नई दिल्ली: 'लाभ का पद' मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द हो गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुहर लगा दी है. इन सभी विधायकों पर संसदीय सचिव के तौर पर लाभ का पद लेने का आरोप है.


इस मामले पर कांग्रेस नेता अजय माकन ने चुनाव आयोग और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. माकन ने कहा, "इस फैसले में देरी के लिए चुनाव आयोग और बीजेपी ने आम आदमी पार्टी की मदद की है जिससे राज्यसभा चुनाव प्रभावित न हो. अगर यह निर्णय 22 दिसंबर के पहले आ जाता तो 'आप' के यह 20 विधायक राज्यसभा के लिए वोट नहीं कर पाते."








राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा, "हम राष्ट्रपति से मिलने की उम्मीद कर रहे थे ताकि हमें खुद को पेश करने का मौका मिले. अब हमें यह सूचना प्राप्त हुई है. अगर आवश्यकता होती है तो आम आदमी पार्टी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर भी दस्तक देगी."

 




सदस्यता रद्द होने वाले 20 विधायकों में से एक अलका लांबा ने कहा, "दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रपति ने जल्दबाजी में निर्णय लिया, हमें बोलने का मौका नहीं दिया गया. यह संवैधानिक संस्थानों का उपयोग कर केंद्र का कार्य है. हम न्यायपालिका पर भरोसा करते हैं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं."

 




क्या उपचुनाव की संभावना ज्यादा है?

यूं तो आम आदमी पार्टी के पास अब भी इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार बचा है लेकिन आमतौर पर देखा गया है कि अदालतें चुनाव आयोग के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करती हैं. यानि कुल मिलाकर दिल्ली में अगले छह महीनों में मिनी विधानसभा चुनाव के आसार ज्यादा हैं.


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