Ranchi Violence: रांची हिंसा में उपद्रवियों के पोस्टर को लेकर गहराया विवाद, गृह सचिव ने SSP को भेजा नोटिस
Show Cause Notice On Posters: गृह, कारा और आपदा विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का ने रांची के SSP सुरेंद्र कुमार झा को नोटिस भेज कर उपद्रवियों के पोस्टर लगाने की कार्रवाई को गलत बताया है.
Ranchi Violence: झारखंड में उपद्रवियों के पोस्टर (Miscreants Posters) हटाए जाने को लेकर मामला काफी गरमा गया है. इस बीच गृह सचिव ने रांची एसएसपी से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है. प्रमुख सचिव (गृह, जेल और आपदा प्रबंधन) राजीव अरुण एक्का (Rajiv Arun Ekka) ने रांची के एसएसपी (Ranchi SSP) सुरेंद्र कुमार झा (Surindra Kumar Jha) को कारण बताओ नोटिस (Show-Cause Notice) जारी कर स्पष्टीकरण मांगा कि कथित तौर पर हिंसा फैलाने से जुड़े लोगों की तस्वीरें क्यों लगाई गईं?
रांची में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने वालों की धरपकड़ के लिए राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को उपद्रवियों की तस्वीरें लगाने के निर्देश दिए थे ताकि आम लोग उनकी पहचान करने में पुलिस को मदद कर सकें. सोमवार को पोस्टर्स काफी तेजी से लगाए गए थे लेकिन उतनी ही जल्दी उतार भी लिए गए. कारण बताया गया था कि इसमें संशोधन किया जाना है.
गृह सचिव ने पोस्टर को लेकर SSP को भेजा नोटिस
गृह कारा और आपदा विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का ने रांची के SSP सुरेंद्र कुमार झा से उपद्रवियों के पोस्टर को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है. इस पर दो दिन के अंदर जवाब मांगा है. राजीव अरुण एक्का ने SSP को नोटिस भेज कर उपद्रवियों के पोस्टर लगाने की कार्रवाई को गलत बताया और इस बाबत इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक आदेश का हवाला दिया. राजीव अरुण एक्का ने कहा कि उपद्रवियों के जो पोस्टर लगाए गए उसमें कई व्यक्तियों के फोटो, नाम और विवरण दिए गए थे जो कि गलत है.
राजीव अरुण एक्का ने नोटिस में क्या कहा?
राजीव अरुण एक्का (Rajiv Arun Ekka) ने कहा कि ये इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा PIL संख्या 532/2020 में 9 मार्च 2020 को पारित न्यायादेश के विरुद्ध है. इस आदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सड़क किनारे लगे बैनर और पोस्टर को हटाने के निर्देश UP सरकार को दिए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UP सरकार को निर्देश दिया था कि बिना कानूनी अधिकार के व्यक्तियों के बारे में व्यक्तिगत जानकारी वाले बैनर सड़क किनारे नहीं लगाएं. यह लोगों की निजता में एक अनुचित हस्तक्षेप है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन है.
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