RBI की मौद्रिक नीति समिति बैठक के नतीजे आज, ब्याज दरों में और कटौती संभव
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास पहले ही संकेत दे चुके हैं कि मुद्रास्फीति के अनुकूल दायरे में रहने से नीतिगत दर में नरमी की और गुंजाइश बनती है. रिजर्व बैंक इस साल लगातार चार बार में रेपो रेट में 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है.
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक के बाद केंद्रीय बैंक आज मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजे की घोषणा करेगा. एमपीसी के रिजोल्यूशन को सुबह 11.45 बजे आईबीआई की वेबसाइट पर डाला जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने और आर्थिक वृद्धि पर दबाव को देखते हुये रिजर्व बैंक रेपो रेट में एक और कटौती कर सकता है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास पहले ही संकेत दे चुके हैं कि मुद्रास्फीति के अनुकूल दायरे में रहने से नीतिगत दर में नरमी की और गुंजाइश बनती है.
अगस्त में की गई 0.35 प्रतिशत कटौती के बाद रेपो रेट इस समय 5.40 प्रतिशत है. एमपीसी की छह सदस्यीय समिति की तीन दिन की बैठक एक अक्टूबर को शुरू हुई थी. दो अक्टूबर को गांधी जयंती की छुट्टी रही. गुरुवार को दूसरे दिन की बैठक हुई. बैठक के नतीजों की घोषणा आज की जाएगी. उल्लेखनीय है कि सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हाल में कई कदम उठाए हैं. कॉरपोरेट टैक्स की दर में बड़ी कटौती की गई है, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर लगाया गया बढ़ा अधिभार वापस ले लिया गया. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 5 प्रतिशत पर आ गई है जो इसका छह साल का निचला स्तर है.
रिजर्व बैंक इस साल लगातार चार बार में रेपो रेट में 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है. अगस्त की मौद्रिक नीति बैठक में एमपीसी ने रेपो रेट को 0.35 प्रतिशत घटाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया. एक और खास बात यह है कि एमपीसी की बैठक ऐसे समय हो रही है जबकि रिजर्व बैंक ने बैंकों से एक अक्टूबर से अपने सभी कर्ज को बाहरी मानक मसलन रेपो रेट से जोड़ने को कहा है. इससे रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती का लाभ अधिक तेजी से उपभोक्ताओं को मिल सकेगा. बोफा मेरिल लिंच ने एक रिपोर्ट में कहा है कि हमें उम्मीद है कि एमपीसी चार अक्टूबर को रेपो रेट में एक बार और गैर- परंपरागत यानी 0.35 प्रतिशत की कटौती करेगी. व्यस्त औद्योगिक सत्र के बीच इससे बैंकों के बीच अपनी ब्याज दरों को और कम करने के लिए मजबूत संदेश जाएगा.
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