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कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए RBI ने बढ़ाया हाथ, जानें क्या हैं इसके मायने ?

अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए RBI ने बड़ा एलान किया है.यहां जानें कि RBI की नई घोषणाओं के मायने क्या हैं.

मुंबई: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने लॉकडाउन के दौरान दूसरी बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई राहत देने वाले और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाले कदमों के बारे में बताया. शक्तिकांत दास का आज का संबोधन अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष की चिंताओं, वर्ष 2020 को द ग्रेट डिप्रेशन बोलने और एशिया का विकास दर शुन्य अनुमान करने के बैकग्राउंड में था.

दास ने भी यह बताया कि कोरोना संकट की वजह से इकॉनमी ठहर सी गई है, ऑटोमोबाइल का परफॉरमेंस मार्च माह का बहुत खराब रहा है और एक्सपोर्ट में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है. पिछले प्रेस कॉन्फ्रेंस से बैंकों की तरलता को पुश मिला था लेकिन NBFC और MFI अभी भी परेशान थे, इन्ही सब को देखते हुए यह प्रेस कांफ्रेंस मैक्रो इकॉनमी और इकॉनमी के जो स्तम्भ हैं वित्तीय संस्थाएं उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए था.

रिफाइनेंस स्कीम के तहत किया गया 50 हजार करोड़ का निवेश

सरकार ने TLTRO (Targeted long Term Repos Operations) योजना के तहत 50 हजार करोड़ से मार्केट में पैसा पंप किया ताकि यह नीचे तक NBFC और स्माल फाइनेंस बैंक के माध्यम से नीचे MSME तक पहुंचे. साथ ही रिफाइनेंस स्कीम के तहत 50 हजार करोड़ निवेश किया जो NABARD, SIDBI और NHB के द्वारा नीचे तक MSME तक पहुंचेगा.

NPA क्लासिफिकेशन में भी राहत दिया गया और मोरेटरियम की अवधि को NPA की गणना में शामिल नहीं करने की बात कही है. साथ ही बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं को इसके लिए अपने बुक में प्रावधान बढ़ाने को कहा गया है. NBFC की ओर से रियल एस्टेट को दिए गए ऋण में जहां परिस्थितियां प्रमोटर के हाथ में नहीं है उन्हें कमर्शियल स्टार्ट में एक साल की अवधि की छूट को पुनर्गठन नहीं माना जायेगा.

लिक्विडिटी कवरेज रेशियो अनुपात में तरलता प्रदान की गई

बैंकों को लिक्विडिटी कवरेज रेशियो अनुपात में भी 0.20 कम कर तरलता प्रदान की है. रिवर्स रेपो रेट भी 0.25 से कम कर बैंकों को रिजर्व बैंक में जमा की जगह इस पैसे को बाजार में ऋण वितरण के लिए प्रेरित किया है ताकि पैसा लोगों तक पहुंचे और बिजनेस की साइकिल चले और बिजनेस का नकदी संकट दूर हो. जो बैंक Resolution प्लान तय अवधि में पूरा नहीं कर पाई हैं उन्हें इसके लिए 20 प्रतिशत प्रोवधान की बात कही है.

क्या RBI के अब तक के लिए गए फैसले मंदी से निपटने के लिए काफी है ? आर्थिक विश्लेषक पंकज जैसवाल का कहना है कि, ' RBI के फैसले मंदी दूर करने की दिशा में हैं और समय के हिसाब से पर्याप्त है जितना उसके अधिकार क्षेत्र में आता है. हालांकि RBI की मंशा ठीक है और समयानुकूल है लेकिन इसको लागू करने के लिए उसे बैंकों और NBFC एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं की भी इच्छाशक्ति चाहिए. देखना है कि ये बैंक और NBFC एवं अन्य वित्तीय संस्थाएं इसे कितना जमीन पर उतार पाती हैं.

गांव देहात में किसान मजदूर के जेब मे पैसा आएगा

क्या RBI के इन फैसलों से गांव देहात में किसान मजदूर के जेब मे पैसा आएगा ? आर्थिक विश्लेषक पंकज जैसवाल का कहना है कि, ' RBI का कदम मैक्रो इकॉनमी और वित्तीय संस्थाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए था. इसमें बैकों और वित्तीय संस्थाओं को मजबूती और तरलता प्रदान की गई है ताकि नीचे MSME तक पहुंचे. इसके इम्पलीमेंटेशन में टाइम लगेगा. यह MSME के माध्यम से तत्काल किसान और मजदूरों के पास नहीं पहुंचने वाला.

वेतन स्पेसिफिक फंड नहीं रिलीज होने से MSME भी यह पैसा अपने प्राथमिकता के हिसाब से खर्च करेंगी. कस्बे देहात में MSME और माइक्रो बिजनेस जो हैं अगर उन्हें यह सपोर्ट बैंक और वित्तीय संस्थाएं बढ़ाती हैं तो चरणों मे यह पैसा कस्बे और देहात के बाजारों में पहुंचेगा और फिर वहां से गांवों में. हालांकि अब तक के सभी प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखे तो RBI की पूरी कोशिश रही है. MSME की नकदी संकट को दूर कर पैसा नीचे तक पहुंचाया जाए.

अर्थव्यवस्था में होगा सुधार

क्या अर्थव्यवस्था का पहिया चलेगा ? पंकज जैसवाल के मुताबिक ,' कह सकते हैं कि पहिया चलेगा. क्योंकि पिछले प्रेस कॉन्फ्रेंस में 3 लाख 74 हजार करोड़ की तरलता आज 1 लाख करोड़ और अब तक कुल 6.9 लाख करोड़ की तरलता RBI प्रदान कर चुकी है. GDP के 3.2 प्रतिशत के बराबर इसने फंड सपोर्ट किया है. ऐसे सारे प्रावधान किए हैं कि बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को तरलता मिले और यह नीचे तक जाए आम आदमी को भी तरलता moratorium द्वारा पहुंचाई तो बैंकों की बैलेंस शीट न बिगड़े इसका भी ख्याल रखा. रेगुलेटरी कंप्लायंस को इजी किया. और इसकी तारीफ IMF ने भी की इसलिए कह सकते हैं कि इकॉनमी का ट्रीटमेंट सही दिशा में है.

पॉजिटिव नोट में गवर्नर ने कहा की मुद्रा स्फीति 4 प्रतिशत से नीचे जा सआकती है और 2021-22 में जीडीपी 7.4 प्रतिशत हो सकती है. साथ ही IMF ने कहा है की सभी G20 देशों में भारत बहुत अच्छा कर रहा है इसलिए यह अच्छा संकेत है. हमारे पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा और अनाज है और मानसून भी अच्छा होने वाला है इसलिए इकॉनमी में उम्मीदें हैं.

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