नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने दो दिन में बंगला खाली कर मिसाल कायम की है. पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को 5 कृष्णा मेनन मार्ग पर बंगला आवंटित किया गया था. गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हुए थे. लेकिन रिटायरमेंट के दो दिन बाद यानी 20 नवंबर को ही उन्होंने बंगला खाली कर दिया. रंजन गोगोई रिटायरमेंट के बाद असम में अपने घर रहने चले गये.


अपनी अलग कार्यशैली के चलते जाने जाते हैं गोगोई


गौरतलब है कि रिटायर होने वाले नौकरशाह या नेता जल्दी बांगला नहीं खाली करते. अधिकारियों को उनसे बंगला खाली कराने में पसीने निकल आते हैं. पूर्व सांसदों से बंगला खाली कराने को लेकर पुलिस की मदद तक ली जा चुकी है. सांसदों के बंगला प्रेम के चलते लोक आवास (अनाधिकृत कब्जा खाली कराना) अधिनियम के तहत सरकार कार्रवाई कर चुकी है.


19 अगस्त को करीब 200 पूर्व सांसदों को एक सप्ताह के भीतर बंगला खाली करने का आदेश दिया गया था. और ऐसा नहीं होने पर तीन दिन के भीतर बिजली, पानी और गैस कनेकश्न काटने की चेतावनी जारी की गई थी. जबकि नियमानुसार पूर्व सांसदों को संबंधित बंगला लोकसभा भंग होने के एक महीने के भीतर खाली करना होता है.


रंजन गोगोई पद पर रहते अपनी अलग कार्यशैली के चलते जाने जाते हैं. मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेते ही उन्होंने अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक कर अन्य जजों के लिए पारदर्शिता का रास्ता दिखाया . इससे पहले न्यायिक सेवा में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर अदालत से पारदर्शिता की उम्मीद की जा रही थी. जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल की जा चुकी थी. जिसमें जजों की संपत्ति को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी. रंजन गोगोई का दूसरा अहम फैसला अपने पद पर रहते हुए मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को सूचना के दायरे में लाने वाला रहा है.