Rajasthan: सड़कों पर झाडू गाने वाली दो बच्चों की मां बनी RAS अधिकारी, जीवन के संघर्षों से लड़कर मिला मुकाम
राजस्थान के जोधपुर में सड़कों पर झाडू लगाने वाली एक सफाई कर्मचारी आशा कंदारा RAS अधिकारी बनी हैं. उनका कहना है कि जब वह कर सकती हैं तो कोई भी इसे पा सकता है.
'लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती', राजस्थान के जोधपुर में रहने वाली एक महिला ने कवि हरिवंश राय बच्चन की इस कविता की पंक्ति को सच कर दिखाया है. दरअसल अपने पति द्वारा छोड़ दी गई दो बच्चों की मां, जिसे अपने बच्चों का पेट भरने के लिए सड़कों पर झाडू तक लगाने पड़े, उसने राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयनित होकर साबित कर दिया है कि मेहनत और लगन से कितने भी मुश्किल लक्ष्य को पाया जा सकता है.
दरअसल पति के छोड़ने के बाद दो बच्चों की मां आशा कंदारा ने अपने जीवन को चलाने के लिए जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी के रूप में काम भी किया. इसी के साथ उन्होंने अपने जीवन को बेहतर बनाने और सपनोों को पूरा करने के लिए राजस्थान प्रशासनिक सेवा में शामिल होने के लिए पूरी लगन से तैयारी भी की, जिसका परिणाम अंत में उन्हें राज्य प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में नियुक्त होकर मिल ही गया.
बता दें कि आठ साल पहले आशा और उसके दो बच्चों को उसके पति ने छोड़ दिया था. जिसके बाद अपने माता-पिता के समर्थन से, उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी, स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर 2018 में प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुई. वहीं दो चरणों की परीक्षा पूरी होने के बाद कोरोना महामारी के बाद आशा को काफी लंबा इंतजार भी करना पड़ा. हाल ही में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के परिणाम घोषित किए गए, जिसमें आशा को वरिष्ठ अधिकारी के रूप में नियुक्ती मिली है.
वहीं आशा बताती हैं कि दो साल से रिजल्ट का इंतजार करने के बीच अपने बच्चों की देखभाल के लिए वह जोधपुर नगर निगम में एक सफाई कर्मचारी के रूप में नौकरी कर रही थी. आशा ने कहा कि उनका मानना है कि कोई भी काम छोटा नहीं है. उनका कहना है कि उन्होंने 2019 में मेन्स की परीक्षा में शामिल हुई. इस बीच उन्हें नगर निगम में नौकरी मिल गई. उन्होंने काम के साथ ही अपनी पढ़ाई जारी रखी और परिणाम आज सबके सामने है.
आशा का कहना है कि उनके पिता उनकी प्रेरणा हैं और शिक्षा के मूल्य को समझते हैं. उनका कहना है कि इनके पिता ने ही उन्हें पढ़ना और आगे बढ़ना सिखाया है. आशा का कहना है कि 'अगर लोग आप पर पत्थर फेंकते हैं, तो आपको उन्हें इकट्ठा करना चाहिए और एक पुल बनाना चाहिए. अगर वह ऐसा कर सकती हैं तो कोई भी कर सकता है.'
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