Explained: भारत-पाकिस्तान के बीच हुए समझौते पर उठ रहे हर सवाल का यहां पढ़ें जवाब
एलओसी पर शांति कायम करने के लिए भारत-पाक युद्धविराम समझौते को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है. सवाल ये कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शांति के पीछे चीन की भूमिका है?
चीन से हुए डिसइंगेजमेंट के तुरंत बाद पाकिस्तान से एलओसी पर शांति कायम करने के लिए युद्धविराम समझौते को लेकर सवाल खड़े हो रहे है कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शांति के पीछे चीन की भूमिका है. या फिर ये सवाल कि क्या पाकिस्तान अब भारत के खिलाफ प्रोक्सी-वॉर यानि आतंकियों को पालन-पोसना और भारत के खिलाफ कारवाई करने के लिए उकसाना बंद कर देगा. या फिर कश्मीर में पाकिस्तान आतंकी भेजना बंद कर देगा. ये ऐसे सवाल हैं जो हर किसी के जेहन में घूम रहे हैं. और सबसे बड़ा सवाल तो ये कि क्या पाकिस्तान पर भरोसा किया जा सकता है.
इन सभी सवालों के जवाब के लिए एबीपी न्यूज़ ने सेना मुख्यालय के उच्चपदस्थ और विश्वसनीय सूत्रों से बातचीत की और साथ ही बात की उन सैन्य अफसरों से जो डीजीएमओ स्तर की बातचीत में शामिल थे. सिलसिलेवार तरीके से एबीपी न्यूज़ आपको इन सभी सवालों के जवाब देने जा रहा है.
सवाल- क्या एलएसी पर चीन से उपजे विवाद के चलते भारत ने पाकिस्तान से शांति-वार्ता की ?
जवाब- भारतीय सेना किसी भी चुनौती और खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. बुधवार को ही थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने एक वेबिनार में साफ तौर से कहा था कि भारतीय सेना टू-एंड-हॉफ-फ्रंट यानि चीन, पाकिस्तान और आतंरिक सुरक्षा (कश्मीर में आतंकवाद और उत्तर-पूर्व राज्यों में उग्रवाद) से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. इसलिए ये कहना है कि नार्दन बॉर्डर (यानि चीन सीमा) पर जो हालात बने हैं उसके चलते भारत ने पाकिस्तान से डीजीएमओ स्तर की बातचीत की है, गलत है.
सवाल- क्या पाकिस्तान अब भारत के खिलाफ प्रोक्सी-वॉर बंद कर देगा ?
जवाब- हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि पाकिस्तान ने प्रोक्सी-वॉर बंद कर दी है. या प्रोक्सी-ग्रुप (यानि आतंकी संगठनों) को खत्म कर दिया गया है. लश्कर, जैश, अलबदर जैसे आतंकी संगठन अभी भी पाकिस्तान की जमीन से ही ओपरेट कर रहे है और बेहद मजबूत भी हैं. यूनाईटेड जेहाद काउंसिल (यूजेसी), जो पाकिस्तान में आतंकी संगठनों का एक एम्बरेला संगठन अभी भी सक्रिए है. लेकिन भारत को भरोसा है कि डीजीएमओ स्तर की बातचीत में जो मुद्दे भारत ने उठाए हैं, पाकिस्तान उनपर जरूर ध्यान देगा.
सवाल- लेकिन सवाल खड़ा होता है कि जब पाकिस्तान ने आतंकवाद को खत्म नहीं किया है, तो हम बातचीत क्यूं कर रहे हैं और युद्धविराम समझौता क्यूं कर रहे हैं?
जवाब- एलओसी पर युद्धविराम का मतलब कहीं से भी ये नहीं है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी जंग खत्म हो गई है. आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई जारी रहेगी.
सवाल- इस समझौता का कश्मीर पर क्या असर होगा?
जवाब- कश्मीर में हमारी चौकसी और सुरक्षा कम नहीं होगी. काउंटर-टेरेरिज्म-ग्रिड पहले की तरह मजबूत रहेगा.
सवाल- क्या इस समझौते से भारतीय सेना के हाथ बंध गए हैं?
जवाब- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) को फ्री-हैंड दिया हुआ है. सशस्त्र सेनाओं को पूरी तरह से अपने ऑपरेशन्स करने की छूट है?
