Ratan Tata Death News: देश के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार देर रात मुंबई में निधन हो गया. पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा का दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रात साढ़े 11 बजे निधन हो गया. वह पिछले कुछ दिनों से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे. उन्हें हमेशा उनके कामों के लिए याद किया जाएगा.
रतन टाटा बाहर से दिखने में सरल थे, वो अंदर से उतने ही मजबूत थे. जब वो किसी काम को ठान लेते तो उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही रहते थे. इसी से जुड़ी हुई एक बदले की कहानी है. उन्होंने फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन से अपने अपमान का बदला बड़े ही दिलचस्प अंदाज में लिया था.
जानें कैसी शुरू हुई थी रतन टाटा के बदले की कहानी
आज टाटा मोटर्स भारत की अग्रणी कार निर्माता कंपनियों में से एक है. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कंपनी को बहुत ज्यादा संघर्ष और चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. एक समय कंपनी को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा था और टाटा मोटर्स को अपने पैसेंजर कार बिजनेस को बेचने तक का विचार करना पड़ा था. कंपनी ने 90 के दशक में अपनी पैसेंजर कार डिवीजन को अमेरिकी कार निर्माता फोर्ड को बेचने का विचार किया था. फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड और रतन टाटा के बीच एक बैठक 1999 में हुई थी. इस बैठक में बिल फोर्ड ने अपमानजनक तरह से कहा था कि वो टाटा मोटर्स की पैसेंजर कार डिवीजन को खरीदकर उन पर एहसान कर रहे हैं. इसके बाद रतन टाटा और उनकी टीम चुपचाप भारत वापस लौट आई थी.
फोर्ड के मालिक को सिखाया सबक
देश वापस आने के बाद उन्होंने अपनी कार डिवीजन को बेहतर करने का फैसला किया. इसके बाद टाटा मोटर्स ने धीरे-धीरे अपने कार बिजनेस को फिर से खड़ा किया. 9 साल की कड़ी मेहनत के बाद 2008 तक टाटा मोटर्स भारत में एक सफल और लोकप्रिय ब्रांड बन गया था. इस समय तक जहां टाटा मोटर्स सफलता की नई कहानी लिख रहा था, वहीं दूसरी तरफ फोर्ड मोटर्स की हालात खराब हो गई थी. फोर्ड कंपनी को डूबने से बचाने के लिए एक बार फिर से रतन टाटा आगे आए. उन्होंने 2008 में फोर्ड की सबसे लोकप्रिय ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का ऑफर दे डाला. इस डील के लिए रतन टाटा अमेरिका नहीं गए थे, बल्कि बिल फोर्ड की पूरी टीम भारत आई थी.
बदल गए थे बिल फोर्ड के सुर
इस डील के बाद बिल फोर्ड ने रतन टाटा को धन्यवाद कहा था और कहा था, "आप जैगुआर और लैंड रोवर सीरीज को खरीदकर हमपर बड़ा एहसान कर रहे हैं". इन दोनों ब्रांड्स के टाटा के अंतर्गत आने के बाद, उन्होंने भारतीय बाजार में जबरदस्त सफलता हासिल की.