ED Raid In Jharkhand: टेंडर कमीशन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के रांची में ED की रेड लगातार जारी है. अब तक की रेड के दौरान ED 37 करोड़ से ज्यादा की रकम बरामद कर चुकी है. बुधवार को भी ED की रेड जारी रही. कैश कांड मामले मैं गिरफ्तार ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल को लेकर ED की टीम झारखंड के मंत्रालय में स्थित उनके दफ्तर पहुंची. ED की टीम ने करीब साढ़े 3 घंटे तक वहां पर जांच की और सर्च ऑपरेशन चलाया.
इस दौरान ED ने संजीव लाल के दफ्तर से 1 लाख 75 हजार के नए नोट और 28 हजार के 500 के नोट की पुरानी करंसी बरामद की. इतना ही नहीं ED ने दफ्तर से कुछ जरूरी दस्तावेज भी बरामद किए है. जिससे संजीव लाल का अपराध सिद्ध होता है. संजीव लाल और उसका नौकर 6 दिन की ED रिमांड पर है.
क्या था पूरा मामला
दरअसल, झारखंड की एंटी करप्शन ब्रांच ने 14 नवंबर 2019 को झारखंड के ग्रामीण विभाग के एक जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को 10 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था. ये रिश्वत विकास शर्मा नाम के एक ठेकेदार से ली जा रही थी. ठेकेदार विकास शर्मा ने इसकी शिकायत झारखंड के एंटी करप्शन ब्रांच में की थी. विकास शर्मा ने एंटी करप्शन ब्रांच को बताया था कि एक टेंडर का एक बिल पास करने की एवज में सुरेश प्रसाद वर्मा 28 हजार की रिश्वत मांग रहा है. रिश्वत की पहली किश्त 10 हजार रुपए मांगी गई थी.
इसके बाद 15 नवंबर 2019 को एंटी करप्शन ब्रांच ने सुरेश प्रसाद वर्मा के घर की पहली मंजिल पर छापा मारा. इस मंजिल पर आलोक रंजन नाम का एक शख्स किराए पर रहता था. छापेमारी की दौरान एंटी करप्शन ब्रांच ने 2.67 करोड रुपए भी बरामद किए. जब आलोक रंजन से पूछताछ की गई तो वो पैसों के बारे में कोई जवाब नहीं दे पाया लिहाजा उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया.
ऐसे हुई इस मामले में ED की एंट्री
एंटी करप्शन ब्रांच ने जांच को आगे बढ़ाया. दोनों को रिमांड पर लिया गया और पूछताछ की गई. पूछताछ में आरोपी जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा ने बताया कि आलोक रंजन ग्रामीण विभाग में तैनात चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम का चचेरा भाई है और चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम और उनकी पत्नी अक्सर आलोक रंजन से मिलने घर पर आते थे और बरामद रकम 2.67 करोड़ का मालिक चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम है. क्योंकि ये मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा था इसलिए इस मामले में ED की एंट्री हुई. झारखंड एंटी करप्शन ब्रांच की FIR को आधार बनाकर ED ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू की और चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम को गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ में हुए चौंकाने वाले खुलासे
पूछताछ के दौरान चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम ने बताया था कि वो किसी भी ठेकेदार को टेंडर देने के लिए कमीशन के नाम पर रिश्वत लेता था. वीरेंद्र कुमार राम ने ये भी खुलासा किया था कि रिश्वत का पैसा सरकारी अधिकारी ब्यूरोक्रेट्स और पॉलीटिशियंस तक पहुंचाया जाता था. जब ED में चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम और उसके परिवार के बैंक खातों की जांच की तो उसमें करोड़ों रुपए पाए गए. जांच में ये भी सामने आया कि आरोपी वीरेंद्र कुमार राम ने अपने पिता गेंदा राम, पत्नी राजकुमारी और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर चल और अचल संपत्ति जमा की. ये सारी संपत्ति रिश्वत के पैसों से बनाई गई थी.
जांच में ये भी पता चला कि वीरेंद्र कुमार राम और उनकी पत्नी के जॉइंट अकाउंट में 2014-15 से लेकर 2018-19 तक 9.30 करोड़ जमा हुए. इतना ही नहीं जांच में ये भी सामने आया कि आरोपी वीरेंद्र कुमार राम के पिता के बैंक खाते में 21/12/22 से 23/01/23 यानी 31-32 दिनों में 4.5 करोड़ रुपए जमा हुए. ये रकम मुकेश और मोहित मित्तल नाम के चार्टर्ड अकाउंटेंट के खातों से जमा की गई.
