अयोध्या फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दिसंबर के पहले हफ्ते में- जफरयाब जिलानी
जफरयाब जिलानी ने कहा था कि मस्जिद अनमोल है. पांच एकड़ क्या होता है? 500 एकड़ भी हमें मंजूर नहीं. जिलानी ने कहा था कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करता है, लेकिन निर्णय पर असहमति प्रत्येक नागरिक का अधिकार है.
लखनऊ: अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड(आईएमपीएलबी) दिसंबर के पहले सप्ताह में पुनर्विचार याचिका दायर करेगा. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि याचिका आठ दिसंबर से पहले दाखिल की जानी है. हालांकि अभी इसकी कोई तारीख तय नहीं है.
इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले के बारे में जिलानी ने कहा, "सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले से हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता है. चाहे वह राजी हो या न हो. अगर एक भी पक्षकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में हैं तो भारतीय संविधान उसे पूरा अधिकार देता है. सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करना चाहता तो न करे. सुन्नी वक्फ बोर्ड का फैसला कानूनी रूप से हमें प्रभावित नहीं करेगा. सभी मुस्लिम संगठन पुनर्विचार याचिका दायर करने को लेकर एक राय रखते हैं."
आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि "सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल करे या न करे, यह उसका अपना फैसला है. कोर्ट ने बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दी है. हमारा एजेंडा स्पष्ट है. हमने पहले भी कहा था कि इस मामले में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का जो भी स्टैंड होगा, शिया पर्सनल लॉ बोर्ड उसका साथ देगा."
वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि अयोध्या पर उसे सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार है और पुनर्विचार याचिका नहीं दायर की जाएगी. 26 नवंबर को लखनऊ में हुई बैठक में बहुमत से इस निर्णय पर मुहर लगा दी गई है. हालांकि बैठक में पांच एकड़ भूमि पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है. इस पर राय बनाने के लिए सदस्यों ने और वक्त मांगा है.
बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने कहा कि एआईएमपीएलबी ने कहा है कि भले ही बोर्ड अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया हो, मगर सुन्नी वक्फ बोर्ड ऐसा नहीं करने के अपने रुख पर अब भी कायम है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने नाराजगी जाहिर की थी. जिलानी ने कहा था कि सभी लोग फैसले का सम्मान करें, लेकिन फैसला संतोषजनक नहीं है, उस पर कहीं भी किसी प्रकार का कोई प्रदर्शन नहीं होना चाहिए.
जफरयाब जिलानी ने कहा था, ''हमारी जमीन रामलला को दे दी गई, हमसे इससे सहमत नहीं हैं. हम अपने साथी वकीलों के साथ चर्चा करके तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन दायर करनी है या नहीं.'' उन्होंने कहा कि ''मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड चर्चा करके फैसला करेगा. हम फैसले खुश नहीं हैं, चुनौती के बारे में सोचेंगे.''
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