इस बार मानसून आने में क्यों हुई देरी, जानिए किस रूट से आते हैं बादल?
पिछले कुछ सालों में घरेलू कामों, कारखानों और परिचालन के लिए मानव तेल, गैस और कोयले का इस्तेमाल बढ़ा है. जिसका जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
जून के महीने में हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों में भारी गर्मी पड़ती थी. पिछले कुछ सालों के मौसम को देखें तो पाएंगे कि इस महीने तक यानी जून तक कई राज्यों में लू के थपेड़ों के कारण तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा भी चढ़ जाता है.
भारत में तापमान बढ़ने का ये सिलसिला मार्च महीने से ही शुरू हो जाता है. अप्रैल, मई के महीने तक तो सूरज अपने पूरे तेज में रहता है. लेकिन मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल हीट वेव अप्रैल में 11 से लेकर 20 तारीख और मई में 6 तारीख से लेकर 12 तारीख तक ही रही है. 9 साल में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि मई के महीने में लू नहीं चली और तापमान में गिरावट आई है.
देश में बिन मौसम बारिश का ये सिलसिला सिर्फ उत्तरी भारत तक ही सीमित नहीं रहा. बल्कि दक्षिण, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी भारत में भी कमोबेश यही हालात रहे हैं.
इस बीच मौसम विभाग ने मानसून के आगमन को लेकर बड़ी जानकारी दी है. पिछले 11 दिनों से रुका मानसून बंगाल की खाड़ी में आगे बढ़ गया है. मानसून पूरे अंडमान और निकोबार द्वीप को कवर करते हुए म्यांमार की ओर आगे बढ़ रहा है. तेज बारिश के कारण कश्मीर की तापमान में गिरावट आई है. आईएमडी की मानें तो देश के अधिकतर राज्यों में 15 जून तक मानसून की दस्तक हो जाएगी.
दरअसल 19 मई, 2023 को मौसम विभाग ने बताया था कि उस वक्त ही दक्षिण पश्चिम मानसून को अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सबसे उत्तरी छोर से होकर गुजरना था और 22 मई, 2023 तक म्यांमार की ओर बढ़ना था. मानसून को बढ़ने में कम से कम आठ दिनों की देरी हुई है.
अप्रैल-मई महीने में बिना मौसम बरसात क्यों हो रही है?
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इस साल अप्रैल-मई महीने में बिन मौसम बरसात होने का सबसे बड़ा कारण है क्लाइमेट चेंज और वेस्टर्न डिस्टरबेंस रहा है. साल 2023 के अप्रैल महीने में लगातार 5 वेस्टर्न डिस्टरबेंस आए और इनका आना अभी भी जारी है. इस बार आने वाले वेस्टर्न डिस्टरबेंस पिछले सालों से ज्यादा है.
वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण चक्रवाती हवाएं बनती हैं और यह फिलहाल हरियाणा और पंजाब के ऊपर बनी हुई हैं. यही कारण है कि उत्तर से पश्चिम भारत तक लगातार बारिश हो रही है.
इसके अलावा भारत में बारिश के लिए ट्रफ लाइन भी जिम्मेदार है. ट्रफ रेखा अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से एक साथ नमी वाली हवाएं खींचती है. जिसके कारण इससे बादल बनते हैं और मानसून एक्टिव हो जाता है. ट्रफ लाइन फिलहाल मध्य प्रदेश से तमिलनाडु तक बन रही है.
आसान भाषा में समझे तो एक तरफ बंगाल की खाड़ी से पूर्वी हवाएं और दक्षिणी पूर्वी हवाएं आ रही हैं. वहीं दूसरी तरफ अरब सागर से दक्षिण पश्चिमी हवाएं आ रही है. दोनों तरफ की हवा मध्यप्रदेश में मिल रही है और बादल बन रहे हैं.
(फोटो क्रेडिट- भारतीय मौसम विभाग/ IMD)
क्यों बदल रहा मौसम का पैटर्न
भारत में पहले जिस महीने बारिश होती थी अब उसी महीने लोग ठंड से ठिठुर रहे होते हैं. या जिस महीने गर्मी से लोग परेशान रहते थे अब उसी महीने बारिश होती है. देश में बदलता मौसम का ये पैटर्न जलवायु परिवर्तन का असर बताया जाता है. बीतते सालों के साथ ही धीरे-धीरे मौसम का पैटर्न भी बदलता चला गया.
आसान भाषा में समझे तो जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग और मानसून में अस्थिरता को बढ़ा रही है, जिसके चलते गर्मी के मौसम की अवधि बढ़ रही है और बारिश की अवधि कम हो रही है. साल 2022 में साल 1902 के बाद से दूसरी सबसे बड़ी चरम घटनाएं देखी गई हैं. बाढ़ और सूखे जैसी खतरनाक घटनाएं बढ़ गई है.
जलवायु परिवर्तन क्या है?
जलवायु एक लंबे समय में या कुछ सालों में किसी स्थान का औसत मौसम है. क्लाइमेट चेंज उन्ही परिस्थितियों में हुए बदलाव के कारण होता है. पिछले 50 सालों में मौसम के ट्रेंड में हुए बदलाव का एक कारण जलवायु परिवर्तन जिसके सबसे बड़े दोषी हम यानी मानव क्रियाएं हैं.
पिछले कुछ सालों में घरेलू कामों, कारखानों और परिचालन के लिए मानव तेल, गैस और कोयले का इस्तेमाल बढ़ा है. जिसका जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
जीवाश्म ईंधन जलाते के दौरान उससे जो ईंधन निकलता है उसमें ग्रीन हाउस गैस में सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड होता है. इन गैसों की मौजूदगी के कारण वातावरण में सूरज का ताप धरती से बाहर नहीं जा पाता है और ऐसी स्थिति में धरती का तापमान बढ़ने लगता है.
19वीं सदी की तुलना में 20वीं सदी में धरती का तापमान लगभग 1.2 सेल्सियस अधिक बढ़ चुका है और वातावरण में CO2 की मात्रा में भी 50 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है.