नई दिल्ली: सरकार गे-मैरिज को कानूनी मान्यता देने नहीं जा रही है. सरकार की ओर से ये बात संसद में बताई गई है. कानून मंत्रालय ने राज्यसभा में कहा कि एक ही लिंग की शादियों को सरकार कानूनी मान्यता देने पर कोई विचार नहीं कर रही है और ऐसे लोग अपनी शादियां रजिस्टर नहीं करा पाएंगे.


केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने टीएमसी सासंद डेरेक ओ ब्रायन के एक सवाल के जवाब में ये जानकारी दी. डेरेक ने पूछा था कि क्या सेम सेक्स कपल्स अपनी शादियों को रजिस्टर करा सकते है, यदि हां तो डिटेल बताएं और यदी नहीं तो कारण बताएं.


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इसके लिखित जवाब में प्रसाद ने कहा- नो सर. वर्तमान में सेम सेक्स शादियों को लीगल करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.


सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को निष्प्रभावी बना दिया था जो गे सेक्स को गैरकानूनी बनाता था. सरकार ने इसका कोई विरोध नहीं किया था और प्रसाद ने कहा था कि इंसान का सेक्सुअल प्रफरेंस उसकी व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है.


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मौलिक अधिकार नहीं इंटरनेट


गुरूवार को राज्यसभा में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इंटर के मौलिक अधिकार होने की धारणा गलत है और इसे ठीक करने की जरूरत है. देश की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपके विचारों के संचार के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल भी अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का हिस्सा है.


रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि हिंसा और आतंक को फैलाने के लिए इंटरनेट का गलत इस्तेमाल हुआ है, हो रहा है. आईएसआईएस इंटर के कारण बढ़ा और कश्मीर में पाकिस्तान भी ये कर रहा है. इंटरनेट का अधिकार अहम है लेकिन देश की सुरक्षा भी अहम है. कशीमर में इंटरनेट के जरिए अशांति फैलाने की कोशिशें की गईं.