नई दिल्ली: जो इराक में फंसे अपने लोगों के वापस आने का लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे उनपर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का राज्यसभा में दिया गया बयान कहर बनकर टूटा. इस बयान में विदेश मंत्री ने कहा कि करीब चार साल पहले इराक में लापता हुए 39 भारतीयों में सभी की मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि IS के आतंकियों ने सभी 39 भारतीयों की हत्या कर दी. राज्यसभा में सभी मृतकों की याद में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई.
विदेश मंत्री ने अपने बयान में कहा, "हरजीत मसीह की बात झूठी है. हमने उससे बात की है. हमने सभी के डीएनए सैंपल इराक भेजकर शवों से मैच करवाया, 39 भारतीयों में से 38 लोगों के डीएनए मैच हो चुके हैं. एक शख्स का 70 प्रतिशत डीएनए मैच हुआ है.'' उन्होंने ये भी कहा कि मृतकों का शव भारत लाने के लिए कार्रवाई शुरू हो चुकी है.
विदेश मंत्री ने बताया कि मरने वालों में 31 लोग पंजाब, चार हिमाचल प्रदेश और दो-दो लोग क्रमश: पश्चिम बंगाल और बिहार के हैं. उन्होंने कहा कि लापता भारतीयों के बारे में पता लगाना काफी मुश्किल था लेकिन वीके सिंह की तत्परता और इराक सरकार की मदद से यह संभव हो पाया. परिवारों के इंतज़ार पर पर्दा डालने वाली इस ख़बर के आने के बाद एक बार फिर ISIS की क्रूरता का मंज़र नज़रों के सामने नाचने लगता है.
कौन है ISIS?
ISIS यानि इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया अरब दशों के रेगिस्तान और शहरों में आतंक की सबसे बड़ी पहचान बन चुका है. चंद सालों में ही लाखों मासूमों के लिए कफन तैयार करने वाला ये आतंकवादी संगठन अपनी नफरत से दुनिया को बर्बाद और तबाह कर देना चाहता है. ISIS मौजूदा समय में ओसामा बिन लादेन के संगठन अल-कायदा और अफीक्रा के आतंकवादी संगठन बोको हराम से भी ज्यादा खूंखार है और ये संगठन आज पूरी दुनिया के सामने बड़ी चुनौती है. इसका मकसद करीब 14 सौ साल पहले सऊदी अरब में जो खलीफा राज या इस्लामिक राज कायम किया गया था उसे दोबारा स्थापित करना है. इसके लिए ये सर कलम कर देने से लेकर ज़िंदा जला देने और दफना देने जैसी क्रूरता की सारी हदें पार करता रहा है. उसी क्रूरता की भेंट ये 39 भरातीय भी चढ़ गए.
कहां है इनका असल गढ़
भारत से करीब 4 हजार 2 सौ किलोमीटर दूर मेडीटेरियन समुद्र के किनारे इराक और सीरिया जैसे देशों में ISIS का असल गढ़ है. ISIS बीते एक दशक से इराक की जमीन पर अपने नापाक मसूंबों को अंजाम देने में जुटा है. वैसे हालिया दिनों में इराक और अमेरिका की साझी कार्रवाई ने इसे इस देश से लगातार पीछे ढकेला है और इस देश में वो सफाए की कगार पर है. वहीं सात सालों से गृहयुद्ध की मार झेल रहा सीरिया अपने आखिरी गढ़ घोउटा को इसके चंगुल से छुड़ाने के लिए अपने लोगों से ही अमानवीयत करने जैसी कीमत तक चुका रहा है. सीरियाई सरकार के इस शहर को जीतते ही इस देश से ISIS का सफाया हो जाएगा.
अब तक के हमले
लादेन के मारे जाने के बाद अलकायदा का तेज़ी से पतन हुआ और ISIS तेज़ी से उभरा. देखते ही देखते इसने इराक और सीरिया के बडे हिस्सों पर अपना कब्जा जमा लिया. जैसा कि आपको बताया गया कि हालिया लड़ाई में इनके पैरों के नीचे की ज़मीन को मोटा-मोटी खिसका दिया गया है. लेकिन कई हिस्सों में अभी भी लड़ाई जारी है. ISIS ने इराक और सीरिया से बाहर फ्रांस की राजधानी पेरिस और लेबनान की राजधानी बेरुत में बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिया है. इसने बेरुत में 43 और पेरिस में 129 लोगों की जानें ली थी. आईएस ने साल 2015 में रूस के उस जहाज को भी गिराने का दावा किया जिसमें 224 लोग मारे गए थे. वहीं यूरोप और अमेरिका में हुए कई छोटे बड़े आतंकी वारदतों को आंजाम देने वालों ने इसका सेहरा ISIS के सर बांधा है.
