Ram Mandir Pran Pratishtha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से भेजे के गए एक पत्र का जवाब देते हुए कहा है कि यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय विरासत और संस्कृति को और समृद्ध करने के साथ ही देश की विकास यात्रा को नए उत्कर्ष पर ले जाएगा.


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुभकामनाएं देते हुए पत्र लिखा. पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक X हैंडल से राष्ट्रपति की ओर से भेगे पत्र को शेयर किया है. इसी के साथ पीएम मोदी ने लिखा, ''माननीय राष्ट्रपति जी, अयोध्या धाम में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर शुभकामनाओं के लिए आपका बहुत-बहुत आभार. मुझे विश्वास है कि यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय विरासत एवं संस्कृति को और समृद्ध करने के साथ ही हमारी विकास यात्रा को नए उत्कर्ष पर ले जाएगा.''






राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पत्र में ये लिखा


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में कहा, ''अयोध्या धाम में नए मंदिर में प्रभु श्रीराम की जन्म स्थली पर स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आप विधिवत तपश्चर्या कर रहे हैं. इस अवसर पर मेरा ध्यान इस महत्वपूर्ण तथ्य पर है कि उस पावन परिसर में आपके द्वारा संपन्न की जाने वाली अर्चना से हमारी अद्वितीय सभ्यतागत यात्रा का एक ऐतिहासिक चरण पूरा होगा.''


राष्ट्रपति ने लिखा, ''आपके द्वारा किया गया 11 दिवसीय कठिन अनुष्ठान पवित्र धार्मिक पद्धतियों का अनुसरण मात्र नहीं है, बल्कि त्याग की भावना से प्रेरित सर्वोच्च आध्यात्मिक कृत्य है तथा प्रभु श्रीराम के प्रति संपूर्ण समर्पण का आदर्श है. आपकी अयोध्या धाम की यात्रा के इस पावन अवसर पर मैं आपको अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं. अयोध्याधाम में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के उद्घाटन से जुड़े देशव्यापी उत्सवों के वातावरण में भारत की चिरंतन आत्मा की उन्मुक्त अभिव्यक्ति दिखाई देती है. यह हम सभी का सौभाग्य है कि हम सब अपने राष्ट्र के पुनरुत्थान के एक नए कालचक्र के शुभारंभ के साक्षी बन रहे हैं.''


उन्होंने लिखा, ''प्रभु श्रीराम द्वारा साहस, करुणा और अटूट कर्तव्यनिष्ठा जैसे जिन सार्वभौमिक मूल्यों की प्रतिष्ठा की गई थी उन्हें इस मंदिर के माध्यम से जन जन तक पहुंचाया जा सकेगा.''


'प्रभु श्रीराम हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के सर्वोत्तम आयामों के प्रतीक'


राष्ट्रपति मुर्मू ने पत्र में लिखा, ''प्रभु श्रीराम हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के सर्वोत्तम आयामों के प्रतीक हैं. वे बुराई के विरुद्ध निरंतर युद्धरत अच्छाई का आदर्श प्रस्तुत करते हैं. हमारे राष्ट्रीय इतिहास के अनेक अध्याय प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र और सिद्धांतों से प्रभावित रहे हैं तथा रामकथा के आदर्शों से राष्ट्र निर्माताओं को प्रेरणा मिली है. गांधी जी ने बचपन से ही राम नाम का आश्रय लिया और उनकी अंतिम सांस तक राम नाम उनकी जिव्हा पर रहा. गांधीजी ने कहा था कि यद्यपि मेरी बुद्धि और हृदय ने बहुत पहले ही ईश्वर के सर्वोच्च गुण और नाम को सत्य के रूप में अनुभव कर लिया था, मैं सत्य को राम के नाम से ही पहचान ता हूं. मेरी अग्निपरीक्षा के सबसे कठिन दौर में राम का नाम ही मेरा रक्षक रहा है और अब भी वह नाम ही मेरी रक्षा कर रहा है.''


उन्होंने लिखा, ''लोगों की सामाजिक पृष्ठभूमि से प्रभावित हुए बिना भेदभाव से मुक्त रहकर हर किसी के साथ प्रेम और सम्मान का व्यवहार करने के प्रभु श्रीराम के आदर्शों का हमारे पथ प्रदर्शक विचारकों की बौद्धिक चेतना पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है.''


दिखाई देता है प्रभु श्रीराम की रीति का प्रभाव- राष्ट्रपति मुर्मू


राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे लिखा, ''न्याय और जन कल्याण पर केंद्रित प्रभु श्रीराम की रीति का प्रभाव हमारे देश के शासन संबंधी वर्तमान दृष्टिकोण पर भी दिखाई देता है. इसका उदाहरण हाल ही में आपके द्वारा अति पिछड़े जन-जातीय समुदायों के कल्याण हेतु 'पीएम जनमन' पहल के तहत अनेक लाभकारी सहायताओं की पहली किस्त जारी करने में स्पष्ट दिखाई दिया. आपके द्वारा अपने संबोधन में माता शबरी का उल्लेख करने से एक हृदयस्पर्शी अनुभूति हुई. निश्चय ही प्रभु श्रीराम के मंदिर के साथ-साथ जन कल्याण कार्यो को देखकर माता शबरी को दोहरा संतोष प्राप्त होगा.''


उन्होंने लिखा, ''प्रभु श्रीराम हमारी भारत-भूमि के सर्वोत्तम आयामों का प्रतीक हैं. वस्तुतः वे पूरी मानवता के सर्वोत्कृष्ट पक्षों के प्रतीक हैं. मेरी प्रार्थना है कि प्रभु श्रीराम विश्व-समुदाय को सही मार्ग पर ले जाएं, वे सभी के जीवन में सुख और शांति का संचार करें. सियावर रामचन्द्र की जय!''


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