भारत-चीन के बीच एलएसी पर टकराव क्यों था सदी का सबसे बड़ा विवाद, इस तस्वीर से समझें पूरी बात
भारतीय सेना की तरफ से पैंगोंग-त्सो के दक्षिण में कैलाश हिल रेंज के रेचिन ला दर्रे की तस्वीर जारी की गई है. यहां पर दोनों देशों की सेनाएं बेहद करीब थीं. यहां पर दोनों देशों के टेंट इतने करीब थे कि चीनी सैनिक रात में गलती से भारतीय सेना के खेमे में आ जाते थे.
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच एलएसी पर चल रही टकराव को इस सदी का सबसे बड़ा विवाद क्यूं माना जा रहा था, उसकी एक तस्वीर सामने आई है. ये तस्वीर पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के रेचिन ला दर्रे की है जहां भारत और चीन के टैंक महज़ 30-40 मीटर की दूरी पर थे.
भारतीय सेना द्वारा जारी की गई इस तस्वीर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि टकराव के दौरान भारत और चीन की सेनाएं किस तरह आई बॉल टू आई बॉल थीं. ये तस्वीर पैंगोंग-त्सो के दक्षिण में कैलाश हिल रेंज के रेचिन ला दर्रे की है. सूत्रों के मुताबिक, ये तस्वीर कुछ दिनों पहले उस वक्त ली गई जब भारत और चीन की सेनाओं के बीच डिसइंगेजमेंट शुरू ही हुआ था.
इस तस्वीर को जूम करने से टैंकों का एक ट्रैक दिखाई पड़ता है. टैंकों के निशान एक तरह से दोनों देशों की सेनाओं के बीच लाइन ऑफ एक्चयुल कंट्रोल यानी एलएसी खींचते दिख रहे हैं. यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा.
टैंकों के इस ट्रैक के बाएं तरफ भारतीय सेना की आर्मर्ड ब्रिगेड यानि टैंक और सैनिक दिखाई पड़ रहे हैं. ये भारतीय सेना के टी-72 टैंक हैं. इसके अलावा वहां भारतीय सेना की सफेद और ऑलिव कलर की जिप्सी खड़ी दिखाई दे रही हैं. ट्रैक के दाएं तरफ चीनी सेना के सैनिक और टैंक हैं. जानकारी के मुताबिक, यहां पर दोनों देशों की सेनाएं सबसे करीब थीं. महज 30-40 मीटर की दूरी पर. इतने करीब होने के चलते ही यहां हालात बेहद नाजुक बने हुए थे.
10 फरवरी को डिसइंगेजमेंट समझौता होने के बाद अब दोनों देशों की सेनाएं अपनी आर्मर्ड और मैकेनाइज्ड फोर्सेज़ यानि टैंक, इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल्स (आईसीवी/बीएमपी) और दूसरी हेवी मशीनरी के साथ पीछे हट रही हैं.
चीनी सेना के टैंक और दूसरे आर्मर्ड व्हीक्लस मोल्डो गैरिसन से कुछ दूरी पर रोहटगो बेस पर जा रहे हैं, तो भारतीय सेना के चुशुल ब्रिगेड हेडक्वार्टर और करीब ही लोमा और नियोमा तक पीछे हट रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी पर दो ऐसे फ्रिक्शन-पॉइंट थे, जहां दोनों देशों के सैनिक सबसे ज्यादा करीब थे. उनमें से एक रेचिन ला दर्रा था और दूसरा फिंगर 4 था. फिंगर 4 पर हालांकि सिर्फ इंफेंट्री सैनिक ही आई बॉल टू आई बॉल थे. लेकिन रेचिन ला दर्रे पर टैंक, इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल्स (आईसीवी/बीएमपी) और दूसरी हैवी मशीनरी के चलते हालात बेहद नाजुक थे. जरा सी भी चिंगारी एक बड़े युद्ध का रूप ले सकती थी.
रेचिन ला दर्रे पर दोनों देशों के सैनिकों के टेंट भी इतने करीब थे कि चीनी सैनिक रात में गलती से भारतीय सेना के खेमे में आ जाते थे. एक सैनिक को तो भारतीय सेना ने अस्थायी तौर से बंदी भी बनाया था. चीनी सेना के आग्रह पर हालांकि उसे वापस भेज दिया गया था. तस्वीर में एक बंकर के बाहर खड़ा संतरी/सैनिक दिखाई पड़ रहा है. जबकि टेंट भी दिखाईं पड़ रहे हैं.
सेना मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक, फिंगर एरिया में अगले एक दो दिन में डिसइंगेजमेंट पूरा हो जाएगा, जबकि कैलाश हिल रेंज पर अगले हफ्ते तक हो जाएगा. क्योंकि कैलाश हिल रेंज जिसका स्ट्रैच करीब 60 किलोमीटर है वहां टैंक और दूसरे आर्मर्ड व्हीकल्स तैनात हैं. जबकि फिंगर एरिया में सिर्फ इंफेंट्री सैनिक और तोप तैनात हैं.
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