जिनमें किस गलती की क्या सजा मिलेगी, इस बात का जिक्र है. 1989 से अब तक कई बार अलग-अलग कारणों की वजह से लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को निलंबन का सामना करना पड़ा है. कई बार तो ऐसे भी मौके आए जब बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित कर दिया गया. कब-कब और किस-किस सांसद को निलंबन का सामना करना पड़ा है इस पर एक नजर डाल लेते हैं.


मानसून सत्र में निलंबित किए गए थे ये सांसद
20 जुलाई से 11 अगस्त तक चले मानसून सत्र के दौरान 5 सांसदों को अलग-अलग वजहों से निलंबित कर दिया गया था. इस दौरान, दो दिन में दो सांसदों को सस्पेंड किया गया था. निलंबित होने वाले सांसदों में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और आम आदमी पार्टी के तीन सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा और सुशील कुमार रिंकू शामिल हैं. 10 अगस्त को कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निलंबन का प्रस्ताव देते हुए आरोप लगाया कि वह पीएम मोदी और मंत्रियों के बोलते समय सदन में बाधा डालते हैं. प्रस्ताव पास होने के बाद अधीर रंजन चौधरी को निलंबित कर दिया गया. 8 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन के खिलाफ पीयूष गोयल ने चेयरमैन जगदीप धनखड़ की बात नहीं मानने पर निलंबन को लेकर प्रस्ताव पेश किया था. ब्रायन की चेयरमैन जगदीप धनखड़ से बहस हो गई थी.


3 अगस्त को दिल्ली सर्विस बिल पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू को उनके गलत व्यवहार के लिए मानसून सत्र से सस्पेंड कर दिया था. उन्होंने स्पीकर ओम बिरला की तरफ कुछ पेपर फेंके थे. इसके बाद प्रह्लाद जोशी ने उनके खिलाफ सस्पेंशन का प्रस्ताव दिया. वहीं, 11 अगस्त को राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा को मिसकंडक्ट और विशेषाधिकार के उल्लंघन को लेकर निलंबित कर दिया गया था. उन पर चार सासंदों ने यह आरोप लगाया था कि उनकी अनमुति के बिना चड्ढा ने एक प्रस्ताव में सांसदों का नाम शामिल किया था.


फरवरी 2023
10 फरवरी को बजट सत्र के दौरान कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल को सदन की कार्यवाही की वीडियोग्राफी करने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था. बीजेपी ने उनके खिलाफ शिकायत की, जिस पर जगदीप धनखड़ ने एक्शन लेते हुए रजनी पाटिल को निलंबित कर दिया था.


2022 का मानसून सत्र
26 जुलाई, 2022 को 19 सांसदों ने मूल्य और जीएसटी में वृद्धि को लेकर चर्चा की मांग की थी. इससे एक दिन पहले लोकसभा अध्यक्ष ने 374 रूल के तहत चार सांसदों मनिकम टैगोर, राम्या हरिदास, टीएन प्रतापन और एस जोठीमणी को निलंबित कर दिया था. 


2021 के शीतकालीन सत्र में निलंबित हुए थे 12 सांसद
29 नवंबर, 2021 को राज्यसभा में हंगामा करने और अनुचित व्यवहार के लिए शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन 12 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. निलंबित सांसदों में से 6 कांग्रेस के, दो टीएमसी के, दो शिवसेना के, एक सीपीआई और एक सीपीआई(एम) के थे.


2020 का मानसून और बजट सत्र
21 सितंबर, 2020 को मानसून सत्र के दौरान सदन में अनुचित व्यवहार के लिए राज्यसभा के 8 सांसद सस्पेंड किए गए थे. सरकार ने इन सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव दिया था. इसी साल 5 मार्च के बजट सत्र में लोकसभा में सात कांग्रेस सांसदों ने हंगामा किया और स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचकर उनकी टेबल से पेपर खींच लिए थे. सांसद राजस्थान से बीजेपी के सांसद के उस बयान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें उन्होंने जांच की मांग करते हुए कहा था कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर से देश में कोरोना वायरल फैला है. उस दौरान, इटली में कोरोना पीक पर था और वहां बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले सामने आ रहे थे.


2019 का शीतकालीन सत्र
11 नवंबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस सांसद हिबी इडेन और टीएन प्रतापन को निलंबित कर दिया था. उन्होंने महाराष्ट्र में बीजेपी नीत सरकार के तड़के सुबह शपथ ग्रहण के खिलाफ सदन में हंगामा कर कार्यवाही बाधित करने की कोशिश की थी. इस दौरान, उन्होंने हाथों में प्लेकार्डस लेकर खूब नारेबाजी की थी. 


2019 में 45 सांसदों का निलंबन
लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने टीडीपी और एआईएडीएमके के सांसदों को सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करने के लिए सस्पेंड कर दिया था. पहले 24 एआईएडीएमके सांसदों को 5 दिन के लिए सस्पेंड किया गया और अगले दिन 21 और सांसदों को भी निलंबित कर दिया गया था.


2015 में लोकसभा से निलंबित किए गए थे 25 सांसद
साल 2015 में 25 लोकसभा सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. उन्होंने सदन में हंगामा किया और खूब नारेबाजी की थी.


2014 में निलंबुत हुए 18 एमपी
साल 2018 में तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार ने सदन में हंगामा करने के लिए आंध्र प्रदेश के 18 सांसदों को निलंबित कर दिया था. ये तेलंगाना मामले को लेकर सदन में हंगामा कर रहे थे.


साल 2013 में 12 सांसदों को किया गया था निलंबित
साल 2013 में 12 सांसदों को 5 दिन से लगातार हंगामा करने के बाद निलंबित कर दिया गया था. ये सांसद आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य बनाए जाने का विरोध कर रहे थे.


2012 में लोकसभा से 8 सांसद निलंबित
साल 2012 में यूपीए सरकार ने कांग्रेस के 8 सांसदों के सस्पेंशन का प्रस्ताव दिया था. ये सभी तेलंगाना क्षेत्र से थे और तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे थे. इस हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हो रही थी.


2010 में 7 सांसद हुए थे सस्पेंड
साल 2010 में महिला आरक्षण बिल को लेकर सदन में हंगामा हुआ था. इस दौरान, सदन में अनुचित व्यवहार करने के लिए 7 सांसद सस्पेंड हुए थे.


1989 में किया गया था 63 सांसदों को निलंबित
1989 में राजीव गांधी की सरकार के दौरान इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट पेश की गई थी, जिस पर सदन में खूब हंगामा हुआ था. इसके चलते 63 सांसदों को निलंबित किया गया था और 4 और सांसद भी उनके साथ वॉकआउट कर गए थे.


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