CA मुकेश मित्तल से क्या मिला सुराग?
जब ED ने CA मुकेश मित्तल से पूछताछ की तो उसने बताया कि आरोपी चीफ इंजीनियर ने उसे 5 करोड़ रुपए कैश दिए थे. उन पैसों का इस्तेमाल उनके पिता गेंदा राम के नाम पर दिल्ली के पॉश इलाके में संपत्ति खरीदने के लिए किया गया था. इसलिए वो रकम आरोपी के पिता के खाते में जमा करवाई गई थी.
ED की जांच में नौकरशाहों और राजनेताओं के नाम सामने आए
तलाशी के दौरान ED को आरोपी वीरेंद्र कुमार राम के घर से ग्रामीण विभाग में टेंडर देने के बदले रिश्वत से संबंधित कई दस्तावेज भी मिले थे. जांच में सामने आया था कि आरोपी चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम ने टेंडर देने में और निजी संस्थाओं को काम देने में एक भूमिका निभाई और रिश्वत का कमीशन ऊंचे पदों पर बैठे नौकरशाहों और राजनेताओं सहित सरकार के बड़े अधिकारियों पहुँचाया. ED की जांच में कई बड़े नौकरशाहों और राजनेताओं का नाम सामने आया था जिसकी जांच ED लगातार कर रही थी.
ED ने जांच के बार मारी रेड
इसी जांच को आगे बढ़ाते हुए ED ने सोमवार को रांची में 6 ठिकानों पर रेड की और इस रेड की. ये रेड झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल और संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के घर समेत 6 जगहों पर हुई. इस रेड के दौरान ED ने संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के घर से 32.20 करोड़, एक अन्य करीबी के ठिकाने से 2.93 करोड़ और संजीव लाल के ठिकाने से 10.5 लाख रुपये बरामद किए. दोनों को गिरफ्तार भी किया गया. निजी सचिव संजीव लाल और नौकर जहांगीर को अदालत में पेश किया गया. जहां ED ने दोनों की 10 दिन की रिमांड की मांग की और अदालत ने दोनों की 6 दिन की रिमांड दी.
ED ने कोर्ट को क्या बताया?
ED ने अदालत को बताया कि टेंडर से आया ये कमीशन संजीव लाल इक्कठा करता था और वीरेंद्र कुमार राम ने पूछताछ के दौरान ये कबूल भी किया था कि संजीव लाल को उनके द्वारा जारी टेंडर की एवज में सितंबर 2022 तक करोड़ो रूपये की मोटी रकम मिली है. ED ने अदालत को बताया कि रिश्वत का ये पैसा विभाग के तमाम अधिकारियों और राजनेताओं के बीच बराबर बांटा जाता था. इतना ही नहीं ED ने अदालत को ये भी बताया कि कमीशन का पैसा सरकारी अधिकारियों तक भी पहुंचाया जाता है. इसके अलावा ED ने बताया कि जांच के दौरान कई नौकरशाहों और राजनेताओं के नाम सामने आए हैं. जिनकी जांच की जा रही है.
ED ने ये भी बताया कि ग्रामीण विकास विभाग के ऊपर से नीचे तक के कई अधिकारी इस गठजोड़ में शामिल हैं और टेंडर के जरिए रिश्वत लेने का खेल चल रहा था. इस मामले हमें कुछ ब्यूरोक्रेट और सफेदपोश के बारे में पता चला है जिसकी जांच करनी है.
संजीव लाल के कहने पर रखे थे पैसे
ED ने अदालत को बताया कि आरोपी जहांगीर आलम के घर से जो पैसे मिले है वो संजीव लाल के कहने पर रखे थे. जिसे उसने कुछ प्रभावशाली लोगों की और से इकट्ठा किया था. जांच के दौरान ये बात सामने आई है कि दूसरे असिस्टेंट इंजीनियर भी टेंडर से मिलने वाले कलेक्शन और उसके डिस्ट्रीब्यूशन में शामिल थे. अब इस मामले में सबसे बड़ा सवाल ये है कि ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को क्या इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. निजी सचिव रिश्वत का इतना बड़ा खेल कर रहा था और उन्हें भनक तक नहीं थी. क्या ED का शिकंजा अब ग्रामीण विकास मंत्री पर कसने वाला है. ये वो तमाम सवाल है जिनके जवाब ED तलाश रही है.
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