हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: कांग्रेस के दिग्गज नेता रणदीप सुरेजवाला पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के बनने के बाद अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं. लेकिन इस मुकाम पर पहुंचने से पहले रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा की राजनीति में लंबा सफर तय किया है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे रणदीप सुरजेवाला ने दो बार हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को विधानसभा चुनाव में मात दी है.


पिता भी थे कांग्रेस के नेता


रणदीप सुरजेवाला का जन्म 3 जून 1967 को चंडीगढ में हुआ था. रणदीप सुरजेवाला के पिता शेमशेर सिंह सुरजेवाला कांग्रेसी नेता थे और वह चार बार विधानसभा पहुंचे. 1993 में शमशेर सिंह सुरजेवाला ने लोकसभा के उपचुनाव में भी जीत दर्ज की थी. इसके बाद उनके विधानसभा सीट खाली हुई जिस पर जीत दर्ज करके रणदीप सुरजेवाला ने अपने राजनीतिक करियर की पहली जीत दर्ज की.


हालांकि विधायक बनने से काफी पहले सुरजेवाला कांग्रेस में एक्टिव हो चुके थे. सुरजेवाला पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के दौरान ही इंडियन यूथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. 1996 में रणदीप सुरजेवाला के करियर में अहम मोड़ उस वक्त आया जब विधानसभा चुनाव में उन्होंने तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके ओमप्रकाश चौटाला को विधानसभा चुनाव में मात दी. इसके बाद 2000 में रणदीप सुरजेवाला इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए.


2004 में पार्टी में बढ़ा कद


2004 के लोकसभा चुनाव के बाद रणदीप सुरजेवाला का कद और बढ़ गया. सुरजेवाला को 2004 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. 2005 में रणदीप सुरजेवाला ने एक बार फिर से ओमप्रकाश चौटाला को विधानसभा चुनाव में हराने में कामयाब रहे. इसके बाद हुड्डा सरकार में सुरजेवाला को पीडब्लूडी जैसे अहम मंत्रालय दिए गए.



2014 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की करारी हार के बावजूद रणदीप सुरजेवाला अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. राहुल गांधी के कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने के बाद सुरजेवाला की एंट्री राष्ट्रीय राजनीति में हो गई. राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में सुरजेवाला का कद और बढ़ा.


हालांकि साल 2019 की शुरुआत सुरजेवाला के लिए अच्छी नहीं रही. जनवरी 2019 में हरियाणा की जींद विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए रणदीप सुरजेवाला को उम्मीदवार बनाया गया. सुरजेवाला तीसरे नंबर पर रहे और उन्हें करीब 20 हजार वोट मिले. सुरजेवाला के लिए यह बड़ा झटका इसलिए भी था क्योंकि चुनाव से 2 महीने पहले बनी जननायक जनता पार्टी के कैंडिडेट दिग्विजय चौटाला उपचुनाव में करीब 38 हजार वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे. 2019 के विधानसभा चुनाव में सुरजेवाला के सामने एक बार फिर से अपनी कैथल सीट बचाए रखने की चुनौती होगी.


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