नई दिल्लीः रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति चुने गए हैं और 25 जुलाई को शपथग्रहण के साथ ही उनका आधिकारिक कार्यकाल शुरू हो जाएगा. देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने वाले रामनाथ कोविंद अगले 5 साल राष्ट्रपति भवन में रहेंगे. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति का निवास स्थान खुद में ही काफी भव्य है. चार मंजिल वाले इस भवन में कुल 340 कमरे हैं, जिसे बनने में डेढ़ दशक यानी 15 साल से ज्यादा का समय लगा था.



देश के 14वें राष्ट्रपति की तलाश पूरी होने के साथ ही राष्ट्रपति भवन को एक नया स्वामी भी मिल गया है. भारत की आजादी से 18 साल पहले बने इस भवन के बारे में कई ऐसी खास बातें हैं जो हर देशवासी को जरुर जाननी चाहिए. रामनाथ कोविंद जिस भव्य राष्ट्रपति भवन में रहने वाले हैं जुड़े कुछ फैक्ट्स हैं जिन्हें जानकर आपको हैरानी होगी.



चार मंजिल वाले राष्ट्रपति भवन में 340 कमरे
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति का निवास स्थान खुद में ही काफी भव्य है. चार मंजिल वाले इस भवन में कुल 340 कमरे हैं, जिसे बनने में डेढ़ दशक से अधिक का समय लगा था.


1.4 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ यह भवन
आपको बता दें कि इस भवन के निर्माण के लिए 4,00,000 पाउंड का बजट मंजूर किया गया था लेकिन बनते-बनते लागत बढ़कर 8,77,136 पाउंड यानी उस समय के करीब 12.8 मिलियन रुपए तक पहुंच गई. इस इमारत के साथ-साथ मुगल गार्डन और कर्मचारियों के रहने के लिए आवास का भी निर्माण किया गया. जिससे यह लागत करीब 14 मिलियन यानी 1.4 करोड़ रुपए तक पहुंच गया.



4 साल की जगह 17 साल का समय
आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि राष्ट्रपति भवन को 4 सालों में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन इस इमारत के बनने में 17 साल का लम्बा समय लग गया. खास बात यह है कि 18वें साल देश आजाद हो गया.


70 करोड़ ईंट से बनी ये इमारत
तकरीबन 2 लाख वर्गफीट में बने इस भवन में 700 मिलियन यानी 70 करोड़ ईंट और तीन मिलियन यानी 30 लाख क्यूबिक फीट पत्थर का प्रयोग किया गया था. विशालता और भव्यता के लिहाज से, दुनिया के कुछ ही राष्ट्राध्यक्षों के राष्ट्रपति भवन इसकी बराबरी कर पाएंगे.



ह्यूज कीलिंग थे इस भवन के चीफ इंजीनियर
राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट के मुताबिक इस भवन के वास्तुकार एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स जबकि चीफ इंजीनियर ह्यूज कीलिंग थे. इसके अलावा कई भारतीय ठेकेदारों ने इस इमारत को बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है.


जानें कब से बदला गया इसका नाम ?
26 जनवरी, 1950 को जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति बने और उन्होंने इस भवन में निवास करना शुरू किया, उसी दिन से इस भवन का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया जबकि इससे पहले इस भवन का नाम वॉयसराय हाउस था.




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