पटना: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को पटना में नागरिक़ता क़ानून और जेएनयू विवाद पर खुलकर अपनी बात की. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार सबको है, लेकिन कुछ लोग नागरिकता क़ानून के नाम पर भड़काने की कोशिश कर रहें हैं. पटना के किदवईपुरी इलाके में एक पोस्ट ऑफिस का उद्घाटन करने पहुंचे केंद्रीय क़ानून मंत्री ने नागरिकता कानून और इसके मायने बताते हुए विपक्षियों पर भी निशाना साधा.


बिना कानून की जानकारी के गलतफहमी फैलाने की कोशिश


रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में कुछ लोग बिना मतलब गलतफहमी फैला रहे हैं. इसका क्या मतलब है. ये नागरिकता संशोधन कानून है. ये किसी हिंदुस्तानी पर लागू नहीं होता और न किसी की नागरिकता लेता है. उन्होंने कहा कि ये सिर्फ और सिर्फ उन पर लागू होता है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से भारत आए हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी उत्पीड़ित व्यक्ति हैं. कानून मंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों को हम नागरिकता दे रहे हैं, जो 31दिसंबर 2014 तक भारत आये हैं. उन्होंने यह भी बताया कि सरकार इन देशों के मुस्लिमों को नागरिकता क्यों नहीं दे रही है. कानून मंत्री ने कहा कि इन तीनों देशों का स्टेट धर्म इस्लाम है. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि कोई मुस्लिम पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित होता है तो ऐसे 600 लोगों को नागरिकता दी गई है और दो हजार लोगों को शरण दिया गया है और आगे भी देंगे.


कानून मंत्री ने कहा कि इन देशों में मुस्लिम आस्था की जगह नहीं बल्कि व्यक्तिगत कारणों से प्रताड़ित होते हैं. उन्होंने कहा कि हम कहते हैं 'सबका साथ सबका विकास', तो हम सबकी चिंता करते हैं. उन्होंने अपनी सरकार के काम को भी यहां गिनाया. उन्होंने कहा कि हमलोगों ने 8 करोड़ गैस कनेक्शन गरीब लोगों को दिए हैं, तो क्या कभी हिन्दू, मुस्लिम में भेद किया है?देश के हर गांव में बिजली लाए हैं, तो क्या पीएम मोदी ने कहा कि मुस्लिम गांव में बिजली नहीं जाएगी. हम तो मानते हैं कि इस देश को आगे बढ़ाने में, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, परमवीर चक्र अब्दुल हमीद, अशफाकुल्ला खान इन सभी की भूमिका रही है.


जैसे 370 खत्म किया उसी तरह CAA पर भी मंशा साफ


केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''हम इस देश को हिन्दू, मुसलमान में नहीं बांटने देंगे और अगर कोई ऐसा करता है तो उसे छोड़ेंगे भी नहीं, ये देश जितना हिंदुओ का है, उतना ही मुसलमानों का भी है. आतंकवाद से कभी समझौता नहीं करेंगे. आतंकी आते हैं तो हिंदू को भी मारते हैं और मुस्लिमों को भी मारते हैं. कश्मीर में 42 हज़ार लोग मारे गए. पहले कश्मीरी पंडित को भगाया गया. अलगाववादी वहां के स्कूल को जलाते थे और उनके बच्चे अमेरिका और इंग्लैंड में पढ़ते थे. उसका विरोध किया. आर्टिकल 370 खत्म किया तो सीएए के बारे में साफ कहना बहुत जरूरी है.''


एनपीआर नागरिकता क़ानून से अलग


नेशनल पापुलेशन रेजिस्टर (एनपीआर) ये है भारत में रहने वाले लोगों का रजिस्टर, नागरिक का नहीं. जनगणना आप बाहर नहीं कर सकते. एनपीआर साथ में होता है. देश की आबादी का डिटेल बताना पड़ता है. कितने लोगों के पास गैस है, कितने लोगों के घर बिजली है, कितने लोगों पास गाड़ी है, कितने लोगों के पास पक्का मकान है, कितने लोग गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं और ये सब उससे निकलता है, इससे सरकार अपनी नीति बनाती है, प्रदेश सरकार भी बनाती है और एनआरसी जिसका अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ, जो प्रधानमंत्री ने बताया. एनपीआर कांग्रेस के समय में भी 2010 में बना था. उस समय मनमोहन सिंह थे. उस समय तरुण गगोई और अशोक गहलोत ने मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था कि इनको आप नागरिकता दो.


आज़ादी के नाम पर देश को तोड़ने का अधिकार नहीं


हाल ही में हुए जेएनयू हिंसा पर रविशंकर प्रसाद ने बोलते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में आज़ादी के नाम पर ग़लत हो रहा है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा, “अभी जेएनयू में क्या समस्या है? आप स्ट्राइक कीजिये, हम विरोध का पूरा सम्मान करते हैं लेकिन जो बच्चे पढ़ना चाहते हैं तो आप जाकर सर्वर तोड़ देते है, एक बार तोड़ते हैं, दोबारा तोड़ देते है. वाईस चांसलर को 8 घंटा बंद कर देते हैं. एक प्रोफेसर की तबीयत खराब होती है तो एम्बुलेंस को आने से रोक देते हैं. जो विरोध करते हैं तो मारपीट होती है, क्या मतलब है इसका? आज कल लागातर नारेबाजी की जा रही 'आजादी, आजादी' किससे आजादी भाई? भारत तो आजाद है? तुमको भारत के लोकतंत्र ने अधिकार दिया है कि तुम नारा लगाओ- आजादी, आजादी ये बात साफ साफ सुन ले, लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने का सबको अधिकार है, लेकिन हिन्दुस्तान को तोड़ने का किसी को अधिकार नहीं है.''


स्वच्छ भारत अभियान पर उन्होंने अपनी सरकार की तारीफ की. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 2014 के मई तक देश में सिर्फ 6 करोड़ शौचालय था और हमलोगों के साढ़े 5 साल के कार्यकाल में भारत मे 9 करोड़ शौचालय बने हैं.