Rapid Train : देश की पहली रैपिड ट्रेन की पहली पैसेंजर्स रेत की बोरियां (Sand Sacks ) होंगी. आपको भी आश्चर्य हुआ होगा न, यह जानकार, लेकिन ये सच है. अब ये भी जान लीजिए की रैपिड ट्रेन में रेत की इन बोरियों को पहली पैसेंजर्स होने का मौका क्यों मिला है ? दरअसल ये यात्रियों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है. इस ट्रेन में यात्रियों को बैठाने से पहले उनकी सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (National Capital Regional Transport Corporation- NCRTC) ने ये कदम उठाया है. एनसीआरटीसी के मुख्य जनसंपर्कअधिकारी पुनीत वत्स ने बताया कि कि ट्रेन की भार क्षमता को चेक करने का ये एक स्टैंडर्ड तरीका है. पहले भी  इसी तरह  ट्रेनों की भार क्षमता को चेक किया जाता रहा है.


रैपिड ट्रेन की रफ्तार और यात्रियों की सुरक्षा


देश की पहली रैपिड ट्रेन अधिकतम 180 किलोमीटर प्रतिघंटे और औसतन 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ेगी.  इतनी अधिक रफ्तार वाली ट्रेन में यात्रियों का सफर सुरक्षित हो इसे सुनिश्चित करना भी जरूरी है. इसके लिए एनसीआरटीसी (NCRTC) ने भार क्षमता को जांचने के लिए यात्रियों के वजन के बराबर रेत की बोरियों को लेकर इसे चलाने का फैसला लिया है. इसलिए रैपिड ट्रेन में यात्रियों के बैठने से पहले रेत की बोरियां सफर पर निकलेंगी. एनसीआरटीसी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स (Punit Vats) का कहना है कि ट्रेन की वजन क्षमता को ऐसे ही चेक किया जाता है, यही एक स्टैंडर्ड तरीका है. सामान्य ट्रेनों की वजन क्षमता को मापने के लिए भी यही तरीका अपनाया जाता रहा है.


दुहाई में है रैपिड ट्रेन


गौरतलब है कि मार्च 2023 से रैपिड ट्रेन को सुचारु रुप से चलाने की तैयारी है, इसलिए साल 2022  के अंत तक दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के 17 किमी लंबे फर्स्ट फेज  (साहिबाबाद से दुहाई) पर इसका ट्रायल रन शुरू होना है. तीन खंडों में बंटा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर 82 किलोमीटर लंबा है. यह पहली रीजनल रैपिड रेल गाजियाबाद (Ghaziabad) के दुहाई डिपो (Duhai Depot) में तैयार होकर खड़ी है. इसे गुजरात के सांवली में एल्सटॉम कंपनी के प्लांट में तैयार किया गया था. इन्हें बीते 12 जून को छह बड़े ट्रेलर में यहां लाया गया था और एल्सटॉम के इंजीनियरों ने इन छह कोच आपस में जोड़कर रेल पटरी पर खड़ा किया.  इस पहली रैपिड ट्रेन को ट्रैक पर लाने से पहले वर्कशाप में चेक किया जाएगा, यही नहीं ट्रायल रन के दौरान भी इसकी जांच की जाएगी. देश के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के दिल्ली-मेरठ कारिडोर पर काम तेजी से किया जा रहा है.  उम्मीद की जा रही है कि 2025 में यह ट्रेन मेरठ से दिल्ली के बीच रफ्तार भर सकती है. 


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