भारत कनेक्शन
अबतक भारत की सरजमीं पर इसने सीधे तौर पर किसी वारदात को अंजाम नहीं दिया है. जिन घटनाओं से इसका नाम जुड़ा है उनमें हमले को अंजाम देने वाले इससे जुड़ने या इसे समर्थन देने की चाह रखते थे. ISIS की तरफ से उन्हें कोई समर्थन हासिल नहीं रहा है. हालांकि केरल जैसे कुछ राज्यों से इससे पहले कई लड़कों के इस संगठन से जुड़े होने और इराक और सीरिया में जाकर युद्ध लड़ने की बातें जरूर आई हैं लेकिन जहां तक किसी आतंकी साजिश को अंजाम तक पहुंचाने का मामला है तो ऐसे किसी घटना को भारत में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अंजाम नहीं दिया गया है.
कैसे हुई शुरुआत
आईएस के आंतक की आग की चिंगारी उस वक्त सुलगी थी जब आंतकी संगठन अलकायदा ने साल 2001 में अमेरिका पर आतंकवादी हमला किया था. साल 2001 में जब अलकायदा ने अमेरिका पर आतंकी हमला किया था उस वक्त ISIS भी अलकायदा का ही एक हिस्सा हुआ करता था. ISIS यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया एंड इराक तब इराक में सक्रिय था और इसका चीफ अबु मुसाब अल जरकावी हुआ करता था. जॉर्डन के रहने वाले जरकावी ने इराक में बगावत का झंडा बुलंद कर रखा था और इराक युद्ध के बाद वो बेहद क्रूर आंतकी हमले कर रहा था.
सीरिया और इराक में आईएस के उभार की कहानी 2003 के इराक युद्ध और अफगानिस्तान पर अमेरिका के हमले से जुड़ी हुई है. उसके खौफ ने सीरिया के करीब 65 लाख लोगों को बेघर कर दिया है. करीब 30 लाख लोग सीरिया छोड़ कर आस-पास के मुल्कों में शरण ले चुके हैं. हालांकि, अमेरिकी सेना ने 2006 में इराक में आईएस का खात्मा कर दिया और उसके प्रमुख अबु मुसाब अल जरकावी को भी मार गिराया था. अमेरिकी फौज के इस मिशन में जरकावी के कई वफादार लड़ाके भी पकड़े गए थे जिनमें इराक के ही समारा शहर का रहने वाला अबूबक्र बगदादी भी शामिल था. अमेरिकी सेना ने अगले चार सालों तक बगदादी को इराक की अबू बूक्का जेल में कैद रखा था. साल 2009 में जब बगदादी जेल से निकला तब तक इराक और अफगानिस्तान के हालात बदल चुके थे.
साल 2009 में अबूबक्र बगदादी एक बार फिर आईएस से जुड़ गया और इसके अगले ही साल आईएस के दो टॉप कमांडरों की मौत के बाद उसे आईएस का चीफ भी बना दिया गया. बगदादी ने इस्लामिक स्टेट को क्रूरता की ऐसी ऊंचाई तक पहुंचाया जिसको लेकर अलकायदा जैसे आतंकी सगंठने से भी उसका अलगाव हो गया. साल 2011 में आतंकी ओसामा बिन लादेन मारा गया और अलकायदा बेहद कमजोर पड़ गया. बगदादी ने ऐसे में सीरिया के आतंकी संगठन अल नुसरा और लेवांत इलाके में काम कर रहे आतंकियों को भी अपने संगठन में मिला लिया और नए संगठन का नाम रखा गया ISIL यानी अब बगदादी बड़े इस्लामिक राष्ट्र का सपना देख रहा था जिसे लेवांत कहा जाता है. सीरिया में बीते सात सालों में करीब लाखों लोग देश छोड़ चुके है.
अंत की ओर सबसे ताकतवर आतंकी संगठन?
बेहद खतरनाक हो चुका ये चरमपंथी संगठन ऑटोमैटिक मशीनगनों, रॉकेट और टैंकों जैसे अत्यआधुनिक हथियारों से लैस है. आईएस आधुनिक कम्युनिकेशन के साधनों और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का भी बखूबी इस्तेमाल कर रहा है. लॉस एंजेलिस टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में करीब 10 हजार लड़ाकों के आईएस में शामिल होने का अनुमान था. आज आईएस इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया में अपना प्रचार तंत्र खड़ा कर चुका है. वो लगातार दुनिया के कई देशों से अपने संगठन के लिए भर्तिया कर रहा है. लेकिन दूसरी तरफ इराक और सीरिया जैसे देशों की सरकारों की मज़बूत युद्ध ने इसकी चूलें हिला दी हैं और एक समय दुनिया पर राज करने का सपना देखने वाले ये आतंकी संगठन फिलहाल अपने जन्म के बाद की सबसे कमज़ोर स्थिति हैं.
डर इस बात का है कि जब आलकायदा का खात्मा हुआ था तब दुनिया को लगा था कि इसे आतंक से छुटकारा मिल जाएगा लेकिन अभी लोगों ने राहत की सांस ली ही थी कि तब तक ISIS ने अपना झंडा बुलंद कर लिया. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी की इस आतंकी संगठन का अगर सच में खात्मा होता है तो आतंक की दुनिया कौन सा नया रूप लेती है.