हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: हरियाणा में यादव समुदाय के सबसे बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत विधानसभा चुनाव में अपनी बेटी आरती को बीजेपी का टिकट दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हालांकि रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बेटी को टिकट दिलाने के लिए राव इंद्रजीत अपना पद छोड़ने को तैयार हैं. 2014 में सीएम पद के दावेदारों में रहे राव इंद्रजीत ने गुडगांव, महेंद्रगढ और रेवाड़ी में बीजेपी को बड़ी कामयाबी दिलाई थी.


पूर्व सीएम के बेटे


राव इंद्रजीत के पिता बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे सीएम रहे. बीरेंद्र सिंह ने कई बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की. इंद्रिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में बीरेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री भी रहे. 1998 में बीरेंद्र सिंह ने राजनीति से संन्यास ले लिया था. वहीं राव इंद्रजीत 1977 में पहली बार हरियाणा विधानसभा पहुंते. लोकसभा पहुंचने से पहले राव इंद्रजीत भजनलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.


1998 में राव इंद्रजीत ने महेंद्रगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1999 के लोकसभा चुनाव में इंद्रजीत को हार का सामना करना पड़ा. 2004 में राव इंद्रजीत महेंद्रगढ़ से दूसरी बार सांसद चुने गए. 2009 में परिसीमन के दौरान रेवाड़ी गुडगांव लोकसभा क्षेत्र में आ गया. चूंकि रेवाड़ी जिले में ही सबसे ज्यादा यादव हैं इसलिए 2009 का लोकसभा चुनाव राव इंद्रजीत ने गुडगांव से लड़ा और जीत हासिल की. यूपीए वन में भी राव इंद्रजीत को केंद्रीय मंत्री बनाया गया.


2013 में कांग्रेस से अलग हुए


2009 में राव इंद्रजीत को केंद्रीय मंत्री नहीं बनाया गया. इसके बाद राव इंद्रजीत की कांग्रेस से दूरियां बढ़ने लगी. लोकसभा सांसद रहते हुए राव इंद्रजीत ने हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मोर्चा खोला. राव इंद्रजीत हुड्डा पर आरोप लगाते थे कि सीएम केवल अपने रोहतक इलाके का विकास कर रहे हैं. 2013 में हुड्डा से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद राव इंद्रजीत ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया.


2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राव इंद्रजीत बीजेपी में शामिल हो गए. 2014 में गुड़गांव से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राव इंद्रजीत को रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री का प्रभार दिया गया. 2019 में भी राव इंद्रजीत ने गुड़गांव से जीत दर्ज की है और वह मोदी 2 सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं.


बेटी को टिकट दिलाने के लिए कर रहे हैं संघर्ष


राव इंद्रजीत सिंह अपने बेटी आरती राव को विधानसभा चुनाव का टिकट दिलाना चाहते हैं. हालांकि बीजेपी की बैठक में साफ हो चुका है कि सांसद के परिवार के सदस्यों को टिकट नहीं दिया जाएगा. लेकिन राव इंद्रजीत सिंह ने बीरेंद्र सिंह की तरह दांव चलते हुए बेटी को टिकट दिलाने के लिए अपना पद छोड़ने की बात कही है.


हरियाणा: पूर्व राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने इसलिए अख्तियार किए हैं बागी तेवर