मुंबई: रिजर्व बैंक और सरकार के बीच जारी खींचतान पर आज होने वाली बैठक में विराम लग सकता है. सूत्रों का कहना है कि सोमवार को रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की होने वाली बैठक में दोनों पक्ष कुछ मुद्दों पर आपसी सहमति पर पहुंचने के पक्ष में हैं. बैठक में वित्त मंत्रालय के नामित निदेशक और कुछ स्वतंत्र निदेशक गवर्नर उर्जित पटेल और उनकी टीम पर एमएसएमई को कर्ज से लेकर केन्द्रीय बैंक के पास उपलब्ध कोष को लेकर अपनी बात रख सकते हैं.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल भी इस्तीफे का कुछ वर्गों का दबाव होने बावजूद इस्तीफा देने के बजाय बैठक में केंद्रीय बैंक की नीतियों का मजबूती से पक्ष रख सकते हैं. बैठक में वह एनपीए को लेकर केन्द्रीय बैंक की कड़ी नीतियों का बचाव कर सकते हैं.
क्यों महत्वपूर्ण है आज हो रही बैठक?
आज होने वाली आरबीआई बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक का एजेंडा पहले ही तय हो चुका है और बोर्ड मेंबर्स को दिया जा चुका है. बैठक की अध्यक्षता कर रहे आरबीआई गवर्नर आज इसी एजेंडे के तहत चर्चा करेंगे. माना जा रहा है कि इस बैठक से सरकार और आरबीआई के बीच चल रही तनातनी कम होने के आसार हैं. बीते कुछ समय में आरबीआई और सरकार के बीच टकराव एक नए स्तर पहुंच चुका है.
कहां से हुई टकराव की शुरुआत?
सरकार और आरबीआई के इस विवाद का पता तब चला जब 26 अक्टूबर को RBI के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने एक लेक्चर में रिजर्व बैंक की स्वायत्ता को लेकर सरकार पर सवाल उठा दिये थे. विरल आचार्य ने कहा था कि सरकार आरबीआई की आजादी का सम्मान नहीं करेगी तो बाजार की नाराजगी झेलनी पड़ेगी.
बैठक में कौन कौन रहेगा मौजूद?
बैठक में आरबीआई बोर्ड के 18 सदस्य हिस्सा लेंगे. इसमें गवर्नर उर्जित पटेल और उनके चार डिप्टी गवर्नर (एनएस विश्वनाथन, विरल वी आचार्य, बीपी कानूनगो और महेश कुमार जैन) हिस्सा लेंगे. यह सभी इस बोर्ड के 'फुल टाइम ऑफीशियल डायरेक्टर्स' हैं. इनके अलावा सरकार द्वारा नामित 13 सदस्य जिनमें दो वित्त मंत्रालय के अधिकारी (आर्थिक मामलों के सचिव और वित्त सेवा सचिव) शामिल हैं. हिस्सा लेंगे. सरकार द्वारा नामित सदस्यों में प्रसन्ना कुमार मोहंती, दिलीप एस. सांघवी, रेवती अय्यर, सचिन चतुर्वेदी, नटराजन चंद्रशेखर, भरत नरोत्तम दोशी, सुधीर मांकड़, अशोक गुलाटी, मनीष सबरवाल, सतीष काशीनाथ मराठे, स्वामीनाथन गुरुमूर्ति, सुभाष चंद्रा गर्ग और राजीव कुमार शामिल हैं.
रिजर्व बैंक और सरकार में क्यों है तनातनी?
सरकार 2014 तक दिए गए अंधाधुंध कर्ज पर आरबीआई से नाराज है. सरकार चाहती है कि यस बैंक, बंधन बैंक, इक्विटास, उज्जीवन जैसी कंपनियों पर सख्ती ना की जाए. सरकार चाहती है पावर कंपनियों के लोन को एनपीए घोषित करने में रियायत बरती जाए जबकि रिजर्व बैंक इसके पक्ष में नहीं है.
सरकार चाहती है कि गिरते रुपये को थामने के लिए आरबीआई कदम उठाए. सरकार और आरबीआई की तनातनी पर राजनीति भी हो रही है. रिजर्व बैंक ही बैंकों की नीतियां तय करता है और इस उलझन के बीच बैंक भी असमंजस में हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को जानिए?
भारतीय रिजर्व बैंक की रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के अंतर्गत एक अप्रैल 1935 को हुई थी. शुरुआती कुछ सालों तक रिजर्व बैंक ने प्राइवेट रूप से काम किया बाद में साल 1949 में इसका राष्ट्रीयकरण किया गया. रिजर्व बैंक देश में करेंसी छापने का काम करता है. यह भारत सरकार की स्वायत्त संस्था है. यह भारत में मौद्रिक स्थिरता को सुरक्षित करने का काम भी करता है.
आरबीआई विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह मूल्य स्थिरता बनाए रखता है. एक जटिल जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती को पूरा करने के लिए मौद्रिक नीति ढांचे को बनाए रखता है. विदेशी मुद्रा प्रबंधन का काम भी रिज़र्व बैंक करता है. इसके साथ ही यह बैंकिंग परिचालन के व्यापक मानकों को निर्धारित करता है जिसके अंतर्गत देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली कार्य करती है.
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