नई दिल्ली: तीन तलाक बिल पर आज मोदी सरकार के लिए बड़ा इम्तिहान हो सकता है. लोकसभा में आसानी से पास हो चुका तीन तलाक बिल आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा. जहां बीजेपी सरकार का शक्ति परीक्षण भी होगा क्योंकि राज्यसभा में सरकार बहुमत के आंकड़े से नीचे है. विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी तीन तलाक बिल का विरोध कर रही है. ऐसे में बिल पास होगा या एक बार फिर राज्यसभा में अटक जाएगा यह गैर यूपीए और गैर एनडीए दलों पर निर्भर करेगा. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद आज सदन में बिल पेश करेंगे. इसके लिए सत्ताधारी दल बीजेपी ने तैयारी कर ली है. सोमवार को पार्टी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है.


राज्यसभा में एक बार फिर तीन तलाक बिल को लेकर केंद्र सरकार और विपक्षआमने-सामने होंगे. इस दौरान सरकार मुस्लिमों के बीच तीन तालक को दंडनीय बनाने के लिए कुछ गैर एनडीए, गैर-यूपीए पार्टियों पर निर्भर रहेगी. बीजेपी के पास राज्य सभा में बहुमत नहीं है लेकिन उसने बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से पिछले सप्ताह सूचना का अधिकार विधेयक राज्य सभा में पारित कराया था. ऐसे में वह कई तरह के अंक गणित पर ध्यान दे रही जिससे राज्यसभा में तीन तलाक बिल को पास करवाया जा सके.


तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पास कराने को लेकर भी बीजेपी को इन दलों से समर्थन की फिर से उम्मीद है, लेकिन चुनौती यह है कि एनडीए के साथी जनता दल (यू) द्वारा बिल का समर्थन नहीं करने का एलान किया गया है. ऐसे में आइए देखते हैं कैसे बीजेपी राज्यसभा में टीआरएस, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से तीन तलाक बिल को पास करवा सकती है?


राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, 4 सीटें खाली होने के बाद आंकड़ा 241 होता है, इस लिहाज से बहुमत के लिए 121 सांसदों की जरूरत है. सत्ताधारी गठबंधन एनडीए के पास 113 सांसद ही हैं. बीजेपी के 78 सांसद राज्यसभा में हैं तो वहीं अन्य एनडीए के अन्य दलों की बात करें तो एआईएडीएमके 11, जेडीयू 6, शिवसेना 3, शिरोमणी अकाली दल 3 और निर्दलीय और नामांकित 12 सासंद हैं. इस तरह एनडीए के पक्ष में कुल 113 सांसदों का वोट तय माना जा रहा है लेकिन यह संख्या मेजोरिटी के 121 के मार्क से 8 कम है. ऐसे में अगर उसे बीजेडी के सात सांसद, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 6, वाईएसआर कांग्रेस के दो सांसदों का साथ मिलता है तो बिल के समर्थन में 128 वोट पड़ेंगे और बिल आसानी से पास हो जाएगा.


गैर यूपीए और गैर एनडीए सांसदों की होगी अहम भूमिका
जहां राज्य सभा में NDA के 113 सांसद हैं तो वहीं यूपीए की बात करें तो उसके पास कुल 68 सांसद राज्य सभा में हैं. कांग्रेस के 48, आरजेडी के 5, एनसीपी के 4, डीएसके के5, जेडीएस के 1 और निर्दलीय और नामांकित सदस्यों की संख्या 5 है. यूपीए और एनडीए के अलावा जो सांसद राज्य सभा में तीन तलाक बिल को पास करवाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं वह हैं बीजेडी के सात सांसद, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 6, वाईएसआर कांग्रेस के दो और एनपीएफ का एक सांसद. इसके अलावा दो निर्दलीय सांसद भी हैं. यानि गैर यूपीए और गैर एनडीए के 18 सांसदों पर सबकी नजर होगी. बीजेपी को अगर इनका साथ मिला तो बिल आसानी से पास हो जाएगा.