छत्तीसगढ़ का बीजापुर जिला. इस जिले का नाम आप हमेशा सुनते होंगे लेकिन जब भी सुनते होंगे केवल नक्सलियों के जरिए जवानों की हत्या से जुड़ी खबरों में ही सुनते होंगे. नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले इस जिले की पहचान अब बदलने लगी है. जिले के कलेक्टर रितेश अग्रवाल और एसपी कमललोचन कश्यप इन दिनों उन गांवों में शासन की योजनाओं को पहुंचाने में लगे हैं, जहां आजादी के बाद से अब तक कोई सुविधा नहीं पहुंची है. इस बदलाव में ऐसी क्या खास बात है जो सालों से नक्सलियों के साये में जीवन जी रहे ग्रामीणों के लिए एक उम्मीद जगाती है. जानिए इस खास रिपोर्ट में...


शहरों में रहने वालों को अब होम डिलीवरी की सुविधा मिलती है. घर बैठे ऑर्डर कर सकते हैं और कुछ ही मिनट में वो सामान आपके घर में उपलब्ध हो जाएगा. बीजापुर में आज भी राशन लेने के लिए लोगों को 15 किलोमीटर दूर पैदल जाना पड़ता है. आज हम आपको बीजापुर जिले के जिन गावों की कहानी बताने जा रहे हैं वहां आजादी के बाद पहली बार ग्रामीण अपने गांव में  राशन दुकान और इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र देखने जा रहे थे.


आजादी के बाद पहली बार मिली ये सौगात
बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक के धुर नक्सली प्रभावित क्षेत्र बेचापाल में ग्रामीणों ने नए उप स्वास्थ्य केंद्र और उचित मूल्य दुकान का फीता काटकर उद्घाटन किया. आजादी के बाद बेचापाल में पहली बार उप स्वास्थ्य केंद्र और उचित मूल्य की दुकान खुली है. इस गांव में ये सुविधा होने से अब दूरस्थ इलाके के 7 गांव के ग्रामीणों को अपने ही गांव में स्वास्थ्य सुविधा और खाद्यान्न के साथ जरूरी राशन सामग्री मिल सकेगी.




नक्सल प्रभावित क्षेत्र बेचापाल में आज कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल और एसपी कमललोचन कश्यप की मौजूदगी में ग्रामीणों ने नए उप स्वास्थ्य केंद्र और उचित मूल्य दुकान की पूजा अर्चना करने के बाद फीता काटकर उद्घाटन किया. इस मौके पर गांव के ही एक बुजुर्ग आयतू कड़ती और झुनकी कड़ती ने उप स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया. गोटा माड़वी और दुल्लाराम ओयाम ने उचित मूल्य दुकान का उद्घाटन किया.


बेचापाल में पहली बार उप स्वास्थ्य केंद्र और उचित मूल्य दुकान खुलने पर खुशी जताते हुए गांव के लोगों ने कहा कि अब इस इलाके के 7 गांवों के ग्रामीणों को बेचापाल में स्वास्थ्य सुविधा और खाद्यान्न एवं अन्य जरूरी राशन सामग्री उपलब्ध होगी. जिससे उन्हें 15 किलोमीटर दूर मिरतुर नहीं जाना पड़ेगा. आने-जाने का समय बचेगा और इस समय का सदुपयोग खेती-किसानी और अन्य कार्यों में गांव के लोग कर सकेंगे.

20 साल बाद ग्रामीणों में जगी विकास की आस
धुर नक्सली प्रभावित क्षेत्र बेचापाल में करीब 20 साल बाद प्रशासन की पहुंच से ग्रामीणों में विकास के प्रति उम्मीद जगी है. दरअसल, इस बीहड़ इलाके के गांव विकास की मुख्यधारा से कटे हुए थे. नक्सली प्रभावित इस क्षेत्र में सड़क, बिजली, पेयजल, शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी थी. अब इस क्षेत्र में शासन-प्रशासन की संवेदनशील पहल पर सुरक्षा के साये में सड़क, पुल-पुलिया बन रही है.


वहीं बिजली, पेयजल सुविधाओं की सुलभता पर ध्यान दिया जा रहा है. क्षेत्र के बंद स्कूलों को दोबारा संचालित किया जा रहा है, जिससे बच्चे शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं. प्रशासन अब इस क्षेत्र के लोगों को शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं से लाभांवित करने के लिए ग्रामीणों का आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड, बैंक खाता, किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान करने के लिए पास के ग्राम पंचायत मिरतुर में शिविर आयोजित करेगी.



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