(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
2005 में जिसे मिली थी भारत की नागरिकता, उसको गुजरात ATS ने जासूसी के आरोप में किया गिरफ्तार
गुजरात एटीएस ने बताया कि माहेश्वरी ने खुद को सेना का कर्मचारी बताकर सेना के अफसरों को एक एप्लीकेशन डाउनलोड करने की रिक्वेस्ट की. यह एप्लीकेशन फोन में इंस्टॉल होने के बाद सारा डेटा चुरा सकता था.
Indian Arrested For Spying: गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने शुक्रवार को पाकिस्तानी मूल के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जो कथित तौर पर पाकिस्तानी अधिकारियों को व्हाट्सऐप के जरिए ट्रैकिंग मैलवेयर भेजकर भारतीय रक्षा कर्मियों की जासूसी करने में मदद करता था. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आरोपी को 2005 में भारतीय नागरिकता दी गई थी.
अधिकारी ने बताया कि रक्षा कर्मियों की जासूसी करने के लिए पाकिस्तान से संचालित एक भारतीय व्हाट्सऐप नंबर के बारे में सैन्य खुफिया द्वारा साझा की गई जानकारी के आधार पर, एटीएस ने आणंद जिले के तारापुर शहर से 53 वर्षीय लाभशंकर माहेश्वरी को पकड़ा और उसे यहां लाया. आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 123 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से छिपाना) और 121-ए (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश) और सूचना प्रौद्योगिकी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
भारतीय सेना ने किया था ट्रेस
एटीएस के पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश जाट ने बताया कि जांच से पता चला है कि पाकिस्तानी मूल के माहेश्वरी को 2005 में भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी और वह पड़ोसी देश में रह रहे रिश्तेदार से मिलने के लिए स्वयं, अपनी पत्नी और परिवार के दो अन्य सदस्यों के लिए वीजा प्रक्रिया को तेज करने के एवज में साजिश का हिस्सा बनने को सहमत हुआ था.
उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘भारतीय सैन्य खुफिया को हाल ही में जानकारी मिली कि पाकिस्तानी सेना या पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने किसी तरह एक भारतीय सिम कार्ड हासिल कर लिया था, जिसका इस्तेमाल व्हाट्सऐप के जरिए भारतीय रक्षा कर्मियों को मैलवेयर भेजकर जासूसी करने के लिए किया जा रहा था. सूचना के आधार पर, हमने माहेश्वरी को आनंद के तारापुर से पकड़ा, जहां वह किराने की दुकान चलाता है.’
खुद को बताया सेना का कर्मचारी
माहेश्वरी ने खुद को एक आर्मी स्कूल का कर्मचारी बताकर रक्षा कर्मियों को संदेश भेजना शुरू कर दिया और उनसे स्कूल की आधिकारिक वेबसाइट पर अपने बच्चों के बारे में जानकारी अपलोड करने के लिए एक 'एपीके' फ़ाइल डाउनलोड करने का आग्रह किया. कुछ मामलों में, आरोपी ने सैन्यकर्मियों को यह दावा करते हुए एप्लिकेशन इंस्टॉल करने का लालच दिया था कि यह सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का हिस्सा था.
जाट ने बताया, ‘वास्तव में, वह 'एपीके' फाइल एक ‘रिमोट एक्सेस ट्रोजन’ थी, एक प्रकार का मालवेयर जो मोबाइल फोन से सभी जानकारी, जैसे संपर्क, स्थान और वीडियो निकालता है, और डेटा को भारत के बाहर एक कमान एवं नियंत्रण केंद्र को भेजता है. अब तक, हमने पाया कि कारगिल में तैनात एक सैनिक का मोबाइल फोन उस मालवेयर से प्रभावित था. हमें अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि और कितने लोगों को निशाना बनाया गयाPakistan,ISI,India,Guj,Gujarat,ATS.