Rebel NSCN Group PeaceTalks : विद्रोही नगा समूह नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम-इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) नगा मुद्दे का स्थायी समाधान तलाशने के वास्ते बुधवार को यहां केंद्र के साथ शांति वार्ता फिर से शुरू करेगा. सरकार के साथ बातचीत शुरू करने से एक दिन पहले मंगलवार को एनएससीएन-आईएम ने कहा कि वह नगा बहुल क्षेत्रों के एकीकरण और एक अलग झंडे की अपनी मांग पर कायम है, तथा इन पर कोई समझौता नहीं हो सकता.


पीएम मोदी के भाषण से जगी थी उम्मीद


एनएससीएन-आईएम ने अपने मुखपत्र ‘नगालिम वॉइस’ में एक संपादकीय में कहा कि यह एक ‘‘विडंबना’’ है कि अपनी उपलब्धियों का ‘‘प्रचार पसंद करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, से, उनके नगा संबंधी मुद्दे को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने की उम्मीद है, जबकि भारत-नागा वार्ता फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) पर गतिरोध कायम है.सम्पादकीय में कहा गया कि सात साल पहले जब प्रधानमंत्री मोदी ने तीन अगस्त 2015 को अपने आवास पर एफए हस्ताक्षर समारोह का आयोजन किया था, तो उनके भाषण ने एक उम्मीद जगाई थी.


संपादकीय में क्या कहा गया


प्रधानमंत्री ने इस बात का बड़े गर्व के साथ ऐलान किया था कि उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे लंबे समय से चली आ रही उग्रवाद की समस्या का हल निकाल लिया है. इसके अलावा, इस समारोह का पूरी दुनिया में सीधा प्रसारण किया गया, ताकि नगा मुद्दा सुलझाने में उनकी उपलब्धि को सभी तक पहुंचाया जा सके. सम्पादकीय में कहा गया, ‘‘ मोदी नगा मुद्दे से पीछे नहीं हट सकते, लेकिन उन्हें राजनीतिक समझ से एक बार फिर समझौते की रूपरेखा पर गौर करना होगा.’’


2015 में हुआ था समझौते पर हस्ताक्षर 


सम्पादकीय में कहा गया कि एफए लाने का श्रेय तो उन्होंने ले लिया है....अब नगा मुद्दे को सुलझाने के लिए आगे की कार्रवाई भी करें.केंद्र सरकार 1997 से ही एनएससीएन (आईएम) तथा 2017 से सात संगठनों वाले नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) के साथ अलग-अलग बातचीत कर रही है. वह एनएससीएन-आईएम की अलग नगा ध्वज और संविधान की मांग ठुकरा चुकी है जबकि समूह इस पर अड़ा हुआ है. केंद्र ने तीन अगस्त 2015 को एनएससीएन (आईएम) के साथ रूपरेखा के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, और दिसंबर 2017 में एनएनपीजी के साथ भी सहमति बनाई थी.


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