मुंबई: उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि को शिवसेना के मुखपत्र सामना का संपादक बनाए जाने के कई मायने निकाले जा रहे हैं. सियासी हलकों में ये माना जा रहा है कि ऐसा करके रश्मि ठाकरे को भी सीधे तौर पर राजनीति में उतारने की तैयारी हो रही है.


रविवार की सुबह सामना के पाठक उस वक्त आश्चर्यचकित हो गए जब उन्होंने संपादक की जगह पर रश्मि ठाकरे का नाम देखा. इस जगह पर पहले सामना के संस्थापक संपादक बाल ठाकरे का नाम छपता था. उनके निधन के बाद उद्धव ठाकरे संपादक बने. उद्धव के सीएम बनने के बाद ये जिम्मेदारी संजय राऊत ने संभाली और अब आखिरकार इस पद पर रश्मि ठाकरे को बिठा दिया गया है. संजय राऊत पहले की तरह अखबार के कार्यकारी संपादक ही रहेंगे और रश्मि ठाकरे तकनीकी तौर पर उनकी बॉस होंगीं.

रश्मि ठाकरे को संपादक बनाए जाने के कई मतलब निकाले जा रहे हैं. एक कारण ये माना जा रहा है कि रश्मि ठाकरे को जल्द ही पूरी तरह से राजनीति में उतारने की तैयारी हो रही है. रश्मि ठाकरे पार्टी के कार्यक्रमों में अक्सर अपने पति उद्धव के साथ नजर आतीं रहीं हैं. हालांकि वे मीडिया से बात नहीं करतीं हैं और ना ही कभी उन्हें भाषण देते देखा गया लेकिन माना जा रहा है कि राजनीति की उन्हें अच्छी खासी समझ है. पर्दे के पीछे से शिवसेना की रणनीति बनाए जाने में उनकी भी भूमिका होती है, ऐसा सियासी हलकों में माना जाता है.


रश्मि ठाकरे को संपादक बनाए जाने के पीछे दूसरा कारण ये माना जा रहा है कि ठाकरे परिवार शिवसेना के सबसे बड़े हथियार पर अपना नियंत्रण रखना चाहता है. शिवसेना को बड़ा करने में और विरोधियों को आड़े हाथों लेने में और चुनावों में कामयाबी दिलाने में सामना की अहम भूमिका रहती है. ऐसे में ठाकरे परिवार अखबार के सर्वोच्च पद पर अपना ही सदस्य रखना चाहता है.

तीसरा कारण ये माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे को संजय राऊत के पर कतरने की जरूरत महसूस हुई. पिछले साल महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के बाद संजय राऊत ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनवाने में जो भूमिका निभाई और जिस आक्रमकता से वे पार्टी का पक्ष मीडिया में रख रहे थे, उससे उनका कद काफी बढ़ गया था. ठाकरे परिवार हमेशा इस कोशिश में रहता है कि शिवसेना में कभी कोई उनसे ज्यादा प्रभावशाली नहीं होना चाहिए. इसी सोच के तहत माना जा रहा है कि राऊत के पर कतरे गए हैं.


रविवार को एबीपी न्यूज संवाददाता जब संजय राऊत के घर उनकी प्रतिक्रिया जानने पहुंचे तो वे बेहद उखड़े मूड में नजर आए, हालांकि इस फैसले से पार्टी के प्रति उनकी वफादारी कम नहीं हुई ये जताने के लिए उन्होने कहा, "बालासाहब ने मुझे अपना भक्त प्रहलाद चुना था. ना मैं उससे कम हूं और ना ज्यादा."


वैसे कुछ लोग इस फैसले पर ये कहकर उद्धव ठाकरे पर चुटकी ले रहे हैं कि पहले उन्होंने राजनीति में अनुभवहीन अपने बेटे आदित्य को कैबिनेट मंत्री बनाया और अब पत्रकारिता में अनुभवहीन अपनी पत्नी रश्मि को संपादक बना दिया है.


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