नई दिल्ली: कोरोना महामारी से गहराते वैश्विक आर्थिक संकट के बीच दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग संगठन आरसीईपी ने भारत को एक बार फिर वार्ता की मेज पर लौटने का न्योता दिया है. पिछले सप्ताह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई आरसीईपी व्यापार वार्ता समिति की बैठक के बाद 15 क्षेत्रीय भागीदारों ने भारत से वापस आने को कहा है. भारत ने नवम्बर 2019 में अपनी मांगों की अनदेखी पर ऐतराज जताते हुए इसमें शरीक ना होने का फैसला लिए था.


क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग संगठन के भागीदार मुल्कों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर तेज और लचीले आर्थिक सुधार को कामयाब बनाने के लिए वैश्विक प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है. सभी 15 पक्षों ने भारत के साथ काम करना जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई. संयुक्त बयान में कहा गया कि भारत को एक मूल्यवान मूल भागीदार के रूप में मान्यता देते हुए, सभी 15 आरपीसी क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग संगठन वार्ता के लिए भारत के लौटने का स्वागत करेंगे.


महत्वपूर्ण है कि डेयरी, कृषि समेत अर्थव्यवस्था की कई अहम चिंताओं पर अपनी चिन्ताओं की अनदेखी के चलते भारत ने इस समझौते पर दस्तखत न करने का फैसला लिया था. यह निर्णय नवम्बर 2019 में पूर्वी एशियाई सगिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में लिया गया था. जहां चीन की अगुवाई में कुछ मुल्कों की जल्दबाजी और दबाव के बीच नवम्बर तीन 2019 को भारत के बिना ही इस समझौते पर आगे बढ़ने का फैसला लिया गया था.


वहीं जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया समेत कई मुल्कों ने भारत को शामिल करने और इसके लिए प्रयास करते रहने का आग्रह किया था. क्षेत्रीय अर्थिक सहयोग संगठन दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है. जिसमें एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) कुनबे के दस देश, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.