नई दिल्ली: केंद्र सरकार चाहती है कि राज्यों में चलने वाली सरकारी राशन की दुकानों के सूचना बोर्ड पर केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी का ज़िक्र किया जाए. इसके लिए खाद्य मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को चिठ्ठी लिखी है.



केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ़ से कितनी दी जा रही है सब्सिडी ? 


चावल और गेंहूं की पर दी जाने वाली सब्सिडी पर केंद्र सरकार अपना क्रेडिट चाहती है. इसके लिए सरकार ने अब राज्य सरकारों को बाक़ायदा एक चिठ्ठी भी लिखा है.

चिठ्ठी में कहा गया है कि राज्य सरकारों के अधीन चलने वाली सरकारी राशन की दुकानों पर जो डिस्पले बोर्ड होता है उसपर इस बात का साफ़ साफ़ ज़िक्र किया जाए कि केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ़ से सब्सिडी कितनी दी जा रही है.

2 रूपये प्रति किलो पर बेचा जाता है 24 रूपये का गेहूं


उदाहरण के लिए गेहूं पर केंद्र सरकार को 24.09 रूपये प्रति किलो का ख़र्च आता है. जबकि खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत उसे लाभार्थियों को 2 रूपये प्रति किलो पर बेचा जाता है. यानि बाक़ी बचे 22.09 रूपये की सब्सिडी केंद्र सरकार वहन करती है. इसमें राज्य सरकार का एक भी पैसा ख़र्च नहीं होता है.


3 रूपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है 32.64 रूपये का चावल


इसी तरह चावल पर ख़र्च 32.64 रूपये प्रति किलो आता है जबकि इसे 3 रूपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है. बाक़ी 29.64 रूपयों का भार केंद्र सरकार उठाती है. सूत्रों के मुताबिक़ एनडीए शासित राज्यों में जल्दी ही इसपर अमल भी शुरू हो जाएगा.

सब्सिडी पर जनता को गुमराह करती हैं राज्य सरकारें


केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान का कहना है कि राज्य सरकारें केंद्र की तरफ़ से दी जाने वाली सब्सिडी पर भी अपनी ही वाहवाही लूटती है और जनता को गुमराह करती हैं.


पासवान के मुताबिक़ कुछ दिनों पहले तक उत्तर प्रदेश की सत्ता पर क़ाबिज़ अख़िलेश यादव सरकार ने राशन कार्डों पर भी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तस्वीर लगा दी जबकि ख़र्चा केंद्र सरकार का था.


'राजनीतिक फ़ायदे के लिए केंद्र सरकार के पैसों का उपयोग'


पासवान के मुताबिक़ केंद्र सरकार के इस निर्देश का पालन राज्य पर अनिवार्य होगा. केंद्र सरकार के पैसों का उपयोग अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए करने का आरोप राज्य सरकारों पर पहले से ही लगता रहा है. ज़ाहिर है अब मोदी सरकार इसपर अपना भी क्रेडिट लेना चाहती है.