Asaram Bapu Life Imprisonment: आसाराम बापू को गांधीनगर की अदालत ने दुष्कर्म के मामले में सजा सुना दी है. सेशन कोर्ट ने आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई है. उसके खिलाफ ये मामला साल 2013 में दर्ज किया गया था. जिस मामले में आसाराम को सजा मिली है उसकी शिकायत अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज कराई गई थी.
इस शिकायत के मुताबिक पीड़ित महिला के साथ साल 2001 से लेकर 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म हुआ था. पीड़ित महिला ने आसाराम और 7 अन्य लोगों के खिलाफ दुष्कर्म और अवैध तरीके से संबंध बनाने का मामला दर्ज कराया था, जिसमें आसाराम की पत्नी और बेटी को भी आरोपी बनाया गया था. हालांकि कोर्ट ने सजा सिर्फ आसाराम को ही सुनाई है, बाकी लोगों को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया है. आसाराम को सजा मिलने के बाद पीड़ित परिवार ने अपनी दर्दभरी दास्तान भी बयां की की है. तो आइए जानते हैं क्या कुछ कहा पीड़ित परिवार ने.
साल 2002 में परिवार आसाराम से जुड़ा
अतीत की बात करते हुए पीड़ित परिवार ने एक समाचार चैनल से कहा, “साल 2002 में आसाराम से जुड़ना हुआ. फिलहाल तो ये सोचकर भी गुस्सा आता है कि ये फैसला ही क्यों लिया? वो दौर कुछ अलग था. अच्छा खासा काम चल रहा था. पैसे की कोई कमी नहीं थी लेकिन एक उदासी मन में घर बनाने लगी थी. मन में मोक्ष प्राप्त करने की जिज्ञासा होने लगी थी. उसी दौरान परिवार आसाराम से जुड़ गया और हमारे खानपान के साथ साथ जीवनशैली में भी परिवर्तन आने लगा. घर में टीवी पर मनोरंजन के चैनल छोड़ धार्मिक चैनल चलने लगे, अखबार और मैग्जीन की जगह आश्रम के साहित्य ने ली थी.”
आसाराम की भक्ति में किया पैसा बर्बाद
पीड़ित परिवार ने आगे बताते हुए कहा, “आसाराम के आश्रम और उसकी भक्ति में परिवार ने बहुत पैसे बर्बाद किए. शुरुआत में अपनी कमाई का 10 प्रतिशत उसी पर खर्च कर देते थे. फिर आसाराम ने दिमाग इस तरह से घुमाया कि लगने लगा कि पैसा रखकर क्या करेंगे, धर्म के काम में लगाना चाहिए. इसके बाद हम अपनी कमाई का 80 प्रतिशत तक इसी पर खर्च करने लगे. शहर में सत्संग कराया, आश्रम के लिए जमीन खरीदी. वो कहता था कि दान पुण्य से तुम्हारी आगे की पीढ़ियां तर जाएंगीं. हम लोग भी सोचते थे क्या करेंगे पैसा बचाकर.”
इस तरह बेटी को भेजा आश्रम
परिवार ने आसाराम की घिनौनी करतूतों को याद करते हुए आगे बताया, “इसके बाद हमें आसाराम के गुरुकुल के बारे में पता चला. जब बेटी सातवीं कक्षा में पढ़ती थी तभी उसको गुरुकुल में भर्ती करा दिया था. इस गुरुकुल में वो पांच साल तक रही. जब वो 12वीं कक्षा में थी तब पहली बार उसकी काली करतूतों के बारे में पता चला. मेरी बेटी के साथ उसने जो किया, उसके बाद तो मानो दुनिया ही लुट गई. जो भी अंधविश्वास था वो एक बार में ही खत्म हो गया. पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. उसके बाद जो परिवार ने सहा वो बहुत ही मुश्किल भरा दौर था. आसाराम के भक्त हमारे खिलाफ हो गए थे. धमकियां मिलती थीं, परेशान करते थे लेकिन हम हारे नहीं और न हमारी बेटी ने हार मानी.”
बेटी की शादी भी की
पीड़ित परिवार ने कहा कि मन ये रहता था कि बेटी की पढ़ाई तो हो गई, अब कैसे भी करके उसकी शादी कर दी जाए. थोड़े समय बाद एक रिश्ता मिला और बेटी के एमए की पढ़ाई के बाद हमने उसकी शादी कर दी. जिस परिवार से रिश्ता तय किया उन्हें इस बारे में बता दिया. सच्चाई बता दी और कुछ नहीं छिपाया. अभी दो साल पहले ही बेटी की शादी की. शादी के बाद भी बेटी के मन से बोझ नहीं उतरा था. अब जब कोर्ट ने उसे दोषी माना तो बेटी बहुत खुश हुई. इस पूरी लड़ाई में हम लोगों पर कई तरह के जुल्म किए गए.
अब जाकर मिला चैन
लेकिन वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं. वक्त और कानून इंसाफ करता ही है. उसी कानून ने हमारे साथ भी न्याय किया. 30 जनवरी की रात मेरी बेटी और पूरा परिवार चैन की नींद तब सोए जब उसे सजा हुई. कोर्ट का फैसला आते ही हमने परिवार में मिठाइयां बांटी, खुशियां मनाई. बेटी तो ये बोली कि इस दुष्ट को सजा हुई, नहीं तो सभी लोग हमारे परिवार पर ही शक करते थे.
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