नई दिल्ली: 13 अक्टूबर को लोन मोरेटोरियम मामले पर होने वाली सुनवाई से पहले रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में छोटे कर्जदारों को राहत के लिए सरकार के निर्णय को नोट किया था. लेकिन रिजर्व बैंक ने पूछा था कि दिक्कत में पड़े अलग-अलग सेक्टर को राहत के लिए क्या किया जा रहा है. अब रिजर्व बैंक ने हलफनामा दायर कर कहा है कि




  • सरकार 2 करोड़ तक के छोटे कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज न लेने का फैसला ले चुकी है.

  • अलग-अलग सेक्टर के लोन री-स्ट्रक्चरिंग पर केवी कामथ कमिटी ने सिफारिशें दी हैं. कुछ सिफारिश सबके लिए है. कुछ किसी विशेष सेक्टर के लिए. अब मसला बैंक और कर्जदार पर छोड़ देना चाहिए.

  • रियल एस्टेट सेक्टर समेत कुछ क्षेत्र कोविड-19 आने से भी पहले से दिक्कत में थे. कोविड के दौरान दिया गया मोरेटोरियम उनकी सभी समस्याओं का हल नहीं हो सकता. सरकार ने प्रॉपर्टी क्षेत्र में खरीद बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए हैं.

  • जो लोग मोरेटोरियम लागू होने से पहले से कर्ज का भुगतान नहीं कर रहे थे, वह भी लोन री-स्ट्रक्चर करवाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें पुरानी व्यवस्था के तहत ही सुविधा दी जाएगी.

  • सुप्रीम कोर्ट ने कर्ज का भुगतान न करने वाले सभी खातों को NPA घोषित करने पर रोक लगा रखी है. इस रोक को हटाया जाए. इसका बैंकिंग व्यवस्था पर बहुत खराब असर पड़ रहा है.


रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह मामले में दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दे. उसका कहना है कि अलग-अलग याचिकाओं में जितने मुद्दे उठाए गए थे, उन सबका हल किया जा चुका है. ऐसे में आगे सुनवाई की ज़रूरत नहीं है. उसने कहा है कि कामथ कमिटी और रिजर्व बैंक ने जो फैसले लिए हैं, वह कर्जदार, बैंक, अलग-अलग क्षेत्र और देश की पूरी अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लिए हैं.


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