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1934 में संघ के शिविर में गये थे महात्मा गांधी, कड़ा अनुशासन और सादगी देखकर हुए प्रभावित

संघ के वर्धा शिविर में साल 1934 में महात्मा गांधी गए थे. महात्मा गांधी के अलावा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, जयप्रकाश नारायण और सेना के पूर्व जनरल करियप्पा भी संघ शाखा जा चुके हैं.

नई दिल्ली: आरएसएस ने कांग्रेस के बड़े नेता रहे और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को निमंत्रण भेजा है. प्रणब मुखर्जी ने न्योता मंजूर भी कर लिया है लेकिन ये बात कांग्रेस को मंजूर नहीं हो रही. कांग्रेस ने आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब के जाने को लेकर सवाल उठाये हैं. पहले संदीप दीक्षित और अब पूर्व रेल मंत्री सीके जाफर शरीफ ने प्रणब मुखर्जी को चिट्ठी लिखकर नहीं जाने को कहा है.

प्रणब से पहले कौन-कौन गया संघ शिविर में? कांग्रेस आज भले ही प्रणब मुखर्जी के नागपुर जाने पर सवाल उठा रही हो लेकिन इसी संघ के वर्धा शिविर में साल 1934 में महात्मा गांधी गए थे. महात्मा गांधी के अलावा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, जयप्रकाश नारायण और सेना के पूर्व जनरल करियप्पा भी संघ शाखा जा चुके हैं.

महात्मा गांधी ने की थी संघ की तारीफ महात्मा गांधी ने तो अनुशासन के लिए संघ की तारीफ भी की थी. महात्मा गांधी संघ के खिचड़ी भोज में सभी वर्ग के लोगों के एक साथ भोजन करने के कार्यक्रम से प्रभावित हुए थे. 16 सितंबर 1947 की सुबह दिल्ली में संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, ''बरसों पहले मैं वर्धा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक शिविर में गया था. उस समय इसके संस्थापक श्री हेडगेवार जीवित थे. स्व. श्री जमनालाल बजाज मुझे शिविर में ले गये थे और वहां मैं उन लोगों का कड़ा अनुशासन, सादगी और छुआछूत की पूर्ण समाप्ति देखकर अत्यन्त प्रभावित हुआ था.संघ एक सुसंगठित, अनुशासित संस्था है.''

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का इतिहास देश की 95 फीसद आबादी में फैला आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है. साल 1925 में विजय दशमी के दिन नागपुर में डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने आरएसएस की स्थापना की थी. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने अपने घर में 12 स्वंयसेवकों को संबोधित किया था. जिस वक्त में कांग्रेस के खिलाफ खड़ा होना चुनौती था, उस वक्त में हेडगेवार ने खुद शाखा लगाई.

जब नागपुर से बाहर निकला आरएसएस धीरे-धीरे संघ ने नागपुर से बाहर निकलकर पूरे महाराष्ट्र में अपना दायरा बढ़ा लिया. हेडगेवार उत्तर प्रदेश के बनारस में बीएचयू के संस्थापक मदन मोहन मालवीय से मिले जिसके बाद उन्होंने बीएचयू परिसर में संघ का कार्यालय खोल दिया और संघ के राष्ट्रीयकऱण की दिशा में काम शुरु हो गया.

धीरे धीरे देशभर में फैलना शुरू हुआ आरएसएस वाराणसी में ही डॉ. हेडगेवार की मुलाकात माधवराव सदाशिव राव गोलवलरकर से हुई जो वहां से एमएससी कर रहे थे. इसके बाद संघ वटवृक्ष के रुप में आकार लेने लगा. संघ हिंदुत्व के साथ -साथ देश हित के लिए काम करता रहा.

जब आरएसएस पर पहला प्रतिबंध लगा 30 जनवरी 1948 को कथित रुप से आरएसएस से जुड़े नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी. इसके बाद संघ पर पहला प्रतिबंध लगा. 1948 में लगा प्रतिबंध सबूतों के अभाव में 1949 में सरदार पटेल ने हटा दिया.

इंदिरा गांधी ने लगाया दूसरा प्रतिबंध 1975 में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी के दौरान जनसंघ के साथ-साथ आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.

बाबरी विध्वंस के बाद भी बैन हुआ RSS 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद भी आरएसएस पर तीसरी बार प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि बाद में प्रतिबंध हटा लिया गया. हर वर्ग पर पकड़ के लिए बनाए संगठन आरएसएस की ताकत उसका हिंदुत्ववादी होना हैं. समाज के हर वर्ग में पकड़ रखने के लिए आरएसएस ने सेवा भारती, विधा भारती, स्वदेशी जागरण मंच, अखिल भारतीय विधार्थी परिषद, हिंदू स्वंय सेवक संघ, भारतीय मजदूर संघ और भारतीय किसान संघ जैसे संगठन बनाए.

नेहरू ने गणतंत्र दिवस की परेड में संघ को बुलाया 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान संघ की भूमिका से नेहरू इतने प्रभावित हुए कि 1963 में गणतंत्र दिवस की परेड में संघ को आमंत्रित किया था. उस वक्त 3000 स्वंयसेवकों गणवेश के साथ परेड में हिस्सा लिया था.

पूर्व पीएम वाजपेयी भी संघ के प्रचारक रहे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी संघ के प्रचारक रहे हैं. उन्होंने संसद में खुलकर कहा था कि संघ देशहित में काम करने वाला संगठन है. यही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आपातकालीन स्थिति में आरएसएस की भूमिका का भी जिक्र किया था.

पीएम मोदी भी रहे संघ प्रचारक, सरकार बनने के बाद 30% बढ़ी शाखाएं विजय दशमी के दिन आरएसएस पूरे देश में शस्त्र पूजा का कार्यक्रम आयोजित करता है. पीएम मोदी भी आरएसएस के प्रचारक रहे हैं. वो भी विजय दशमी के दिन बाकयदा शस्त्र पूजन करते हैं. 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद संघ की शाखाओं में 30 फीसदी की बढोतरी हुई है. यानि देश में संघ जितना तेजी से विस्तार कर रहा है उतनी तेजी से बीजेपी देश में फैल रही है.

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