राशन डोर स्टेप डिलीवरी विवाद: बीजेपी और कांग्रेस ने सीएम केजरीवाल पर साधा निशाना, कही ये बात
अरविंद केजरीवाल के एलान पर बीजेपी में निशाना साधा है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा है की आज जब सारे देश की राज्य सरकारें केन्द्र सरकार की वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना को लागू कर अंतिम व्यक्ति तक देश के हर कोने में राशन पहुंचाने में लगी है, यहाँ दिल्ली में केजरीवाल सरकार उसे बाधित कर राशन योजना का राजनीतिकरण करने में लगी हैं.
नई दिल्लीः दिल्ली में राशन की डोर स्टेप डिलीवरी पर विवाद के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज घोषणा करते हुए कहा कि योजना का अब कोई नाम नहीं होगा. 25 मार्च से इस योजना को 'मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना' के नाम से लांच किया जाना था. लेकिन 19 मार्च को केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली सरकार के खाद्य आपूर्ति सचिव को एक चिठ्ठी लिखी गई जिसमें कहा गया कि इस योजना को शुरू न करें. चिठ्ठी में लिखा गया था कि नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत केंद्र सरकार राज्यों को राशन देती है इसलिए इस योजना में किसी तरह का बदलाव या नाम का बदलाव दिल्ली सरकार ना करे. जबकि दिल्ली की केजरीवाल सरकार इस योजना के लिए टेंडर अवार्ड कर चुकी थी और 25 मार्च से उसको लॉन्च करना था.
केंद्र सरकार से मिली चिठ्ठी के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपने आवास पर खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री समेत विभाग के सभी अधिकारियों की बैठक बुलाई. बैठक में ये फैसला लिया गया कि राशन की डोर स्टेप डिलीवरी की जायेगी लेकिन योजना का कोई नाम नहीं होगा. केजरीवाल ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अगर हम हर एक आदमी के घर राशन पहुंचा दें तो उन्हें लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा और राशन से जुड़ी जो समस्याएं हैं वह खत्म हो जाएंगी. इस मकसद से मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना लाई गई थी. योजना लागू होने से 5 दिन पहले केंद्र सरकार ने इसे बंद करने को कहा. मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना में मुख्यमंत्री शब्द से शायद उन्हें आपत्ति है. केजरीवाल ने कहा कि हम यह योजना अपना नाम करने के लिए, अपना नाम चमकाने के लिए या क्रेडिट के लिए यह नहीं कर रहे हैं. क्रेडिट सारा उनका काम सारा हमारा, जिम्मेदारी हमारी है हम इसी सिद्धांत पर काम करते हैं.
बीजेपी का वार
केन्द्र सरकार ने दिल्ली सरकार के जिस पत्र का जिक्र कर कल तक दिल्ली सरकार यह कह रही है की हमारी योजना पर रोक लगाई है उसमें असल में दिल्ली सरकार को सिर्फ यह कहा गया है की वह केन्द्र सरकार के द्वारा नेशनल फूड सिकयूरिटी एक्ट के अंतर्गत मिलने वाले राशन का राजनीतिकरण ना करे.
आदेश गुप्ता ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल ने 'मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना' के नाम से 'मुख्यमंत्री' शब्द हटाने की घोषणा करते हुए ऐसा दर्शाने की कोशिश की है जैसे कोई त्याग कर रहे हों जबकि सच यह है कि उन्हें भलिभांति मालूम है कि वे एक गैर-कानूनी काम करने जा रहे थे और आज उन्होंने इसकी स्वीकृति की है.
कांग्रेस का बयान
कांग्रेस की शीला दीक्षित की सरकार के दौरान खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रहे हारून यूसुफ ने इस विवाद को गरीबों के साथ आम आदमी पार्टी और बीजेपी का भद्दा मजाक बताया. हारून यूसुफ ने कहा कि इससे भद्दा मजाक दिल्ली के ग़रीबो के साथ नही हो सकता है. पिछले 4 साल हम सुन रहे हैं कि मुख्यमंत्री घरों में राशन पहुंचाएंगे.2020 में एक टेंडर कैंसिल हुआ, 2021 में हुए टेंडर की फाइनेंसियल बिड का अता-पता नही है. इस योजना को ऐसे पेश किया जा रहा है कि जैसे गरीबों के लिए राम राज्य आ जाएगा. जबकि ये 100 परिवारों के लिए योजना है. दरअसल, केजरीवाल सरकार मार्केटिंग वाली सरकार है. राशन माफिया और केरोसिन माफिया से अरविंद केजरीवाल ने नही कांग्रेस ने लड़ाई की थी.
हारून यूसुफ ने कहा कि दिल्ली में 11 लाख 72 हजार लोगों को 6 साल से राशन कार्ड नही मिला है. कांग्रेस सरकार ने फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत न आने वालों के लिए अन्नश्री योजना के तहत महिलाओं के खाते में फायदा पहुंचाया था और आम आदमी पार्टी सरकार में राशन कार्ड के नाम पर मंत्री महिलाओं का शोषण करते थे. मेरा मानना है कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार का झगड़ा नही बल्कि दोनों मिले हुए हैं.
आप को घेरने की तैयारी
दरअसल इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पूरे देश मे अनाज राशन के ज़रिए दिया जाता है. इसके नाम या सिस्टम में कोई भी बदलाव करने से आम जनता में गलतफहमी फैलेगी. राज्य सरकार इस योजना में किसी तरह का बदलाव नहीं कर सकती, इसका अधिकार केवल संसद को है. अगर राज्य सरकार खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिले अनाज के अलावा कोई अलग स्कीम लाना चाहती है तो भारत सरकार को कोई ऐतराज नहीं है. अब ऐसे में इस पूरे मामले पर रख ओर जहां आम आदमी पार्टी अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना को बिना किसी नाम के चलाने को तैयार है तो वहीं बीजेपी और कांग्रेस इसे योजना का राजनीतिकरण करार देकर आम आदमी पार्टी को घेरने की तैयारी में हैं.
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