मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार रेपो रेट में दूसरी बार 25 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की है. इस कमी के बाद अब रेपो रेट की नई दर 6 फीसदी होगी. यह निर्णय आरबीआई की मोनेट्री पॉलिसी कमिटी की बैठक में लिया गया. रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ बनाये रखा है.


रेपो रेट वह दर होती है जिसपे आरबीआई बैंकों को छोटी अवधि के लिए कर्ज देती है. इस दर में कमी के साथ ही अब लोगों को बैंकों से मकान, दुकान और वाहन के लिये कर्ज सस्ती दर पर मिल सकता है. इससे पहले रिजर्व बैंक ने सात फरवरी 2019 को भी रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था.


रिजर्व बैंक ने साल 2019-20 के बीच ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 फीसदी लगाया है. आरबीआई ने नए वित्त वर्ष की पहली छमाही में ग्रोथ रेट के 6.8-7.1 के बीच होने का अनुमान लगाया है. वहीं, दूसरी छमाही में इसके 7.3-7.4 के बीच होने का अनुमान लगाया गया है.


रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि महंगाई को चार प्रतिशत के दायरे में बरकरार रखने के मध्यावधि के लक्ष्य को हासिल करने के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये रेपो दर में कटौती की गयी है. मोनेट्री पॉलिसी कमिटी के छह में से चार सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती का पक्ष लिया जबकि दो सदस्यों ने रेपो दर स्थिर रखने का समर्थन किया.

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2018- 19 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति का संशोधित अनुमान घटाकर 2.40 प्रतिशत किया है. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये इसे 2.90 से बढ़ाकर तीन प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही के लिये इसे 3.50 से 3.80 प्रतिशत किया गया है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कर्ज में 14 प्रतिशत की वृद्धि व्यापक आधार वाली नहीं, एमएसएमई क्षेत्र के कर्ज वितरण में अभी भी सुस्ती. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक एनपीए के समाधान के लिये बिना अधिक देरी किये संशोधित परिपत्र जारी करेगा.

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