Parliament Winter Session: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने विनायक दामोदर सावरकर के बारे में टिप्पणी को लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर शनिवार को निशाना साधा और तंज कसते हुए कहा कि ‘ट्यूटर’ बदलना बहुत जरूरी है. उन्होंने लोकसभा में संविधान पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि राहुल गांधी को एक बार अंडमान-निकोबार की उस सेलुलर जेल में ले जाया जाना चाहिए जहां सावरकर 11 साल बंद थे.


दरअसल, राहुल गांधी ने दावा किया था कि सावरकर ने संविधान के बारे में कहा था कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है. इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री  रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘इस सदन में मैं आग्रह करूंगा कि एक बार इन्हें (राहुल) अंडमान-निकोबार की सेलुलर जेल लाया जाए, जहां सावरकर 11 साल बंद थे. मैं तीन बार गया हूं. जब भी गया हूं रोया हूं. आप अपनी राजनीति के लिए जो कुछ भी बोलिए. जिस व्यक्ति ने इतना त्याग किया है उसके बारे में इस तरह की टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए.’’ राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा "राहुल गांधी जब भी बोलते हैं, तो वे वैसे तथ्यों का प्रयोग करते हैं, जिसका कोई आधार ही नहीं होता है, ट्यूटर बदलना बहुत जरूरी है, ये ट्यूशन कहां से आ रहा है, यह बताना जरूरी है.’’


'हरियाणा में अच्छे बहुमत से जीते'
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में जो ऐतिहासिक जीत हुई है, 1971 के बाद किसी को इतना बहुमत नहीं आया था. हम हरियाणा में भी अच्छे बहुमत से जीते हैं. इसका मतलब है कि जनता ने सोचा कि जो अच्छा काम करेगा उसे तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाएंगे औऱ जनता ने संविधान बदलने के दुष्प्रचार को भी खारिज किया.’’


'यह देश राष्ट्रवाद से चलेगा'
रविशंकर प्रसाद ने संविधान में भगवान राम, कृष्ण के चित्र होने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मान लीजिए, भारत में आज यह संविधान बनता और इन चित्रों को इसमें लाने की कोशिश करते तो ये लोग (विपक्ष) कितना हंगामा करते. आज लोगों ने स्वीकारा है कि यह देश राष्ट्रवाद से चलेगा, समर्पण से चलेगा और विकास से चलेगा.’’ उन्होंने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि कल्पना नहीं की जा सकती कि किस तरह से दमन हुआ था और यहां कांग्रेस के लोग संविधान की बात कर रहे हैं.


सत्ता पक्ष के सांसदों ने जताया विरोध
लोकसभा में  14 दिसंबर 2024 को संविधान दिवस को लेकर हो रहे चर्चा के दौरान राहुल गांधी के सावरकर पर दिए गए बयान से सदन में हंगामा मच गया. सत्ता पक्ष के सांसदों ने इसे सावरकर का अपमान बताते हुए कड़ा विरोध जताया.





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