नई दिल्लीः जैसा कि आप जानते ही हैं कि लोकसभा चुनाव 2019 में होने हैं. हालांकि कुछ ऐसे कारणों की चर्चा हो रही है जिसके चलते कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव कुछ जल्दी कराए जा सकते हैं. यहां वो वजह और अनुमान बताए हैं जिनसे इस बात का संकेत मिल रहा है कि शायद चुनाव आने वाले 100 दिनों में यानी मार्च-अप्रैल 2018 तक हो जाएं. ये लेख राजेश जैन ने लिखा है और उनके द्वारा नई दिशा पर लिखे गए अंग्रेजी लेख का अनुवाद है.

चुनाव जल्दी होने के मुख्य 6 कारण ये हो सकते हैं

  • राज्यों के चुनावों के नतीजे अनिश्चितः अगर राज्यों के नतीजों के आधार पर बीजेपी के भविष्य के प्रदर्शन का अनुमान लगाया जाए तो मुश्किल लगता है कि पार्टी साल 2014 की तरह 282 सीटों पर जीत का आंकड़ा दोहरा पाएगी. उत्तर और पश्चिम में कई राज्यों में पार्टी ने क्लीन स्वीप का प्रदर्शन किया, हालांकि अब अगर ग्राउंड रिपोर्ट देखी जाए तो 5 राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में पार्टी 40-50 सीटें खो सकती है. वहीं उत्तर प्रदेश में भी 71 सीटें (और 2 सीटें गठबंधन की) यानी कुल मिलाकर 73 सीटों का जादुई आंकड़ा फिर से पाना मुश्किल लगता है.

  • मानसून की अनिश्चतताः देश ने हाल ही में लगातार 2 अच्छे मानसूनी सीजन देखे हैं और ऐसे समय में जबकि अनिश्चित जलवायु की स्थिति और कई अल-नीनो के प्रभाव की आशंका बनती जा रही है, लगातार तीसरा अच्छा मानसून का सीजन देखे जाने की उम्मीद कम है. औसत से कम मानसून के खतरे के चलते ग्रामीण इलाकों में सेंटीमेंट को झटका लग सकता है जो कि देश की कुल वोट करने वाली जनसंख्या का आधा प्रतिशत है. वहीं लोन माफ करने के चलते सरकार के पास फंड आना भी मुश्किल रहेगा, लिहाजा इन बातों को देखते हुए भी सरकार चुनाव के लिए इंतजार तो नहीं करना चाहेगी.

  • विपक्ष को चौंकाने वाला तथ्यः आमतौर पर चुनावी लड़ाई जीतने में सरप्राइज एलिमेंट बड़ी भूमिका निभाता है. इस समय कोई भी इस बात की उम्मीद नहीं कर रहा है कि आने वाले मार्च-अप्रैल तक चुनाव होंगे, हद से हद लोगों को इस साल के नवंबर-दिसंबर में चुनावों की उम्मीद हो सकती है. तो बीजेपी आने वाले 100 दिनों में चुनाव कराकर विपक्ष को सन्न कर सकती है और लोगों को चौंका सकती है.


हाल की घटनाओं और आने वाले इंवेट्स के आधार पर अनुमान

  • पीएम मोदी के 2 इंटरव्यूः पिछले सप्ताह पीएम मोदी ने 2 दिन में 2 इंटरव्यू दिए जो कि स्वाभाविक नहीं है. ये खासतौर पर इस सवाल को उठा रहा है कि अभी पीएम मोदी ने इंटरव्यू क्यों दिए? बीजेपी की सरकार के पिछले साढ़े-तीन सालों में पीएम मोदी ने कितने इंटरव्यू दिए, ये याद नहीं आएगा.

  • जल्द ही आ सकता है फील गुड बजटः इस 1 फरवरी को आने वाला बजट बीजेपी सरकार के लिए इस कार्यकाल का आखिरी बजट होगा. लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि इस बजट में अलग-अलग वर्गों के लिए अच्छी खबरें होंगी. पीएम मोदी ने भी हाल ही में कहा कि वो रियायतों में विश्वास नहीं रखते और इस बार कुछ अलग ही होगा, इसके बाद लोगों की बजट से उम्मीदें और बढ़ गई होंगी. लोगों की राजनीतिक और आर्थिक बातों की याददाश्त सिर्फ 90 दिनों के लिए होती है. तो अगर सरकार को बजट के बाद के फील गुड फैक्टर को भुनाना है तो इसका समय अभी ही है. इस कार्यकाल में बीजेपी के पास इस तरह का मौका फिर नहीं आएगा.

  • साथ में चुनाव या एक बड़ा बलिदानः इस समय बातें की जा रही है कि आने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव कराने के बारे में सोचना पीएम मोदी के बलिदान का एक रूप है. चुनावों की विशाल लागत को कम करने के लिए सत्ता का एक साल कम करना अपने आप में एक उदाहरण होगा. इस तरह जल्दी लोकसभा चुनाव कराने के लिए बीजेपी कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, दिल्ली और महाराष्ट्र के साथ चुनावों के बारे में सोच सकती है. इसके आने वाले समय में क्लीन इंडिया के तहत देखा जा सकता है. लिहाजा इन विधानसभा चुनावों के साथ बीजेपी का लोकसभा चुनाव कराना उसके चुनाव जीतने की संभावना को बढ़ा सकता है.


तो अगर इन सब अनुमानों और तथ्यों को देखा जाए तो बीजेपी की मार्च-अप्रैल में जल्दी चुनाव कराने की योजना क्यों नहीं हो सकती? क्यों बीजेपी चुनावों के लिए एक साल का इंतजार करेगी?

कौन है राजेश जैनः राजेश जैन एक टेक्नोलॉजी आंत्रप्रेन्योर और एशिया की डॉटकॉम क्रांति के अग्रणी हैं. उन्होनें 1990 में भारत के सबसे पहले इंटरनेट पोर्टल्स को बनाया था. उन्होंनें उस दौर में जो कंपनी बनाई थी वो आज भारत की सबसे बड़ी डिजिटल मार्केटिंग कंपनी है. राजेश एक आंत्रप्रेन्योर के तौर पर ही काम कर रहे हैं लेकिन एक अलग डोमेन पर जो है राष्ट्र निर्माण, उनका विश्वास है कि भारत को ट्रांसफॉर्मेशन की जरूरत है और इस क्रांति में हमें राजनीतिक आंत्रप्रेन्योर के तौर पर काम करना चाहिए.