भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे. रतन टाटा अपनी अपनी सादगी से हर किसी का दिल जीत लेते थे. रतन टाटा अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ अपने विनम्र स्वभाव और परोपकारी कार्यों के भी लिए जाने जाते थे. इसलिए उनके निधन पर लोग सादगी के किस्से याद करते हैं. इस बीच रतन टाटा की सादगी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किसी कार्यक्रम में सुनाया था, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
नितिन गडकरी ने बताया, ‘रतन टाटा जी मेरे अच्छे मित्र रहे हैं. एक बार वे मुंबई के मालाबार हिल स्थित मेरे घर आ रहे थे, उस समय वे मेरे घर का रास्ता भूल गए. उन्होंने मुझे फोन किया और कहा, नितिन मैं तुम्हारे घर का रास्ता भूल गया हूं. तब मैंने कहा आप फोन ड्राइवर को दीजिए. इस पर रतन टाटा ने कहा कि मेरे पास कोई ड्राइवर नहीं है, मैं खुद ही गाड़ी चला रहा हूं'. इसके बाद मैंने हैरानी से पूछा कि आपके पास वाकई ड्राइवर नहीं है, तो उन्होंने कहा नहीं नितिन मैं खुद ही चला रहा हूं. फिर मैंने उन्हें रास्ता बताया. उस समय मुझे बड़ा ही अचरज लगा कि देश का इतने बड़े करोड़पति होने के बावजूद उनके पास ड्राइवर नहीं है और ना ही कोई सिक्योरिटी गार्ड है.
नितिन गडकरी ने सुनाया रतन टाटा के बारे में रोचक किस्सा
नितिन गडकरी ने बताया, मैं एक फ्लाईओवर के उद्घाटन के लिए उन्हें मुंबई लेकर जा रहा था. उस समय हेलीकॉप्टर वही चला रहे थे. उनको स्वभाव को देखकर कभी नहीं लगता था कि वे टाटा ग्रुप के मालिक हैं. जानकारी के अनुसार गडकरी ने रतन टाटा के बारे में एर और किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि एक बार मैं और रतन जी नागपुर जा रहे थे. उनके पास एक छोटा बैग था. इस पर मैंने एक स्टाफ को कहा कि वे रतन जी से उनका बैग ले लें. इस पर रतन टाटा ने कहा कि बैग मेरा है, तो इसे उठाऊंगा भी मैं ही. इसके बाद जव वे एक गाड़ी में बैठे तो वे खुद ड्राइवर के पास बैठ गए. मैंने उन्हें ये भी कहा कि मैं वहां बैठ जाता हूं, लेकिन वे नहीं मानें. उनका ये सादगी भरा व्यक्तित्व ही उन्हें इतना आगे तक लेकर आया.
पिछले कुछ दिनों से मुंबई में चल रहा था इलाज
टाटा ग्रुप ने बीते बुधवार देर रात उनके निधन की जानकारी साझा की. जानकारी के अनुसार पिछले कुछ दिनों से मुंबई के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. टाटा ग्रुप 2023-24 में 13 लाख 85 हजार करोड़ रुपये के राजस्व के साथ दुनिया के सबसे बड़े उद्योग समूहों में से एक है. रतन टाटा ने 20 वर्षों से अधिक समय तक चेयरमैन के तौर पर टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया. यहां तक कि रिटायरमेंट के बाद भी वे टाटा ग्रुप का मार्गदर्शन करते रहे.