लखनऊ: रामपुर की सियासत का किंग खान कौन? वैसे तो पिछले चार दशकों से ये इलाक़ा आज़म खान का माना जाता है. लेकिन क्या इस बार वे अपना गढ़ बचा पायेंगें. या फिर बीजेपी आज़म को उनके ही घर में घेरने में कामयाब हो जाएगी. 21 अक्टूबर को रामपुर में विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान होगा. 24 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी. आज़म खान के रामपुर से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद ये सीट खाली हो गई थी.


कहते हैं न मुसीबत आती है तो चारों तरफ़ से. कुछ यही हाल है आजम खान का. जिस नेता की यूपी में तूती बोलती थी, आज उन पर भैंस की चोरी का केस है. डकैती से लेकर जमीन क़ब्ज़े के 81 मुक़दमे पिछले दो महीनों में दर्ज हो चुके हैं. लेकिन इन सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने अपनी राजनैतिक जमीन बचाने की है.


रामपुर से वे 9 बार विधायक चुने गए. समाजवादी पार्टी के वे संस्थापक नेता रहे हैं. पार्टी के वे मुस्लिम चेहरा माने जाते रहे हैं. आज़म का रूतबा ऐसा कि उनकी ज़िद के आगे मुलायम से लेकर अखिलेश यादव तक की नहीं चली. उनकी पत्नी तंजीम राज्य सभा सांसद हैं और छोटे बेटे अब्दुल्ला विधायक हैं.


लेकिन अब आजम मुक़दमों के जाल में घिर गए हैं. ताक़तवर बीजेपी ने उन्हें परास्त करने के लिए सारे घोड़े खोल दिए हैं. आज़म की पत्नी और बेटे से लेकर मां तक पर मुक़दमे दर्ज हो चुके हैं. उनका एक पाँव रामपुर में रहता है तो दूसरा कोर्ट कचहरी में.


मुलायम ने उनके समर्थन में प्रेस कनफ़्रेंस किया. अखिलेश तो रामपुर ही चले गए. लेकिन समाजवादी पार्टी आज़म खान के लिए कोई माहौल बनाने में फ़ेल रही.


लोकसभा चुनाव में बीएसपी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन था. जो अब टूट गया है. बीएसपी ने रामपुर से ज़ुबैर मसूद खान को टिकट दिया है. वैसे बीएसपी दस सालों बाद उप चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने भी अरशद अली खान उर्फ़ गुड्डू को टिकट दिया है. जो पेशे से वकील हैं.


नवरात्र शुरू होते ही बीजेपी भी अपने उम्मीदवार का एलान कर देगी. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी तो आज़म खान की है. उनकी जगह पर कौन चुनाव लड़े ? अप तक तय नहीं हो पाया है. आज़म खान ख़ुद चुनाव लड़ते तो बात और हालात कुछ और होते.


बीजेपी को लग रहा है यही मौक़ा है जब रामपुर को आज़म खान से छीन लिया जाए. डिंपल यादव से बीजेपी पहले ही कन्नौज छीन चुकी हैं. अब पार्टी हर हाल में आज़म खान को निपटाने की जुगत में है. इसीलिए ये चुनाव आज़म के लिए नाक की लड़ाई बन गई है.