पूर्व क्रिकेटर और राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. पंजाब चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया. पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी ने एतिहासिक जीत हासिल करते हुए 92 सीटें जीती हैं. जबकि कांग्रेस को 18, शिरोमणि अकाली दल को 3, बीजेपी को दो और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 1 सीट से संतोष करना पड़ा है. एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी चुनाव जीता है. नवजोत सिंह सिद्धू भी अमृतसर पूर्व सीट से चुनाव हार गए. 20 अक्टूबर 1963 को जन्मे सिद्धू की लगातार पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी के साथ खटपट बनी रही. 


रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे पहले जब सीडब्ल्यूसी की बैठक रविवार को हुई थी, जब पंजाब के इंचार्ज हरीश चौधरी ने सिद्धू को पंजाब की हार का जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि सिद्धू ने लोगों के सामने जो चन्नी के बारे में बोला, उससे पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा. पंजाब की राजनीति में जिस शिखर पर पहुंचने का सपना नवजोत सिंह सिद्धू देख रहे थे, वो वहीं हिट विकेट हो गए.


मंगलवार को चौधरी चंडीगढ़ पहुंचे थे और वहां उन्होंने चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के साथ हार के कारणों पर समीक्षा की. करीब 63 नेताओं से उन्होंने अलग-अलग मुलाकात की और यह पाया कि कांग्रेस अंदरुनी कलह के कारण उसे पंजाब में मात मिली. इस समीक्षा बैठक से पहले चौधरी ने चन्नी और सिद्धू दोनों से मुलाकात की थी. पार्टी उम्मीदवारों ने जो कारण बताए उसमें ईडी की चन्नी के भतीजे पर रेड, सिद्धू का लगातार चन्नी पर हमला औऱ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ का बड़बोलापन शामिल है.


कई नेताओं का ये भी मानना है कि सिद्धू की चुनावों में पहली हार और अब इस्तीफे के पीछे उनका पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करना है. उन्होंने कई पार्टी नेताओं के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था. 


जब सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का चीफ बनाया गया, उस वक्त उनकी तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत चल रही थी. इस कड़ी में कई अन्य नेता भी सिद्धू के साथ थे. लेकिन बाद में इन नेताओं ने सिद्धू को नए सीएम फेस के तौर पर समर्थन नहीं दिया. 


इसके बाद पार्टी ने दलित चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी पर दांव लगाया तो सिद्धू ने चन्नी के विरोध में बोलना शुरू कर दिया. चन्नी के पदभार संभालने के बाद उन्होंने एडवोकेट जनरल और डीजीपी की नियुक्ति को लेकर विरोध किया और इस्तीफा दे दिया. हालांकि एजी और डीजीपी को हटाए जाने के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया. 


बाद में भी चन्नी पर सिद्धू का सार्वजनिक तौर पर हमला जारी रहा और उनकी योजनाओं पर भी उन्होंने सवाल उठाए. लेकिन जब नतीजे आए तो सिद्धू न सिर्फ खुद पंजाब की पिच पर बोल्ड हो गए बल्कि पार्टी भी ऑल आउट हो गई. 


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