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Rs 2000 Currency: दो हजार के नोटों की छपाई बंद क्यों? केंद्र सरकार तय करती है नोट छापना है या नहीं

Rs 2000 Currency: रिजर्व बैंक की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक 2020 के आखिर में चलन में शामिल 2000 रुपये के नोटों की संख्या 274 करोड़ थी. वहीं मार्च 2021 में 2000 के नोटों की संख्या घटकर 245 करोड़ रह गई.

Rs 2000 Currency Note Exchange: आरबीआई ने 2000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला लिया है. आरबीआई के निर्देश के अनुसार 30 सितंबर तक यह नोट वैध होंगे. ऐसे में अगर आपके पास 2000 रूपये का नोट है तो आप भी इसे 30 सितंबर के पहले बदलाव लीजिए, क्योंकि इसे बाद यह किसी काम के नहीं रहेंगे.

हालांकि RBI ने 2000 के नोट पर 2000 के नोट पर जो स्पष्टीकरण दिया है उससे यही लगता है कि नोट जमा करने पर कोई पाबंदी नहीं है मतलब जितना चाहे जमा करवा सकते हैं, लेकिन एक बार में आप 20 हजार तक के नोट ही बदलवा सकते हैं.

ऐसे में हमारे लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि RBI ने 2000 के नोट पर जो डिसीजन लिया उसका असर क्या होगा. रिजर्व बैंक 2000 का नोट सर्कुलेशन से वापस लेगा, लेकिन ऐसा नहीं है कि 2000 के नोट अमान्य हो जाएंगे 23 मई से 30 सितंबर तक 2000 के नोट लेकर बदलने के निर्देश दिए हैं.

सरकार ने पहले ही कर ली थी तैयारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2016 में 500 और 1000 के नोट बंद किए थे तभी मार्केट में 2 हजार का नोट आया था. इसके साथ ही 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद उसकी जगह नए पैटर्न में 500 का नया नोट और 2000 का नोट जारी किया गया था.

हालांकि RBI ने साल 2018-19 से 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी थी. जानकारी के मुताबिक तभी से ही 2000 के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने और काले धन पर नकेल कसने की तैयारी सरकार ने पहले ही कर ली थी.

बड़े नोट की छपाई क्यों कर दी  बंद
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक उसने 2019 के बाद से 2000 के नए नोटों की छपाई बंद कर दी थी. रिजर्व बैंक ने साल 2020 और 2021 में 2000 के नए नोट नहीं छापे, वो उससे पहले के ही हैं. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर सरकार ने 2000 जैसे बड़े नोट की छपाई बंद क्यों कर दी तो इसे लेकर कुछ बातें समझना बेहद जरूरी है.

कम लोग प्रेफर कर रहे थे 2000 का नोट
रिजर्व बैंक से सलाह करने के बाद केंद्र सरकार ये तय करती है कि किसी नोट को छापना है या नहीं. करेंसी नोट की पब्लिक के बीच डिमांड के आधार पर ये फैसला लिया जाता है. रिजर्व बैंक की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि लोगों के बीच 100 रुपए के नोट की डिमांड काफी ज्यादा थी, जबकि 2000 का नोट काफी कम लोग प्रेफर कर रहे थे.

इसका मतलब यह है कि देश की जनता अपनी जेब में दो हजार के भारी भरकम नोट की बजाए छोटे नोट चाहती थी. ऐसा इसलिए भी था, क्योंकि 2000 के नोट का खुला मार्केट में आसानी से नहीं मिलता था. अगर आपने दुकानदार से 100 या 200 रु. का लेना हो और जेब में 2000 का नोट हो तो फिर उसके छुट्टे मिलने मुश्किल होते थे.

मार्केट से कम होते गए 2000 के नोट
 
रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में 2000 के नोट को लेकर जो जानकारी सामने आई है. उसके मुताबिक 2020 के आखिर में चलन में शामिल 2000 रुपये के नोटों की संख्या 274 करोड़ थी. इसका मतलब 5.48 लाख करोड़ की कीमत के 2000 के नोट मार्केट में थे और ये आंकड़ा कुल करेंसी नोट की संख्या का 2.4% था.

इसके बाद मार्च 2021 तक चलन में शामिल 2000 के नोटों की संख्या घटकर 245 करोड़ रह गई. इसके बाद मार्च 2021 तक चलन में शामिल 2000 के नोटों की संख्या घटकर 245 करोड़ रह गई यानि 2000 के नोट कुल करेंसी नोट का सिर्फ दो प्रतिशत थे. 

रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल मार्च के आखिर तक 2000 रुपये के सिर्फ 214 करोड़ नोट ही मौजूद थे. इसका मतलब 4 लाख 20 हजार करोड़ की वैल्यू के 2000 के नोट थे जो कुल करेंसी नोटों का सिर्फ 1.6% थे. जिससे यह अनुमान लगा सकते है कि RBI की तैयारी पहले से थी. जहां तक नोटों की छपाई की बात है तो ये बात बिल्कुल सही है कि सरकार और RBI ने नोटों की छपाई कम कर दी थी.

2017 में 2000 के 350 करोड़ नोट छापे गए थे
2018 में 2000 के करीब 11 करोड़ नोट 
2019 में तो सिर्फ 4.6 करोड़ नोट ही छापे

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