आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के तहत संरक्षित ऐतिहासिक चर्च, मस्जिद और मंदिर जैसी धार्मिक इमारतों में पूजा-अर्चना करने की अनुमति के लिए संसदीय पैनल ने सरकार से सिफारिश की है. फिलहाल एएसआई सिर्फ उन इमारतों में ही पूजा करने की अनुमति देता है, जहां पर कस्टडी में लिए जाने के समय भी पूजा-अर्चना की जाती थी. शुक्रवार को दोनों सदनों में भारत में गुमनाम स्मारकों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे पर चर्चा हुई. 


कमेटी में युवाजन श्रमिक रायतु कांग्रेस पार्टी (YSR Congress) के राज्य सभा सांसद वी विजय साई रेड्डी समेत विभिन्न पार्टियों के 12 से ज्यादा नेता शामिल थे. कमेटी ने कहा कि देशभर के कई ऐतिहासिक स्मारक लोगों में बड़ा धार्मिक महत्व रखते हैं. अगर यहां पूजा करने की अनुमति दी जाती है तो इससे लोगों की धार्मिक आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकेगा. कमेटी ने यह भी कहा कि एएसआई को स्मारक में पूजा करने की अनमुति देनी चाहिए, बशर्ते इसका स्मारक पर कोई दुष्प्रभाव ना हो.


मंत्रालय कर रहा विचार
कमेटी की सिफारिश पर संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि वह इस पर विचार करेगी कि ऐसा किया जा सकता है या नहीं. हालांकि, मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि इन स्थलों पर पूजा की अनुमति देना नितिगत निर्णय है. एएसआई के इन स्थलों के कस्टडी लेते वक्त पूजा नहीं होती थी और वह लंबे समय से बंद है.


मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा की मिलेगी अनुमति
पिछले साल मई में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आठवीं सदी के मार्तंड सूर्य मंदिर के खंडहरों में पूजा करने पर एएसआई ने जिला प्रशासन के सामने चिंता जाहिर की थी. एएसआई ने कहा कि उसके नियमों का उल्लंघन किया गया है. 20वीं सदी में जब एएसआई ने मंदिर के खंडहरों को अपने कब्जे में लिया था, तब यहां पूजा नहीं की जाती थी. एएसआई ने कहा कि स्मारक के सिर्फ उन हिस्सों में ही पूजा की अनुमित दी जा सकती है, जहां पर कस्टडी के समय भी पूजा की जा रही होती है. 


कुल 820 स्मारकों में पूजा की अनुमति
एएसआई देशभर के कुल 3,693 स्मारकों का संरक्षण करता है. इनमें से 820 स्मारकों में पूजा करने की इजाजत है, बाकी सब में से किसी में भी धार्मिक अनुष्ठान नहीं किया जाता है. जिन स्मारकों में पूजा या इबादत की इजाजत है, उनमें मंदिर, मस्जिद, चर्च और दरगाह शामिल हैं. हालांकि, मार्तंड सूर्य मंदिर एक समय एक संपन्न पूजा स्थल था, कर्कोटा वंश के राजा ललितादित्य मुक्तापीड ने (725 ईस्वी से 753 ईस्वी) इसे बनवाया गया था. 14वीं शताब्दी में सिकंदर शाह मिरी ने इसको नष्ट कर दिया था. 20 वीं सदी में एएसआई ने इसको कस्टडी में ले लिया. एएसआई के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले साल दो बार यहां पूजा की गई. एक बार भक्तजनों का एक ग्रुप यहां पूजा करने पहुंचा था और दूसरी पर जम्मू-कश्मीर के लेफ्टीनेंट जनरल मनोज सिन्हा की उपस्थिति में पूजा की गई.


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