(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
रतन टाटा को याद कर भावुक हुए दोस्त शांतनु नायडू, लिखा- दोबारा आपकी मुस्कुराहट न देख सकूंगा
Shantanu Naidu IG Post: शांतनु नायडू उन लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने पिछले तीन दिनों में शोक संदेश भेजे थे, और उन संदेशों को पढ़कर उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे वे सालों से परिवार के सदस्य हों.
Shantanu Naidu IG Post: भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन से देश में शोक की लहर है. उनके निधन के तीन दिन बाद, उनके करीबी सहयोगी और टाटा ट्रस्ट के डिप्टी मैनेजर शांतनु नायडू ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट शेयर किया है. नायडू ने लिखा कि यह मानना उनके लिए मुश्किलों भरा था कि वे रतन टाटा को अब मुस्कराते हुए कभी नहीं देख पाएंगे. रतन टाटा का निधन बुधवार, 9 अक्टूबर की रात 86 साल की उम्र में हुआ.
शांतनु नायडू 2014 में पहली बार रतन टाटा से मिले थे. वे उनके सबसे करीबी दोस्तों में से एक रहे हैं. नायडू ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में कहा, "अब आखिरकार बैठकर इन घटनाओं को महसूस करने का वक्त मिला है. मुझे यह मानने में मुश्किल हो रहा है कि मैं उन्हें अब कभी मुस्कराते हुए नहीं देख पाऊंगा और ना ही उन्हें खुश करने का मौका दे पाऊंगा."
'आप लोग करते हैं हौसला-अफजाई'
शांतनु नायडू उन लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने पिछले तीन दिनों में शोक संदेश भेजे थे, और उन संदेशों को पढ़कर उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे वे सालों से परिवार के सदस्य हों. नायडू ने लिखा, "देशभर से अजनबियों के संदेशों ने मुझे हौसला दिया. जब भी मैंने सोचा कि गम थोड़ा कम हुआ है, किसी का एक मैसेज या इशारा मुझे फिर से ताकत देता था."
इसके अलावा, नायडू ने मुंबई के एक पुलिसकर्मी का भी जिक्र किया, जो उन्हें आंसू भरी आंखों के साथ सांत्वना दे रहा था. उन्होंने इसे एक विदाई उपहार के रूप में माना और धन्यवाद कहा.
रतन टाटा का व्यक्तित्व और उनकी विरासत
रतन टाटा जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ. जब वे 10 साल के थे तब उनके माता-पिता के बीच तलाक हो गया था. रतन का पूरा नाम रतन नवल टाटा था. वे सादगी से भरे और वक्त के बेहद पाबंद थे. पूरा जीवन उन्होंने अकेले में गुजारा था, लेकिन वह कुत्तों से काफी लगाव रखते थे. माता-पिता के बीच तलाक होने के बाद उनकी दादी ने उन्हें पाला था.
रतन टाटा को भारत सरकार की ओर से पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया था. रतन टाटा की अध्यक्षता में भी टाटा ग्रुप ने भारत में डिजायन की हुई पहली कार इंडिका का भारतीय बाजार में उतारा था. हालांकि ये कार भारतीय बाजार में चल न सकी. साल 2000 में उन्होंने टाटा ग्रुप से दोगुने बड़े ब्रिटिश ‘टेटली’ समूह का अधिग्रहण कर लोगों को चकित कर दिया था. इसके साथ ही उन्हें फोर्ड की जैगुआर का भी अधिग्रहण किया था. रतन टाटा चाहते थे कि भारतीय लोग मोटर साइकिल के बदले कार का इस्तेमाल करें ताकि सड़क पर उनकी सुरक्षा से समझौता न हो. इसलिए उन्होंने साल 2008 में नैनो कार को भारतीय बाजार में उतारा था.
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