सवाल- अब अगर कोई आतंकी हमला होता है- उरी, पठानकोट, पुलावामा जैसा, फिर क्या स्थिति होगी?
जवाब- हम (सर्जिकल स्ट्राइक और एयर-स्ट्राइक जैसा) जवाब देना का अभी भी पूरा हक रखते हैं.
सवाल- क्या युद्धविराम समझौते से सैनिकों की संख्या में कोई कमी आएगी?
जवाब- ऐसा कोई प्रपोजल डीजीएमओ स्तर की बातचीत में सामने आया है. जम्मू-कश्मीर में सेना की तैनाती की समीक्षा पूरी स्थिति को देखभाल करके ही की जाएगी.
सवाल- क्या हम पाकिस्तान पर विश्वास कर सकते हैं?
जवाब- हमारा पाकिस्तान के साथ कड़वा इतिहास रहा है. शांति की प्रक्रिया को पटरी से नीचे लाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां और पाकिस्तानी सेना की आक्रमक नीतियां जिम्मेदार रही हैं. हम इन सभी वास्तविक मुद्दों से वाकिफ हैं. यही वजह है कि हम किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहेंगे. लेकिन इसके साथ-साथ हम सावधानी पूर्वक आशावादी भी हैं क्यूंकि एलओसी पर शांति दोनों देशों के पारस्परिक हित में है.
सवाल- क्या पाकिस्तानी डीजीएमओ ने एलओसी पर घुसपैठ बंद करने का भरोसा दिया है?
जवाब- हमें विश्वास है कि पाकिस्तान एलओसी के पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद करेगा.
सवाल- भारत इस युद्धविराम समझौते के लिए क्यूं तैयार हुआ?
जवाब- भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2003 में युद्धविराम समझौता हुआ था. दोनों देशों के डीजीएमओ समय समय पर हॉटलाइन पर बातचीत करते आए हैं. दोनों देशों के डीजीएमओ सचिवालय के सैन्य-अधिकारी हर मंगलवार को हॉटलाइन पर एलओसी सहित सभी मुद्दों पर बातचीत करते हैं.
सवाल- हॉटलाइन पर बातचीत क्यूं करते हैं?
जवाब- इस हॉटलाइन बातचीत के जरिए दोनों देशों के डीजीएमओ एलओसी, आईबी (इंटरनेशनल बाउंड्री) पर दोनों देशों की सेनाओं की कार्यवाही की समीक्षा करना है.
सवाल- पाकिस्तान इस युद्धविराम समझौते को मानने के लिए क्यूं तैयार हुआ?
जवाब- पाकिस्तानी सेना ने एलओसी के गांव और रिहायशी इलाकों में टेरर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर रखा था. जिसके चलते जब भी भारतीय सेना युद्धविराम उल्लंघन के खिलाफ जवाबी कारवाई करती थी, पाकिस्तान की सिविलियन-पॉपुलेशन को जान-माल की बड़ी हानि होती थी.
पाकिस्तानी सेना की कारवाई में भारत की तरफ के गांववालों को नुकसान होता था. यही वजह है कि दोनों देशों एलओसी पर शांति कायम करने के लिए तैयार हुए हैं. इस समझौते से दोनोे देश एलओसी पर सीजफायर उल्लंघन से होने वाली हिंसा को कम करना चाहते हैं. दोनो देश इस बात के लिए राजी हो गए हैं कि रिहायशी इलाकों पर फायरिंग नहीं करेंगे.
सवाल- अब आतंकवाद के खिलाफ भारत का रूख क्या रहेगा?
जवाब- भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है. भारतीय सेना किसी भी आतंकी हमले या घटना को बर्दाश्त नहीं करेगी और मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. पिछले कुछ सालों में एलओसी पर भारत का एंटी-इनफिल्ट्रेशन ग्रिड काफी मजबूत हुआ है, जिसके चलते पाकिस्तान से आतंकियों की घुसपैठ काफी मुश्किल हो गई है. लेकिन हमारे ऑपरेशन्स और तैनाती में कोई कमी नहीं आएगी.
यह भी पढ़ें.
भारत और पाकिस्तान LoC पर शांति बहाली के लिए तैयार, इन बातों पर बनी सहमति
यूपी विधान परिषद में भी पास हुआ 'एंटी लव जिहाद' विधेयक, सपा ने किया हंगामा